27 नवंबर 2024 (भारत बानी ब्यूरो ) – मैंगोस्टीन को “फलों की रानी” कहा जाता है। जहां कई लोग कटहल और आम पसंद नहीं करते, वहीं मैंगोस्टीन का अनोखा स्वाद सभी को भाता है। यह मुख्य रूप से केरल के कोल्लम क्षेत्र में उगाया जाता है और घरों व बागानों में भी इसकी खेती की जाती है। तमिलनाडु के तेनकासी जिले के कोर्टालम साउथ हिल और सेंगोट्टई इलाकों में भी यह फल उगाया जाता है।
यह फल केवल उन स्थानों पर उगता है जहां मिट्टी उपजाऊ और पर्यावरण अनुकूल होता है। इसे केरल से पौधे के रूप में लाकर लाल मिट्टी वाले क्षेत्रों में उगाया जाता है। मैंगोस्टीन की चार से पांच किस्में पाई जाती हैं। स्वादिष्ट होने के साथ-साथ यह फल स्वास्थ्य के लिए भी बेहद फायदेमंद माना जाता है।
फल का मौसम कब आता है?
मैंगोस्टीन साल में केवल एक बार, मानसून के दौरान, यानी जून और जुलाई में फलता है। इसे सबसे अच्छे मौसमी फलों में से एक माना जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों के फल अपने-अपने स्थानों में प्रसिद्ध होते हैं, जैसे कोडईकनाल की नाशपाती और दक्षिण कश्मीर की कुर्दाला पहाड़ियों में उगने वाला मैंगोस्टीन।
कौन खा सकता है?
गर्भवती महिलाएं और बुजुर्ग यदि रोजाना एक मैंगोस्टीन का सेवन करें, तो इसमें मौजूद विटामिन और मिनरल्स उनकी सेहत के लिए बेहद लाभकारी हो सकते हैं, जिससे डॉक्टर के पास जाने की जरूरत कम हो सकती है। यह फल खासकर तेनकासी जिले के वल्लम क्षेत्र में ज्यादा बिकता है, जहां हर शाम 4 बजे से रात 12 बजे तक नीलामी होती है। यहां मैंगोस्टीन की कीमत 500 रुपये से 700 रुपये तक होती है।
खरीदते समय ध्यान देने योग्य बातें
मैंगोस्टीन खरीदते वक्त उसकी गुणवत्ता पर खास ध्यान दें। यदि फल बाहर से अच्छा दिखता हो, लेकिन अंदर पीले रंग का दूध जैसा पदार्थ हो, तो वह खाने लायक नहीं होता। एक अच्छा मैंगोस्टीन नर्म और हल्के दबाने पर मुलायम महसूस होना चाहिए।