10 दिसंबर 2024 (भारत बानी ब्यूरो ) – डॉ. एस. के. सरीन ने गर्दन के पीछे काली रेखा से जुड़ी अहम जानकारी दी है, जो लिवर की सेहत से जुड़ी हो सकती है। उन्होंने बताया कि अगर गर्दन के पीछे काली रेखाएं हैं, तो यह लिवर की खराबी का संकेत हो सकता है, साथ ही यह डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारियों का भी संकेत दे सकता है। इसे मेडिकल टर्म में “Acanthosis nigricans” कहा जाता है, जिसमें गर्दन की त्वचा काली, पतली और पैच वाली हो जाती है। यह मोटापे से पीड़ित लोगों में अक्सर देखा जाता है।

डॉ. सरीन ने बताया कि गर्दन की मोटाई अगर 37 सेंटीमीटर से अधिक हो, तो यह लिवर की समस्या को दर्शाता है। इसके अलावा गर्दन पर मस्से का आकार बदलना या रंग बदलना भी चिंता का कारण हो सकता है। उन्होंने कहा कि गर्दन की मोटाई सामान्य और साफ-सुथरी होनी चाहिए, और कॉलर साइज छोटा रखा जाना चाहिए।

लिवर को स्वस्थ रखने के लिए नियमित एक्सरसाइज और हेल्दी डाइट महत्वपूर्ण है। डॉ. सरीन ने सलाह दी कि तेज दौड़, साइकिल चलाना, तैराकी और लंबी सैर जैसी एक्सरसाइज करनी चाहिए। इसके अलावा, हरी पत्तेदार सब्जियां, साबुत अनाज, ताजे फल, और ड्राई फ्रूट्स का सेवन करना चाहिए, जबकि पैकेटबंद और जंक फूड से बचना चाहिए।

सारांश – डॉ. एस. के. सरीन ने गर्दन के पीछे काली रेखाओं और मोटी गर्दन को लिवर की खराबी का संकेत बताया। उन्होंने कहा कि “Acanthosis nigricans” नामक स्थिति लिवर, डायबिटीज और कैंसर से जुड़ी हो सकती है। गर्दन की मोटाई 37 सेंटीमीटर से अधिक होने पर लिवर की समस्या हो सकती है। लिवर को स्वस्थ रखने के लिए नियमित एक्सरसाइज, हेल्दी डाइट, और पैकेटबंद या जंक फूड से परहेज करने की सलाह दी।

Bharat Baani Bureau

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