25 जून(कैनबरा):  विज्ञान के विकास और तकनीकि के तजुर्बे ने अब वह भी संभव कर दिखाया है, जिसकी कल्पना तक कर पाना संभव नहीं था। क्या आप कभी सोच भी सकते थे कि सैकड़ों वर्ष पहले मर चुके अपने पूर्वजों से बात करना संभव है?….शायद नहीं। मगर वैज्ञानिकों ने अब इस असंभव को संभव कर दिया है। द कन्वरसेशन की रिपोर्ट के मुताबिक अब विज्ञान और तकनीकि के बल पर आप भी अपने मरे हुए पूर्वजों से आमने-सामने बैठकर बात कर सकते हैं। उन्हें अपनी बातें बता सकते हैं, उनका सारा हालचाल जान सकते हैं। पूर्वज आपके हर सवाल का जवाब भी देंगे और आपको जीवन में आगे बढ़ने के लिए मर चुका होने के बाद भी सामने से आकर आशीर्वाद देंगे।

यह सुनकर ही आपके होश उड़ गए होंगे। मगर चौंकिये मत आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस (एआइ) और कुछ अन्य तकनीकियों की वजह से अब मरे हुए लोगों से बात करना संभव हो गया है। हालांकि यह सुनने में बेहद डरावना और जोखिम भरा लग सकता है, लेकिन अब विज्ञान ने दुनिया का सबसे बड़ा चमत्कार कर डाला है। वैज्ञानिकों का यह दावा भले ही आपको शायद एक आभासी वास्तविकता (वीआर) हेडसेट के माध्यम से  काल्पनिक फिल्म में कदम रखने जैसा लग रहा हो, जो रोमांचकारी भी है और थोड़ा डरावना भी। मगर डिजिटल दुनिया में अब ये संभव हो गया है।

कैसे होगी पूर्वजों से वीडियो पर बात

जैसे ही आप इस डिजिटल पिता के साथ बातचीत शुरू करेंगे। आप खुद को एक भावनात्मक रोलरकोस्टर पर पाएंगे। फिर आप उन रहस्यों और कहानियों को उजागर करेंगे, जिन्हें आप कभी नहीं जानते थे, जिससे वास्तविक व्यक्ति को याद करने का आपका तरीका बदल जाता है। यह कोई दूर की बात या काल्पनिक परिदृश्य नहीं है। अब यह डिजिटल आफ्टरलाइफ़ उद्योग की वजह से संभव हो गया है, जो तेजी से विकसित हो रहा है। कई कंपनियां मृत व्यक्तियों के डिजिटल पदचिह्नों के आधार पर उनका आभासी पुनर्निर्माण करने का वादा करती हैं। कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) चैटबॉट और वर्चुअल अवतार से लेकर होलोग्राम तक, यह तकनीक आराम और व्यवधान का एक अजीब मिश्रण प्रदान करती है। यह हमें गहरे व्यक्तिगत अनुभवों में खींच सकता है जो अतीत और वर्तमान, स्मृति और वास्तविकता के बीच की रेखाओं को धुंधला कर देता है।

Bharat Baani Bureau

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *