नई दिल्‍ली 15 जनवरी 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) -. लोकसभा चुनाव 2024 में हार के बाद पिछले करीब छह महीनों से भी अधिक वक्‍त से सुर्खियों से दूर स्‍मृति ईरानी एक बार फिर पीएम मोदी की टीम में शामिल हो गई हैं. एक मंत्री के तौर पर नहीं बल्कि इस बार उनकी भूमिका पहले से कुछ अलग होगी. सरकार ने प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय (पीएमएमएल) की कार्यकारी परिषद में स्‍मृति ईरानी को जगह दी है. वो पीएम मोदी के पहले 10 साल के कार्यकाल के दौरान शिक्षा और कपड़ा मंत्री रह चुकी हैं. सरकार ने प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय  की कार्यकारी परिषद का पुनर्गठन किया गया है.

नई व्‍यवस्‍था के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पूर्व प्रधान सचिव नृपेंद्र मिश्रा को अध्यक्ष के तौर पर पांच साल का अतिरिक्‍त कार्यकाल दिया गया है. नए सदस्यों के तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी, ​​सेवानिवृत्त सेना जनरल सैयद अता हसनैन, नीति आयोग के पूर्व अध्यक्ष राजीव कुमार और फिल्म निर्माता शेखर कपूर को शामिल किया गया हैं. सोसाइटी और परिषद में नामित सदस्यों का कार्यकाल अधिकतम पांच साल का होता है. नियम के अनुसार 5 साल या अगले आदेश तक सदस्‍य अपने पद पर रह सकता है. पिछली कार्यकारी परिषद का कार्यकाल सोमवार को समाप्त हो गया था.

क्‍या है प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय?
स्‍मृति ईरानी का इस लिस्‍ट में शामिल होना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि लोकसभा चुनावों में हार के बाद वह सुर्खियों से गायब हो गई थीं. इस परिषद का नेतृत्व खुद पीएम मोदी करते हैं. वो परिषद के अध्यक्ष है जबकि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इसके उपाध्यक्ष हैं. पहले प्रधानमंत्री संग्रहालय एवं पुस्तकालय के सदस्‍यों की संख्‍या 29 थी. अब इसे बढ़ाक बढ़ाकर 34 कर दिया गया है. पीएमएमएल का पहले नाम नेहरु स्मारक संग्रहालय एवं पुस्तकालय था. इसका लक्ष्य भारत के स्वतंत्रता संग्राम और उसका पुनर्निर्माण से जुड़ी चीजों को संरक्षित करना है.

दिल्‍ली चुनाव में स्‍मृति को अहम जिम्‍मेदारी!
स्‍मृति ईरानी हाल के दिनों में दिल्‍ली चुनाव 2025 के दौरान पार्टी की गतिविधियों में कुछ एक्टिव नजर आई. उन्‍होंने कई मौकों पर बीजेपी मुख्‍यालय से आम आदमी पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोला. स्‍मृति ईरानी साल 2019 में राहुल गांधी को अमेठी सीट से मात देने के बाद लोकसभा सदस्‍य बनी थी. इससे पहले वो राज्‍यसभा की सदस्‍य थी. इस तरह की खबरें भी मीडिया में काफी चर्चा का विषय बनी रही कि राहुल गांधी ने अमेठी सीट को स्‍मृति ईरानी से हार के डर से ही छोड़ दिया था. हालांकि राहुल की गैर-मौजूदगी में भी स्‍मृति लोकसभ चुनाव में इस सीट को नहीं निकाल पाई थी.

Bharat Baani Bureau

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