15 अप्रैल (भारत बानी) : एलन मस्क की कंपनी टेस्ला और टाटा इलेक्ट्रानिक्स के बीच एक स्ट्रैटेजिक डील हुई है। टेस्ला ने अपनी कारों के लिए टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स से सेमीकंडक्टर चिप्स खरीदने के लिए यह डील की है। यह डील इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स को टॉप ग्लोबल क्लांट के लिए विश्वसनीय सप्लायर के रूप में स्थापित करेगा। यह समझौता कुछ ही महीनों में पूरा हो जाएगा।
भारतीय बाजार में प्रवेश को इच्छुक है टेस्ला
इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली दुनिया की यह टॉप कंपनी भारत में एंट्री करना चाहती है। भारत दुनिया का सबसे तेज गति से बढ़ने वाला ऑटोमोटिव मार्केट के रूप में उभर रहा है। टेस्ला के सीईओ एलन मस्क इस महीने पीएम मोदी से मिलने भारत आ रहे हैं। मस्क के इस भारत दौरे से टेस्ला के जरिए भारी निवेश की उम्मीद है।
एक खबर के मुताबिक टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और टेस्ला के बीच डील की रकम को लेकर कोई खुलासा नहीं हुआ है। दोनों कंपनियों ने इस डील पर अभी कोई टिप्पणी नहीं की है। डील की यह खबर सूत्रों ने दी है। इंडियन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन के प्रसीडेंट अशोक चंडक ने कहा है कि टेस्ला का यह फैसला इलेक्ट्रानिक्स के लोकल स्प्लायर्स के लिए एक इकोसिस्टम क्रिएट करेगा, जो यह बताता है कि अब एक मार्केट पर निर्भर नहीं है।
आधिकारिक पुष्टि नहीं
टेस्ला और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स, जो सेमीकंडक्टर विनिर्माण में टाटा समूह के प्रवेश का नेतृत्व कर रहे हैं, ने इस डेवलपमेंट पर कोई टिप्पणी नहीं की। इसके साथ ही टेस्ला-टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स सोर्सिंग सौदे का मूल्य और अन्य विवरण का भी पता नहीं चल सका है।
टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने शुरू कर दी है भर्ती
टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने हाल के महीनों में 50-60 टॉप लेवल के एक्स्पर्ट्स की भर्ती करके अपने वर्कफोर्स को बढ़ाया है। टाटा इस भर्ती से सेमीकंडक्टर टेक्नॉलजी, स्ट्रैटजिक प्लान और डिजाइन में इनकी विशेषज्ञता का लाभ उठाएगा। उद्योग के कई एक्सपर्ट्स अनुमान लगा रहे हैं कि टेस्ला कम से कम 2 से 3 अरब डॉलर के निवेश के जरिए भारत में ही ईवी बनाएगा। इस तरह की खबरें हैं कि टेस्ला भारत में अपना मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट लगा सकता है।
सरकार से मिली है राहत
बता दें हाल के नीतिगत बदलावों ने ऑटो मैन्यूफैक्चरर को 15 फीसदी कम आयात शुल्क पर 35,000 डॉलर या उससे अधिक रेट वाले ईवी आयात करने की मंजूरी दी है, लेकिन यह भारत में मैन्यूफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने के लिए तीन साल के अंदर 500 मिलियन डॉलर का निवेश करने के लिए वाहन निर्माताओं की प्रतिबद्धता पर निर्भर होगा।