International, 4 दिसंबर 2024 (भारत बानी ब्यूरो ) – भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में इजराइल के खिलाफ एक प्रस्ताव का समर्थन करते हुए फिलिस्तीन के प्रति अपने पुराने रुख को दोहराया। इस प्रस्ताव में इजराइल से 1967 से कब्जा की गई फिलिस्तीनी जमीन, खासकर पूर्वी यरुशलम, से हटने की मांग की गई है। प्रस्ताव “फिलिस्तीन के सवाल का शांतिपूर्ण समाधान” के तहत सेनेगल द्वारा पेश किया गया, जिसे 157 देशों का समर्थन मिला। इजराइल, अमेरिका और अन्य सात देशों ने इसका विरोध किया, जबकि कुछ देशों ने तटस्थ रुख अपनाया।
भारत ने इस प्रस्ताव का समर्थन कर “दो राष्ट्र समाधान” (Two-State Solution) की अपनी प्रतिबद्धता को दोहराया और मिडिल ईस्ट में शांति और फिलिस्तीनी आत्मनिर्णय के अधिकार की वकालत की।
प्रस्ताव की मुख्य बातें:
- इजराइल से तुरंत कब्जा छोड़ने की मांग, विशेषकर पूर्वी यरुशलम से।
- फिलिस्तीनियों के आत्मनिर्णय और स्वतंत्र राष्ट्र के अधिकार की पुष्टि।
- इजराइल से अंतरराष्ट्रीय कानून और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय के फैसले का पालन करने की अपील।
- गाजा पट्टी में जनसांख्यिकीय या क्षेत्रीय बदलाव को अस्वीकार करना।
इजराइल-फिलिस्तीन विवाद का ऐतिहासिक संदर्भ
संयुक्त राष्ट्र लंबे समय से इजराइल से फिलिस्तीनी क्षेत्रों को खाली करने की मांग करता रहा है। यह विवाद दशकों पुराना है और वैश्विक स्तर पर विभाजन का कारण बना है। हालांकि, अमेरिका जैसे देश इन प्रस्तावों का लगातार विरोध करते हुए इजराइल का समर्थन करते आए हैं।
सीरियाई गोलान हाइट्स पर भारत का रुख
फिलिस्तीन के समर्थन के अलावा, भारत ने एक अन्य प्रस्ताव का भी समर्थन किया, जिसमें इजराइल से सीरियाई गोलान हाइट्स से हटने की मांग की गई। इस प्रस्ताव में 1967 के बाद इजराइल की अवैध बस्तियों और अन्य गतिविधियों की आलोचना की गई है। यह प्रस्ताव 97 देशों के समर्थन से पारित हुआ, जबकि 64 देशों ने तटस्थ रुख अपनाया।
सारांश – भारत ने UNGA में इजराइल के खिलाफ प्रस्ताव का समर्थन करते हुए “दो राष्ट्र समाधान” और फिलिस्तीन के आत्मनिर्णय की वकालत की। प्रस्ताव में इजराइल से 1967 से कब्जाई जमीन, विशेषकर पूर्वी यरुशलम, छोड़ने की मांग की गई। भारत ने सीरियाई गोलान हाइट्स पर इजराइल की वापसी के प्रस्ताव का भी समर्थन किया।