महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान में अब बस 1 हफ्ते का वक्त रह गया है. इस एक हफ्ते में ही मतदाता तय करेंगे कि महाराष्ट्र में सरकार किसकी बनेगी. इधर सूत्रों की मानें तो RSS ने इस एक हफ्ते के लिए विशेष तैयारियां की हैं. संघ कार्य योजना से महाराष्ट्र पश्चिम क्षेत्र में आता है और इस पश्चिम क्षेत्र में महाराष्ट्र के साथ गोवा और गुजरात राज्य आते हैं.
संघ की दृष्टि से महाराष्ट्र को चार प्रांतों में बांटा गया हैं- विदर्भ, देवगिरी, पश्चिम महाराष्ट्र और कोंकण प्रांत… संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम ना बताने की शर्त पर न्यूज18 इंडिया को बताया कि चुनाव की दृष्टि से सभी चारों प्रांत के प्रांत पदाधिकारियों को जिम्मेदारी सौंपी गई हैं. हर प्रांत पदाधिकारी को 2 विधानसभाओं की जिम्मेदारी दी गई है.
क्या है 1-2-3 फॉर्मूला?
इसके साथ विभाग के पदाधिकारियों को भी इस योजना के तहत जिम्मेदारियां दी गई हैं. विभाग के 2 पदाधिकारियों को 1 विधानसभा की जिम्मेदारी दी गई है. इसलिए रणनीति के मुताबिक हर विधानसभा में संघ के 3 पदाधिकारी मौजूद रहेंगे. ये तीनों पदाधिकारी बीजेपी और सभी सहयोगी संगठनों के साथ बेहतर तालमेल को लेकर रणनीति तो बनाएंगे ही, लेकिन इसके साथ बूथ स्तर पर नाराज और निष्क्रिय स्वयंसेवकों को भी एकजुट करने का काम करेंगे और गांव-गांव से मिल रहे फीडबैक पर भी नजर रखेंगे.
महाराष्ट्र में आरएसएस की जड़ें सबसे गहरी हैं. नागपुर में संघ का मुख्यालय भी है. राज्य के टॉप बीजेपी नेताओं- देवेंद्र फडणवीस और नितिन गडकरी के साथ भी आरएसएस के घनिष्ठ संबंध हैं.
इससे पहले यह भी खबर आई थी कि आरएसएस ने विधानसभा चुनाव के वोटिंग होने तक लोगों के साथ 50,000 से 70,000 छोटी बैठकें करने की योजना बनाई है. संघ इसे अपनी निरंतर लोक जागरण गतिविधि कहता है. आरएसएस ने हरियाणा में भी ऐसे ही ताबड़तोड़ बैठकें की थी और हालिया चुनावों में इसके अच्छे नतीजे देखने को मिले थे. ऐसे में अब संघ हरियाणा की तरह महाराष्ट्र में भी अपनी ताकत झोंककर बीजेपी नीत महायुति सरकार की नैया पार लगाने की कोशिश में जुटा है.