आकाश कुमार,जमशेदपुर 14 जनवरी 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) -: किशोरावस्था (टीनेज) एक ऐसा महत्वपूर्ण दौर है, जब बच्चे मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक बदलावों से गुजरते हैं. इस समय वे स्वतंत्रता और अपनी पहचान बनाने की कोशिश करते हैं. हालांकि, इसी दौरान कई बार बच्चे अपने मां-बाप से दूर हो जाते हैं और बाहरी दुनिया, विशेषकर दोस्तों की ओर अधिक झुकाव दिखाने लगते हैं. यह न केवल माता-पिता के लिए चिंता का कारण बनता है, बल्कि बच्चे के विकास पर भी प्रभाव डाल सकता है.
इस विषय पर साइकैटरिस्ट दीपक गिरी ने Local18 को जानकारी दी कि क्यों किशोर बाहरी दुनिया की ओर आकर्षित होते हैं और माता-पिता इस स्थिति से कैसे निपट सकते हैं.
किशोरों का मनोविज्ञान: क्यों होता है बाहरी दुनिया का आकर्षण?
1. स्वतंत्रता की चाह:
किशोरावस्था में बच्चे चाहते हैं कि वे अपने फैसले खुद लें. माता-पिता की सलाह या रोक-टोक को वे अपनी आजादी में बाधा मानते हैं.
2. साथियों का प्रभाव:
इस उम्र में दोस्त और बाहरी लोग बच्चों की जिंदगी में बड़ी भूमिका निभाने लगते हैं. उन्हें लगता है कि उनके दोस्त उनकी भावनाओं और समस्याओं को ज्यादा समझते हैं.
3. मां-बाप का सख्त रवैया:
माता-पिता का बार-बार डांटना या हर बात में रोकना बच्चों को यह महसूस कराता है कि उनके माता-पिता उनकी इच्छाओं के खिलाफ हैं.
4. हार्मोनल बदलाव:
किशोरावस्था में हार्मोनल बदलाव बच्चों को चिड़चिड़ा और भावुक बना देते हैं. वे छोटी-छोटी बातों पर जल्दी प्रतिक्रिया देते हैं और खुद को गलत समझा जाने का अनुभव करते हैं.
किशोरों को सही दिशा दिखाने के समाधान
किशोरों को सही मार्गदर्शन देने के लिए माता-पिता को धैर्य और समझदारी के साथ काम करना चाहिए. यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:
1. संवाद को प्राथमिकता दें:
बच्चों से खुलकर बात करें. उनसे उनकी भावनाओं, दोस्तों और पसंद-नापसंद के बारे में पूछें. यह उन्हें विश्वास दिलाएगा कि आप उनकी परवाह करते हैं.
2. समय बिताएं:
बच्चों के साथ समय बिताना बेहद जरूरी है. उनकी रुचियों में भाग लें, जैसे खेल, कला या कोई और गतिविधि. इससे आपके रिश्ते मजबूत होंगे.
3. उनकी गलतियों को समझाएं:
बच्चों को डांटने के बजाय उनकी गलतियों को प्यार से समझाएं. उन्हें बताएं कि कौन-सी बातें सही हैं और कौन-सी नहीं.
4. स्वतंत्रता का सम्मान करें:
छोटे-छोटे फैसले बच्चों को खुद लेने दें. इससे वे आत्मनिर्भर बनेंगे और उन्हें यह महसूस होगा कि आप उनकी स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं.
5. दोस्ताना रिश्ता बनाएं:
माता-पिता को बच्चों के साथ दोस्ताना रिश्ता रखना चाहिए. ऐसा माहौल बनाएं, जिसमें वे अपनी बात खुलकर कह सकें.
माता-पिता की जिम्मेदारी
किशोरावस्था बच्चों के जीवन का एक जटिल लेकिन महत्वपूर्ण चरण है. इस समय उन्हें सही दिशा दिखाना माता-पिता की प्राथमिक जिम्मेदारी है. साइकैटरिस्ट दीपक गिरी का मानना है कि अगर माता-पिता बच्चों के साथ धैर्य और प्यार से पेश आएं, तो वे न केवल बाहरी दुनिया के नकारात्मक प्रभावों से बचेंगे, बल्कि अपने माता-पिता के करीब भी रहेंगे.