9 दिसंबर 2024 (भारत बानी ब्यूरो ) – लालू प्रसाद यादव ने कराई कायरोप्रैक्टिक थेरेपी, क्या है यह तकनीक?

हाल ही में एक यूट्यूब वीडियो में दिखाया गया कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने कायरोप्रैक्टिक थेरेपी कराई। वीडियो में देखा गया कि एक कायरोप्रैक्टर ने उनके शरीर के जोड़ों से हल्की आवाजें निकालकर उन्हें आराम दिलाया। सोशल मीडिया पर ऐसी रील्स तेजी से वायरल हो रही हैं, जिनमें यह थेरेपी कुछ सेकंड में हड्डियों और मांसपेशियों का तनाव दूर करने का दावा करती है।

कायरोप्रैक्टिक थेरेपी क्या है?

कायरोप्रैक्टिक थेरेपी की शुरुआत 1895 में डेनियल डेविड पाल्मर ने की थी। यह ग्रीक शब्द कायरोप्रैक्टिक से बना है, जिसका अर्थ है “हाथ से की जाने वाली चिकित्सा”। इस पद्धति में शरीर के जोड़ और रीढ़ की हड्डी को खास तकनीक से एडजस्ट किया जाता है। इससे बैक पेन, नेक पेन, मसल्स पेन और सिरदर्द जैसी समस्याओं में आराम मिलने का दावा किया जाता है।

मेडिकल साइंस का दृष्टिकोण

मेडिकल जगत में कायरोप्रैक्टिक को फिजियोथेरेपी का विकल्प नहीं माना जाता। हालांकि, ब्रिटिश मेडिकल जर्नल और जर्नल ऑफ द अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) की कुछ स्टडीज के अनुसार, यह पद्धति अस्थायी रूप से बैक पेन जैसी समस्याओं में मदद कर सकती है। लेकिन लंबे समय तक इसके प्रभाव को प्रमाणित करने के लिए अभी और शोध की आवश्यकता है।

जोखिम और साइड इफेक्ट्स

कायरोप्रैक्टिक थेरेपी के संभावित साइड इफेक्ट्स को लेकर विशेषज्ञों में मतभेद हैं। सोशल मीडिया पर लिवर डॉक्टर के नाम से प्रसिद्ध एबे फिलिप ने इसे जोखिम भरा बताया और कहा कि गंभीर मामलों में यह जानलेवा भी हो सकती है।

क्या इस पर भरोसा किया जाए?

अमेरिका समेत कई देशों में कायरोप्रैक्टिक थेरेपी को कानूनी मान्यता प्राप्त है, और इसके लिए सख्त लाइसेंसिंग नियम बनाए गए हैं। हालांकि, थेरेपी का चुनाव करते समय मरीजों को सावधानी बरतनी चाहिए और इसे किसी प्रमाणित विशेषज्ञ से ही करवाना चाहिए।

सारांश – लालू प्रसाद यादव ने हाल ही में कायरोप्रैक्टिक थेरेपी कराई, जो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी। यह थेरेपी हड्डियों और मांसपेशियों के दर्द में राहत देने के लिए जोड़ों और रीढ़ की हड्डी को विशेष तकनीक से एडजस्ट करती है। इसकी शुरुआत 1895 में हुई थी। हालांकि, चिकित्सा जगत इसे फिजियोथेरेपी का विकल्प नहीं मानता। कुछ स्टडीज में अस्थायी आराम मिलने की बात कही गई है, लेकिन इसके प्रभाव और सुरक्षा पर और शोध की आवश्यकता है। विशेषज्ञ साइड इफेक्ट्स और जोखिमों को लेकर सतर्क रहने की सलाह देते हैं। केवल प्रमाणित विशेषज्ञ से ही यह थेरेपी करानी चाहिए।

Bharat Baani Bureau

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