मुंबई 29 नवंबर 2024 (भारत बानी ब्यूरो ) – युद्ध में हथियारों और तकनीकों के बारे में कहा जाता है कि उन्हें समय से आगे रहना होता है. इसकी वजह बताई जाती है कि दुश्मन देश आप से आगे निकल कर आपके हथियारों से बेहतर हथियार बनाकर आपको आसानी से मात दे सकता है. फिलहाल यूक्रेन युद्ध में तकनीकों का ही परीक्षण हो रहा है. हाल ही में मशहूर अरबपति और टेस्ला के सीईओ एलन मस्क ने इस बारे में एक अहम बयान दिया है. उनका कहना है कि ड्रोन के दौर में पायलट वाले फाइटर प्लेन बनाना बेवकूफी जैसा लगता है.
क्या आउटडेटेड हो गए हैं एफ35 फाइटर प्लेन?
टेक उद्योग और आज के युद्धों के अनुभव यही बताते हैं ड्रोन युद्ध के हालात को पूरी तरह से बदल रहे हैं और ऐसा लगता है कि अब एफ35 स्टील्थ फाइटर प्लेन की जगह बिना पायलट वाले उन्नत प्लेन ले सकते हैं. कई विश्लेषकों का यही मानना है कि इसमें अभी समय है, लेकिन मस्क ने इस हफ्ते एक्स पर कुछ पोस्ट डालीं जिनमें उन्होंने एफ35 विमान की डिजाइन की आलोचना की है. उन्होंने यूक्रेन युद्ध की ओर इशारा करते हुए कहा कि पायलट वाले जेट पूरी तरह पुराने और नाकाफी हो गए थे.
क्यों दी जा रही है मस्क के बया को अहमियत
मस्क की तरह गूगल के पूर्व सीईओ एरिक स्मिथ ने पिछले महीने टैंकों को बी बेकार कहा था और उन्हें बेच कर ड्रोन खरीदने की सलाह दी थी. गौरतलब है कि मस्क हाल ही में अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए डोनाल्ड ट्रम्प के गवर्नमेंट एफीशिएंसी इनीशिएटिव विभाग का हिस्सा हैं और सरकार के होने वाले खर्चों को कम करने के उपाय तलाशेंगे. पायलट वाले जेट की आलोचना उनके इसी भूमिका के लिहाज से देखा जा रहा है.
एफ35 के साथ दिक्कतें
एफ35 फाइटर अमेरिका रक्षा विभाग पेंटागन के सबसे खर्चीले हथियार सिस्टम प्रोग्राम है. मस्क ने पहले सुझाया था कि एफ35 के विकास में आई दिक्कतें सेना के लिए सबसे अच्छी बात नहीं थी. चार साल पहले उन्होंने कहा कि था रिमोट कंट्रोल वाले बिना पायलट वाले फाइटर एफ35 का बेहतर विकल्प होंगे. उन्होंने दलील दी थी कि भविष्य ऑटोनोमस ड्रोन हथियारों और उपकरणों का है. और इस हफ्ते उन्होंने कहा कि पायलट वाले फाइटर जेट्स ड्रोन के युग में पुराने हो गए हैं.
ड्रोन की सीमाएं
छोटे सस्ते ड्रोन जमनी युद्ध को नए विकल्प देकर हालात बदल रहे हैं. लेकिन हवा और समुद्र में जदहां बहुत ही ज्यादा बड़े इलाके में लड़ाई लड़नी होती है, पर्याप्त रूप से कारगर नहीं है क्योंकि वे ना तो ज्यादा मारक सामग्री साथ ले जा सकते हैं, ना ही उनका दायरा पर्याप्त है. इसके अलावा एक्सपर्ट्स का कहना है कि ड्रोन अभी इतने बड़े तौर से डिजाइन होने भी शुरू नहीं हुए हैं कि पायलट वाले फाइटर जेट की जगह ले सकें.
ड्रोन के साथ कहां दिक्कत
वैसे भी अभी सभी का ध्यान सस्ते और छोटे ड्रोन बनाने में हैं जिससे वे बहुत अधिक संख्या में बनाए जा सकें. रॉयल यूनाइटेड सर्विसेस इंस्टीट्यूट एयरपॉवर विश्लेषक जस्टिन ब्रोंक का कहना हैकि इंडो पैसिफिक जैसे बहुत ही फैले हुए इलाके में अमेरिका को तेज, नीचे से गुजर पाने वाले , उन्नत सेंसर वाले उपकरण की जरूरत है जो बहुत लंबी दूर तक हवा में रह सकें और ऐसा छोटे UAV या ड्रोन नहीं कर सकते हैं.
क्या हो सकती है दिक्कत
यहां पूरी क्षमता वाले उपकरण का मतलब होगा बड़े, महंगे और उन्नत यान. वहीं बहुत दूर से नियंत्रित होने वाले सिस्टम केवल कुछ ही मांगों को पूरा कर पाते हैं और कुछ की लागत एफ-35 तक की हो जाती है.लेकिन उन्हें इलेक्ट्रॉनिक युद्ध उपकरणों और सतह से हवा में मार कर वाले हथियारों का खतरा होता है.
संभावनाएं हैं बहुत
लेकिन फाइटर प्लेन को ही पायलट रहित बनाना कई संभावनाएं खोलता है. आपको अब कॉकपिट की जरूरत नहीं होगी और आप पूरी तरह से लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटा सकते हैं. सेना के विशेषज्ञ बताते हैं कि एफ35 पांचवी पीढ़ी की स्टील्थ जेट है जो केवल एक फाइटर प्लेन ही नहीं बल्कि बॉम्बर, निगरानी उपकरण, लड़ाई के प्रबंधंन का मंच, और प्रमुख संचांर बिंदु भी है.. मिचेल इंस्टीट्यूट फॉर एरोस्पेस स्टडीज के फ्यूचर कॉन्सेप्ट्स कैपेबिलिटी एसेसमेंट के निदेशक मार्क गनजिंजर का कहना है कि बिना पायलट के प्लेन ऐसी काबिलियत के आगे नहीं ठहरते हैं. अभी ऐसी तकनीक ही नहीं है.
ये सच है कि एक दिन ड्रोन में सारी क्षमताएं होंगी पर फिर भी फ्लाइंग कॉम्बैट मिशन में इंसानी पायलट रखने के कई फायदे होंगे. बीच लड़ाई में कई बार बीच मैदान में ही फैसले लेने होते हैं. गनजिंजर कहते हैं कि ऐसे में हमें दोनों की जरूरत होगी. अहम बात यही कि दोनों का बेहतरीन इस्तेमाल कैसे किया जाता है.