जम्मू-कश्मीर 30 सितम्बर 2024 : घाटी में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव कराए जा रहे हैं, जिसमें से दो चरणों के मतदान की प्रक्रिया पूरी भी हो चुकी है. तीसरे चरण के लिए सियासी दल एक्टिव मोड में हैं. अब जरा आंकड़ों पर नजर डालते हैं कि इस चुनाव में अब तक 2 चरणों में कितनी प्रतिशत वोटिंग हुई. पहले चरण में 60 फीसदी से ज्यादा वोटिंग और दूसरे चरण में 57 फीसदी वोटिंग हुई. मतदाताओं का ये उत्साह तो है ही, साथ ही हाई वोटर टर्नआउट है. हमें गौर करना होगा बदली हुई परिस्थितियों पर. कश्मीर में धारा 370 हटाए जाने के बाद एक ओर विकास कार्यों में तेजी आई है, तो दूसरी ओर सुरक्षा व्यवस्था पर भी ध्यान दिया गया है.
बेशक आतंकियों ने पिछले 6 महीने में अपनी रणनीति बदली है और कश्मीर के बजाय जम्मू को अपना निशाना बनाया है. लेकिन, सुरक्षा व्यवस्था के लिहाज से जम्मू और कश्मीर में दोनों जगह है जो माहौल बनाया गया है वह भी एक बड़ी वजह है मतदाताओं के उत्साह की.
पीएम मोदी की देखरेख में बदली घाटी की सूरत
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर घाटी के विकास को हमेशा से ही प्राथमिकता दी है. इसे गृह मंत्री अमित शाह ने बराबर बढ़ाया है कि जम्मू और कश्मीर दोनों का विकास साथ-साथ होना चाहिए. चुनाव के दौरान भी बीजेपी के घोषणा पत्र में इस बात का जिक्र है.
बदलाव की बयार बह रही है
कश्मीर से जुड़े सुरक्षा एजेंसियों और प्रशासनिक लोगों का मानना है मतदाताओं में जो उत्साह की आहट है वह कुछ सालों पहले हुए स्थानीय चुनाव में दिख गई थी जो बाद में लोकसभा चुनाव तक पहुंची और अब विधानसभा चुनाव में देख रही है.
खुफिया एजेंसी मजबूत हुईं
जम्मू कश्मीर में चुनाव के मद्देनजर पूरा सुरक्षा का खांका तैयार किया गया. जैसे ही जम्मू में आतंकी की घटनाएं बढ़ने लगी सुरक्षा ग्रिड को मजबूत किया गया. खुफिया सुरक्षा एजेंसी को इस बात के इनपुट पहले ही मिल चुके थे कि चुनाव को बातचीत करने की सीमा पार से साजिश हो सकती है. लिहाजा वोटरों की सुरक्षा और मतदान स्थल की सुरक्षा का पूरा प्लान तैयार किया गया.
बदल गया वोटिंग का ट्रेंड
कश्मीर में 300 से अधिक अतिरिक्त अर्धसैनिक बलों की कंपनियां तैनात की गई. साथ ही सीमावर्ती इलाकों में विलेज डिफेंस कमेटी को मजबूत किया गया. इसका असर यह हुआ कि सीमावर्ती इलाकों में भी इस विधानसभा चुनाव में भारी तादाद में वोटिंग देखने को मिल रही है और यही ट्रेंड लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला था.
चुनाव आयोग का भी सराहनीय योगदान
मतदान के दौरान कश्मीर और जम्मू में चुनाव आयोग की भी भूमिका का जिक्र जरूरी है. आयोग ने जम्मू और कश्मीर के लिए अलग-अलग चुनावी कैंपेन तैयार किया ताकि मतदाता उत्साहित होकर मतदान की प्रक्रिया में हिस्सा ले सकें. चुनाव आयोग की इस कोशिश को दुनिया के सामने भी दिखाने के लिए एक पूरा प्लान बनाया गया. विदेशी प्रतिनिधियों को जम्मू कश्मीर का विधानसभा चुनाव दिखाया गया.
चुनाव देखने पहुंचे कई देशों के प्रतिनिधि
जम्मू कश्मीर चुनाव की सबसे खास बात रही कि संयुक्त राज्य अमेरिका, मैक्सिको, गुयाना, दक्षिण कोरिया, सोमालिया, पनामा, सिंगापुर, नाइजीरिया, स्पेन, दक्षिण अफ्रीका, नॉर्वे, तंजानिया, रवांडा, अल्जीरिया और फिलीपींस के वरिष्ठ राजनयिकों का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल मौजूदा विधानसभा को देखने के लिए कश्मीर आया. प्रतिनिधिमंडल ने बडगाम के ओमपोरा में मतदान केंद्रों का दौरा किया. इसके बाद लाल बाग निर्वाचन क्षेत्र के भीतर अमीरा कदल और एसपी कॉलेज, चिनार बाग में भी रुके.
हाई वोटर टर्नआउट
जम्मू संभाग की विधानसभा सीटों की संख्या 40 से बढ़कर 47 हो गई है. वहीं घाटी में सीटों की संख्या 36 से 37 हो गई है, जिसे देखते हुए कश्मीर घाटी और जम्मू में जोरदार लड़ाई के आसार देखने को मिल रहे हैं. 40 या इससे ज्यादा सीट पाने वाले दल या गठबंधन को राज्य मे सरकार बनाने का मौका मिलेगा.