अमेरिका की डेलावेयर अदालत ने Byju’s को $1.5 बिलियन लोन पर डिफॉल्ट करने का दोषी ठहराने के फैसले को बरकरार रखा है। अब Byju’s को आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ सकता है।

डेलावेयर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद एडटेक फर्म Byju’s के लेंडर्स अब अपनी पूरी रकम वापस मांग सकते हैं। वे बायजूस की यूएस कंपनी Byju’s Alpha Inc का कंट्रोल भी अपने हाथ में ले सकते हैं। इसके साथ ही, लोन देने वाले टिमोथी पोहल को, जो कोर्ट द्वारा कंपनी के सीईओ बनाए गए हैं, कंपनी का अकेला डायरेक्टर भी बना सकते हैं।

इस फैसले से बायजूस पर लोन चुकाने का दबाव और बढ़ गया है।

कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा-

बायजूस के अमेरिकी ऋणदाताओं ने मंगलवार को कहा कि डेलावेयर सुप्रीम कोर्ट ने ‘डेलावेयर कोर्ट ऑफ चांसरी’ के फैसले को सही ठहराया है। ऋणदाताओं ने अपने प्रशासनिक एजेंट ग्लास ट्रस्ट के जरिए ‘डेलावेयर कोर्ट ऑफ चांसरी’ में एक मामला दर्ज किया, जिसमें उन्होंने Byju’s पर कर्ज समझौते के तहत भुगतान में चूक का आरोप लगाया। उन्होंने 1.2 अरब अमेरिकी डॉलर के ‘टर्म लोन बी’ (TLB) कर्ज की जल्द से जल्द वसूली की मांग की थी। थिंक एंड लर्न (जो बायजूस की मालिक है) ने इस आरोप का विरोध किया था, लेकिन ‘डेलावेयर कोर्ट ऑफ चांसरी’ ने ऋणदाताओं के पक्ष में फैसला सुनाया।

टर्म लोन’ लेंडर्स के समूह की संचालन समिति के बयान के अनुसार, Byju’s के संस्थापक और सीईओ बायजू रवींद्रन और उनके भाई रिजु रवींद्रन ने खुद माना है कि बायजूस ने अक्टूबर 2022 तक लोन समझौते का भुगतान करने में देरी की थी।

समिति ने कहा, ‘‘ हम इस बात से खुश हैं कि डेलावेयर के सर्वोच्च न्यायालय ने निर्णायक रूप से उस बात की पुष्टि की है जिसे हम पहले से ही जानते थे कि Byju’s ने जानबूझकर तथा स्वेच्छा से ऋण समझौते का उल्लंघन किया और उसे पूरा नहीं किया।’’

हालांकि, Byju’s ने इस फैसले पर तत्काल कोई बयान जारी नहीं किया है। अमेरिका स्थित ऋणदाताओं ने ग्लास ट्रस्ट के जरिये कंपनी के खिलाफ जारी दिवालिया कार्यवाही के दौरान भारतीय अदालतों में 1.35 अरब अमेरिकी डॉलर का दावा दायर किया था। नवीनतम बयान में, ऋणदाताओं ने अपने दावे की राशि बढ़ाकर 1.5 अरब डॉलर कर दी थी।

Bharat Baani Bureau

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