06 जून लुधियाना : पंजाब में कट्टरपंथी विचारधारा के लिए जाने जाते सिमरनजीत मान भले ही संगरूर से लोकसभा चुनाव हार गए हैं। लेकिन उनके या अन्य कट्टरपंथी विचारधारा के समर्थकों द्वारा 35 साल पहले जो मुहिम शुरू की गई थी, उसका साया एक बार फिर पंजाब में देखने को मिला है। जिसका सबूत फरीदकोट सीट पर सरबजीत सिंह व खडूर साहिब से अमृतपाल सिंह को मिली जीत के रूप में देखने को मिल रहा है। यह दोनों ही खालिस्तान समर्थक माने जाते हैं, इनमें से सरबजीत सिंह के पिता द्वारा दरबार साहिब पर हमले का बदला लेने के नाम पर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या की गई थी।

इसी तरह अमृतपाल सिंह को एन.एस.ए. की धाराओं के अंतर्गत जेल में बंद किया गया है। जिन दोनों को मिली भारी जीत जैसा माहौल इससे पहले 1989 के लोकसभा चुनाव में देखने को मिला था। जब सिमरनजीत मान सहित कट्टरपंथी विचारधारा के 9 उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई थी। उनमें उक्त सरबजीत सिंह की माता बिमल कौर भी शामिल थी, जिन्हें रोपड़ से जीत हासिल हुई थी। हालांकि 1992 में विधानसभा चुनाव और फिर लोकसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के अलावा अकाली दल व भाजपा द्वारा लगातार अपने उम्मीदवार खड़े करने की वजह से कट्टरपंथी विचारधारा के उम्मीदवारों को दोबारा लंबे समय तक लोगों का समर्थन नहीं मिला। 

2022 के दौरान कट्टरपंथी विचारधारा का यह माहौल संगरूर लोकसभा उप चुनाव के दौरान एक बार फिर देखने को मिला। जब अकाली दल द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या के मामले में जेल में बंद बलवंत सिंह राजोआना की बहन को टिकट दी गई और सिमरनजीत मान को जीत हासिल हुई। इसके बाद कट्टरपंथी विचारधारा का प्रचार प्रसार बढ़ गया, जो अमृतपाल सिंह की गतिविधियों के रूप में देखने को मिला। भले अमृतपाल सिंह को अब जेल में बंद किया हुआ है, लेकिन उसने जेल में रह कर खडूर साहिब से लोकसभा चुनाव जीत लिया है। जिस पुरानी तरनतारन सीट से 1989 के दौरान सिमरनजीत मान ने जीत हासिल की थी। इसी तरह पंजाब की कुछ अन्य सीटों पर भी कट्टरपंथी विचारधारा के उम्मीदवारों को समर्थन मिलने की बात सामने आई है। जिसे लेकर अब देखना यह होगा कि इस डेवलपमेंट का पंजाब के माहौल पर आने वाले समय के दौरान क्या असर पड़ेगा और केंद्र व राज्य सरकार इस स्थिति से निपटने के लिए क्या कदम उठाएगी।

Bharat Baani Bureau

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