28 नवंबर 2024 (भारत बानी ब्यूरो ) –‘Cold feet’ एक मेडिकल समस्या है, जिसमें पैरों का तापमान सामान्य से कम रहता है। इसके कारणों में सर्दी, खराब रक्त संचार, थायराइड, खून की कमी, धूम्रपान, और तनाव शामिल हैं। इससे बचने के लिए गर्म जुराबें पहनें, शारीरिक गतिविधि करें और आयरन-युक्त आहार लें।
‘Cold feet’ अंग्रेजी में एक मुहावरा है, जिसका अर्थ है किसी डर या संकोच के कारण वादा न करना। लेकिन मेडिकल क्षेत्र में ‘cold feet’ एक स्थिति को कहा जाता है, जिसमें पैरों का तापमान हमेशा ठंडा रहता है, खासकर सर्दियों में। कुछ लोग यह शिकायत करते हैं कि उनके पैर हमेशा ठंडे रहते हैं, भले ही वे रजाई या कंबल में लिपटे होते हैं। वहीं, कुछ लोगों के पैर गर्मियों में भी ठंडे रहते हैं। पैरों का ठंडा रहना सामान्य नहीं है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि यह किसी गंभीर बीमारी का संकेत हो सकता है।
कोल्ड फीट के कारण:
- मौसम का प्रभाव: सर्दी के मौसम में पैरों को हमेशा ढका रखना चाहिए। पारस अस्पताल, गुरुग्राम के इंटरनल मेडिसिन विभाग के डॉ. संजय गुप्ता के अनुसार, जब पैरों को बिना ढके छोड़ दिया जाता है तो ठंडी हवाओं के कारण पैरों की नसें सिकुड़ जाती हैं, जिससे खून का प्रवाह कम हो जाता है और पैर ठंडे हो जाते हैं। अगर शरीर में रक्त संचार सही होता है तो शरीर को गर्माहट मिलती है और पैरों का तापमान सामान्य रहता है।
- लंबे समय तक बैठना या धूम्रपान: हेल्थलाइन के अनुसार, खराब जीवनशैली के कारण भी पैरों का ठंडा रहना हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठकर काम करता है, तो रक्त का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे पैर ठंडे रहते हैं। बीच-बीच में खड़े होकर या चलकर रक्त संचार में सुधार किया जा सकता है। इसके अलावा, धूम्रपान या तंबाकू सेवन से भी रक्त संचार पर बुरा असर पड़ता है, जिससे पैरों का तापमान गिर सकता है।
- कोलेस्ट्रॉल का अधिक स्तर: यदि शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर अधिक हो, तो दिल की धमनियों से पैरों तक खून नहीं पहुंच पाता, जिसके कारण पैर ठंडे रह सकते हैं।
- थायराइड की समस्या: थायराइड हॉर्मोन का कम बनना हाइपोथायरायडिज्म या अंडरएक्टिव थायरॉयड कहलाता है। इससे मेटाबोलिज्म पर नकारात्मक असर पड़ता है और रक्त संचार, हार्ट बीट और शरीर के तापमान में गड़बड़ी होती है। इस समस्या से प्रभावित व्यक्ति के पैर ठंडे रहते हैं, साथ ही थकान, वजन बढ़ना और याददाश्त की कमी भी हो सकती है।
- खून की कमी (एनीमिया): जिन लोगों में खून की कमी होती है, यानी वे एनीमिया से पीड़ित होते हैं, उनके पैरों का तापमान भी ठंडा रह सकता है। इसके अलावा, जिनमें आयरन, फॉलेट या विटामिन बी12 की कमी होती है, उनके लिए भी यह समस्या हो सकती है।
- नर्व डिसऑर्डर (नसों से जुड़ी समस्याएं): कुछ लोग चोट के कारण नसों को नुकसान पहुंचाते हैं। कभी-कभी ठंड के कारण नसों में भी खराबी आ सकती है, जैसे कि फ्रोसबाइट के कारण। इससे नसों में खून का प्रवाह कम होता है और पैरों का तापमान गिर जाता है। किडनी या लिवर की बीमारियों में भी नसों का नुकसान हो सकता है, जिसके कारण कोल्ड फीट की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
- तनाव और एंग्जाइटी: अत्यधिक तनाव और एंग्जाइटी से भी पैरों का तापमान कम हो सकता है। जब शरीर पर अत्यधिक दबाव होता है, तो रक्त प्रवाह घटने लगता है, जिससे पैरों का तापमान गिर जाता है।
ठंडे पैरों से निपटने के उपाय:
- गर्म जुराबें पहनें: पैरों को हमेशा गर्म रखने के लिए जुराबों का उपयोग करें, खासकर सर्दियों में।
- कार्डियो एक्टिविटी: नियमित रूप से शारीरिक गतिविधि करें, जैसे कि वॉक, जॉगिंग, साइक्लिंग आदि, ताकि रक्त संचार बेहतर हो सके। पैरों को गर्म पानी में 10-15 मिनट तक भिगोकर रखें, इससे रक्त संचार में सुधार होगा।
- डाइट में बदलाव: अच्छी रक्त संचार के लिए अपने आहार में आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां, खजूर, किशमिश और अनार शामिल करें। विटामिन बी12 से भरपूर डेयरी उत्पाद, मछली और अंडे भी खाएं। इसके अलावा अलसी, चिया सीड्स, अखरोट, लहसुन, प्याज, संतरे और चुकंदर जैसे खाद्य पदार्थ रक्त संचार में सुधार करते हैं।
इन कारणों और उपायों को ध्यान में रखते हुए आप कोल्ड फीट की समस्या को कम कर सकते हैं और अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।