New Study On Antibiotic Resistance 17 सितम्बर 2024: साल 2050 तक दुनिया में करीब 3.90 करोड़ लोग एंटीबायोटिक रजिस्टेंस से मौत का शिकार हो सकते हैं. इसका खुलासा लैंसेट में प्रकाशित एक नई स्टडी में हुआ है. वैज्ञानिकों की मानें तो 2022 से 2050 तक एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस (AMR) के कारण होने वाली मौतों का आंकड़ा 70% तक बढ़ सकता है. इसका सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों पर मंडरा रहा है. एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस की कंडीशन तब पैदा होती है, जब बैक्टीरिया और फंगस को दवाओं से खत्म करना मुश्किल हो जाता है. इस स्टडी ने पूरी दुनिया में हलचल बढ़ा दी है.
चिंता की बात यह है कि एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस की वजह से 2050 तक 3.90 करोड़ मौतों में से 1.18 करोड़ लोगों की मौत साउथ एशिया में होगी. रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि अफ्रीकी क्षेत्र भी एंटीबायोटिक रजिस्टेंस से संबंधित मौतों का आंकड़ा काफी बढ़ जाएगा. शोधकर्ताओं का कहना है कि लोग एंटीबायोटिक्स का ज्यादा उपयोग कर रहे हैं या गलत तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे बैक्टीरिया पर ज्यादा दबाव पड़ रहा है और इससे समय के साथ बैक्टीरिया ज्यादा रजिस्टेंट हो रहे हैं. वैज्ञानिकों की मानें तो एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल समझदारी के साथ होना चाहिए.
शोधकर्ता कई दशकों से एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस को पब्लिक हेल्थ के लिए खतरा बता रहे हैं, लेकिन यह स्टडी रिसर्चर्स की बड़ी टीम ने की है. यह स्टडी ग्लोबल रिसर्च ऑन एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस प्रोजेक्ट का हिस्सा है. दुनियाभर में समय के साथ एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस का एनालिसिस करने वाली यह पहली स्टडी है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) का भी कहना है कि यह रजिस्टेंस कॉमन इंफेक्शंस के इलाज को मुश्किल बना देता है और कीमोथेरेपी व सिजेरियन सेक्शन जैसे मेडिकल इंटरवेंशन को काफी जोखिम भरा बना देता है.
इस रिसर्च में 204 देशों के 52 करोड़ से ज्यादा हॉस्पिटल डिस्चार्ज रिकॉर्ड्स, इंश्योरेंस क्लेम्स और डेथ सर्टिफिकेट्स जैसे डाटा का एनालिसिस किया गया है. इसके लिए स्टैटिस्टिकल मॉडलिंग का उपयोग किया गया. वैज्ञानिकों ने पाया कि साल 1990 और 2021 के बीच हर साल एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस से 10 लाख से ज्यादा मौतें हुईं. तब से इस रजिस्टेंस से होने वाली मौतें बढ़ी हैं और इसमें आने वाले समय में तेजी आएगी. अमेरिका की वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवेल्युएशन इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर और स्टडी के सीनियर ऑथर क्रिस्टोफर जेएल मरे का कहना है कि यह एक बड़ी समस्या है.
इस रिसर्च के लीड ऑथर और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफॉर्निया में क्लीनिकल मेडिसिन के असिस्टेंट प्रोफेसर केविन इकुटा ने कहा कि अगली क्वार्टर सेंचुरी में अनुमानित 3.90 करोड़ मौतें होंगी. इस हिसाब से देखा जाए, तो हर मिनट लगभग तीन मौतें होंगी. साल 1990 और 2021 तक 5 और उससे कम उम्र के बच्चों में एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस से होने वाली मौतों में 50 प्रतिशत से ज्यादा की कमी देखी गई, जबकि 70 और उससे अधिक उम्र के लोगों में 80% से ज्यादा की वृद्धि देखने को मिली. इससे साफ है कि बच्चों को इस तरह की मौतों का खतरा कम हो जाएगा, जबकि बुजुर्गों में यह खतरा बढ़ जाएगा.
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि बच्चों में एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस से होने वाली मौतों में गिरावट जारी रहेगी, जो 2050 तक आधी हो जाएगी. हालांकि इसी अवधि में वरिष्ठ नागरिकों में मौतों का आंकड़ा दोगुना हो जाएगा. पिछले 3o सालों में युवाओं में एंटीमाइक्रोबियल रजिस्टेंस से संबंधित मौतों में कमी और बुजुर्गों में ऐसी मौतों में वृद्धि ने एक दूसरे को संतुलित कर दिया है. हालांकि, जैसे-जैसे वैश्विक आबादी की उम्र बढ़ती है और वह संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती है. वरिष्ठ नागरिकों में एएमआर से होने वाली मौतें जल्द ही अन्य आयु समूहों की तुलना में अधिक हो सकती हैं.