नेशनल, 4 दिसंबर 2024 (भारत बानी ब्यूरो ) – दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मंगलवार रात अपने आपातकालीन संबोधन में देश में लागू किया गया मार्शल लॉ हटाने की घोषणा की। यह कदम संसद और सत्तारूढ़ दल के भीतर भारी विरोध के बाद उठाया गया। संसद में हुए मतदान में 300 में से 190 सांसदों ने मार्शल लॉ के खिलाफ वोट दिया, जिससे इसे रद्द कर दिया गया।
मार्शल लॉ लगाने का कारण
राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मार्शल लॉ की घोषणा करते हुए विपक्षी दलों पर सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि विपक्ष उत्तर कोरिया समर्थित तत्वों के साथ मिलकर देश की संवैधानिक व्यवस्था को कमजोर कर रहा है। यून का दावा था कि यह कदम देश की सुरक्षा और संविधान की रक्षा के लिए आवश्यक है।
राजनीतिक संकट और विरोध प्रदर्शन
मार्शल लॉ की घोषणा से देश में तीव्र राजनीतिक तनाव उत्पन्न हो गया। विपक्षी दलों ने इसे असंवैधानिक और लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया। संसद में हुए मतदान के दौरान अधिकांश सांसदों ने इस कदम का विरोध किया। संसद के बाहर भी हजारों लोग प्रदर्शन करने पहुंचे, जहां सरकार के खिलाफ नारेबाजी हुई और राष्ट्रीय ध्वज लहराए गए।
सत्तारूढ़ दल में असहमति
राष्ट्रपति यून को अपनी पार्टी के भीतर भी असंतोष का सामना करना पड़ा। पीपुल्स पावर पार्टी के वरिष्ठ नेता हैन डोंग-हून समेत कई नेताओं ने इस फैसले का विरोध किया। पार्टी के भीतर मतभेद बढ़ने से राष्ट्रपति की स्थिति कमजोर हो गई।
मार्शल लॉ का रद्द होना
भारी विरोध और संसद में निर्णायक वोटिंग के बाद राष्ट्रपति यून को मार्शल लॉ हटाने का फैसला लेना पड़ा। उन्होंने देशवासियों को संबोधित करते हुए लोकतांत्रिक मूल्यों और संविधान का सम्मान करने का आश्वासन दिया। हालांकि, इस फैसले के बाद भी देश में राजनीतिक असंतोष और विरोध की स्थिति बनी हुई है।
यह घटनाक्रम दक्षिण कोरिया में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और राजनीतिक स्थिरता को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर रहा है, जिससे आगे की राजनीतिक दिशा पर सवाल उठ रहे हैं।
सारांश – दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक-योल ने मार्शल लॉ की घोषणा की थी, जिसे संसद में भारी विरोध का सामना करना पड़ा। 300 में से 190 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया, जिससे मार्शल लॉ रद्द कर दिया गया। राष्ट्रपति ने विपक्षी दलों पर सरकार को अस्थिर करने और संवैधानिक व्यवस्था को कमजोर करने का आरोप लगाया था। मार्शल लॉ के बाद राजनीतिक तनाव बढ़ गया, और विरोध प्रदर्शन भी हुए। राष्ट्रपति के फैसले का उनकी ही पार्टी के नेताओं ने भी विरोध किया। अंततः, राष्ट्रपति को यह कदम वापस लेना पड़ा और मार्शल लॉ को हटाने की घोषणा की। यह घटनाक्रम दक्षिण कोरिया में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को लेकर चिंता पैदा कर रहा है।