22 अगस्त 2024 : यूं तो रूस यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पीएम मोदी यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से दो बार मिल चुके हैं. लेकिन, यूक्रेन की यह उनकी पहली यात्रा है. 30 साल बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का यूक्रेन का यह पहला दौरा है हालांकि इस विजिट के टाइमिंग और मकसद को लेकर तमाम सवाल उठ रहे हैं और कयास लगाए जा रहे हैं. रूस के साथ भारत के कूटनीतिक, रणनीतिक, व्यापारिक और सैन्य संबंध मजबूत रहे हैं. ऐसे में यूक्रेन की आजादी के बाद किसी भारतीय पीएम के जाने के आखिर क्या मकसद हो सकते हैं. आइए इसे विस्तार से समझें…
पीएम मोदी की यूक्रेन विजिट पर अटकलें और सचाई
अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार ब्रह्म चेलानी एक्स पर पोस्ट करते हैं कि 23 अगस्त को यूक्रेन दौरे पर जाना न खराब समय है और इसका मकसद भी साफ नहीं है. यूक्रेन के हालिया आक्रमण ने युद्धविराम की कोशिशों को झटका पहुंचाया है. यूक्रेन के आजाद होने के बाद कोई भारतीय पीएम वहां नहीं गया है. पीएम मोदी के यूक्रेन जाने की कोई ठोस वजह नहीं है. खासकर तब जब युद्ध के कारण तनाव बढ़ा हुआ है. मगर इसके साथ ही भारतीय विदेश मंत्रालय (एमईए) में सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल की इस बात को नहीं इग्नोर किया जा सकता कि भारत के रूस और यूक्रेन दोनों के साथ ठोस और स्वतंत्र संबंध हैं और ये साझेदारियां अपने दम पर कायम हैं.
जब पुतिन से गले मिले थे मोदी…
जुलाई में पीएम नरेंद्र मोदी ने रूस का दौरा किया जहां रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने उन्हें गर्मजोशी से गले लगाया. यह वही दिन था जब रूस ने पूरे यूक्रेन में घातक हवाई हमले किए थे जिसमें वहां के बच्चों के सबसे बड़े अस्पताल को निशाना बनाया गया था. इस हमले में दर्जनों जानें गईं. दुनिया में इसकी आलोचना हुई खुद जेलेंस्की ने इसके विरोध में एक्स पर पोस्ट लिख दी थी कि दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नेता को मॉस्को में ऐसे दिन दुनिया के सबसे खूनी अपराधी को गले लगाते देखना बहुत बड़ी निराशा और शांति प्रयासों के लिए विनाशकारी झटका है.
लेकिन इस सबसे इतर भारत ने अपना स्टैंड साफ रखा और पीएम मोदी ने राष्ट्रपति पुतिन से कहा, मित्र के नाते मैंने हमेशा कहा है कि हमारी भावी पीढ़ी के लिए शांति जरूरी है. लेकिन ये भी जानता हूं कि युद्ध के मैदान में समाधान संभव नहीं है. बम, बंदूक गोलियों के बीच समाधान और शांति वार्ता सफल नहीं होती. हमें बातचीत के माध्यम से शांति के रास्ते अपनाने होंगे.
यूक्रेन विजिट से क्या चाहता है भारत, और क्या है पीएम मोदी का असल उद्देश्य…
इंटरनेशनल मसलों पर भारत का रुख सदैव शांतिपूर्ण, और निष्पक्ष रहा है. वह शांति की बात करता है और युद्ध के खिलाफ रहता है. मामले के जानकार इस यात्रा को एक संतुलनकारी कदम मानते हैं. इसी बीच वह दोनों देशों के बीच शांति वार्ता का आग्रह भी मेंटेन कर सकते हैं. तन्मय लाल कहते हैं कि यह कोई ज़ीरो-सम वाला खेल नहीं है… ये स्वतंत्र, बड़े संबंधों की बात है. वहीं, जेलेंस्की के ऑफिस की ओर से आधिकारिक तौर पर कहा जा चुका है कि दोनों देश द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग पर चर्चा करेंगे और ‘कई दस्तावेजों’ पर हस्ताक्षर किए जा सकते हैं. युद्ध से पस्त पड़ी इकॉनमी की फिर से खड़ा करने में यूक्रेन भारत की मदद की दरकार कर सकता है. साथ ही इस बात की अनदेखी नहीं की जा सकती कि यूक्रेन को अमेरिका समेत वेस्ट देशों का समर्थन प्राप्त है और भारत के पश्चिम से संबंध अच्छे हैं.