नई दिल्ली, 22 मई (एजेंसी) : दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के बाद स्पाइसजेट ने पूर्व प्रमोटर कलानिधि मारन और उनकी कंपनी केएएल एयरवेज से 450 करोड़ रुपये का रिफंड मांगने की योजना की घोषणा की है।
एक खंडपीठ के आदेश ने लंबे समय तक चले शेयर हस्तांतरण विवाद में पिछले एकल-न्यायाधीश के आदेश को पलट दिया।
स्पाइसजेट और उसके प्रमोटर, अजय सिंह, मारन और केएएल एयरवेज के खिलाफ शेयर ट्रांसफर समझौते से जुड़े मुद्दों पर मामले में उलझ गए हैं।
17 मई को, डिवीजन बेंच ने स्पाइसजेट के पक्ष में फैसला सुनाया, जिससे एयरलाइन को पहले भुगतान किए गए 730 करोड़ रुपये का एक बड़ा हिस्सा वापस पाने की अनुमति मिल गई। इस राशि में मूलधन के 580 करोड़ रुपये और ब्याज के अतिरिक्त 150 करोड़ रुपये शामिल थे।
एकल-न्यायाधीश पीठ ने कथित तौर पर पेटेंट अवैधता और अनुचित ब्याज शुल्क के प्रमुख दावों को संबोधित किए बिना उनकी धारा 34 याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
खंडपीठ ने इन चुनौतियों में योग्यता पाई और कहा कि एकल न्यायाधीश ने इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर उचित विचार नहीं किया था।
अदालत ने कहा, “एकल न्यायाधीश ने पेटेंट अवैधता के दावों और स्पाइसजेट के खिलाफ पारित रिफंड आदेश पर पर्याप्त विचार किए बिना अजय सिंह और स्पाइसजेट की धारा 34 याचिकाओं को खारिज करने में गलती की थी।”
इसके अलावा, यह कहा गया कि स्पाइसजेट द्वारा शेयर खरीद समझौते का उल्लंघन नहीं करने के बावजूद दंडात्मक ब्याज लगाया गया था।
31 जुलाई, 2023 के फैसले को पलटने से स्पाइसजेट को 450 करोड़ रुपये की वसूली करने का मौका मिलेगा, जिससे एयरलाइन को एक महत्वपूर्ण वित्तीय राहत मिलेगी।