नई दिल्ली (Sharda Sinha Education Qualification).भोजपुरी की लता मंगेशकर शारदा सिन्हा चर्चा में हैं. वह साल 2017 से Multiple Myeloma की बीमारी से ग्रस्त हैं. उन्हें बिहार की स्वर कोकिला भी कहा जाता है. छठ महावर्व के अवसर पर उनके गीत हर तरफ गूंजते हैं. अपनी आवाज़ और गायकी से दुनिया भर में खास पहचान बनाने वालीं शारदा सिन्हा वेंटिलेटर पर हैं (Sharda Sinha Health News). उनका ऑक्सीजन लेवल गिरने के बाद से उनकी स्थिति नाजुक है.
बिहार, झारखंड व अन्य राज्यों में छठ महापर्व की शुरुआत शारदा सिन्हा के गीतों के साथ होती है (Sharda Sinha Songs). शारदा सिन्हा का हेल्थ अपडेट जानने के बाद से हर कोई छठी मइया से उनकी सेहत में सुधार के लिए दुआ मांग रहा है. शारदा सिन्हा ने भोजपुरी संगीत में तो नए आयाम जोड़े ही, उनकी पढ़ाई-लिखाई की भी काफी चर्चा की जाती है. बिहार स्वर कोकिला शारदा सिन्हा ने राज्य की नामी यूनिवर्सिटी से पढ़ाई की है.
Sharda Sinha Education: संगीत में किया पीएचडी
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शारदा सिन्हा जी ने 12वीं के बाद बीएड का कोर्स किया था. इसके अलावा उन्होंने संगीत में पीएचडी की डिग्री भी हासिल की है. शारदा सिन्हा ने मगध महिला कॉलेज, प्रयाग संगीत समिति और ललित नारायण मिथिला यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी की है. शारदा जी ने न केवल भोजपुरी गीत गाए हैं, बल्कि बॉलीवुड की कई मशहूर फिल्मों में भी अपनी आवाज दी है. उन्होंने ‘मैंने प्यार किया’ फिल्म में ‘कहे तोसे सजना’ और ‘हम आपके हैं कौन’ में ‘बाबुल’ जैसे गाने गाए थे.
Sharda Sinha Awards: पद्मश्री से हैं सम्मानित
बिहार की स्वर कोकिला शारदा सिन्हा जी को उनकी गायकी और संगीत की दुनिया में उनके योगदान के लिए कई बड़े पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है. साल 1991 में उन्हें पद्मश्री और 2018 में पद्म भूषण जैसे राष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा गया था. इसके अलावा उन्हें ‘भिखारी ठाकुर सम्मान’, ‘बिहार गौरव’, ‘बिहार रत्न’ और ‘मिथिला विभूति’ जैसे कई अवॉर्ड्स भी मिले हैं. स्वर कोकिला शारदा सिन्हा जी को ‘बिहार कोकिला’ और ‘भोजपुरी कोकिला’ जैसे खिताबों से भी नवाजा गया है.
Sharda Sinha Career: संगीत में हमेशा रही रुचि
ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय से संगीत में पीएचडी करके उन्हें संगीत का गहराई से अध्ययन करने का मौका मिला. इस दौरान उन्होंने संगीत के सिद्धांत, इतिहास और सांस्कृतिक महत्व को समझा. शारदा सिन्हा जी ने यहीं लोक और शास्त्रीय संगीत के बारे में जाना. इससे उन्हें संगीतकार और शोधकर्ता के तौर पर विकसित होने में मदद मिली. शारदा सिन्हा ने मगध महिला कॉलेज और प्रयाग संगीत समिति से भी खास प्रशिक्षण लिया था.