जामनगर 21 जनवरी 2025 (भारत बानी ब्यूरो ): सर्दियों का मौसम स्वास्थ्य के लिहाज से सबसे लाभकारी माना जाता है. इस समय शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (immunity of the body) को बढ़ाने के लिए सही आहार का सेवन जरूरी होता है. खासकर च्यवनप्राश का सेवन इस मौसम में अधिक किया जाता है क्योंकि यह शरीर को ताकत देता है और रोगों से बचाव करता है, लेकिन सवाल ये उठता है कि च्यवनप्राश का सेवन कितना और किस तरह से किया जाए? आइए, जानते हैं इस बारे में विशेषज्ञ की सलाह…
एक प्रभावशाली आयुर्वेदिक औषधि
बता दें कि जामनगर स्थित केंद्रीय आयुर्वेद संस्थान ITRA की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. शुभांगी कांबले के अनुसार, च्यवनप्राश एक विशेष औषधि है, जिसमें मुख्य घटक आंवला होता है. आंवला सर्दियों में भरपूर मात्रा में मिलता है और इसे अन्य आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों जैसे अश्वगंधा, शतावरी, इलायची, लौंग, दालचीनी, घी, शहद आदि के साथ मिलाकर च्यवनप्राश तैयार किया जाता है. यह पाचन तंत्र और श्वसन तंत्र के लिए अत्यंत फायदेमंद है.
च्यवनप्राश का सेवन कैसे करें?
बता दें कि च्यवनप्राश का सेवन हर स्वस्थ व्यक्ति को लाभकारी हो सकता है. डॉ. शुभांगी कांबले ने बताया कि इसे विशेष रूप से ब्रह्ममुहूर्त में, यानी सुबह के समय सेवन करना चाहिए. इसके सेवन की मात्रा 12 ग्राम से 28 ग्राम तक हो सकती है, जो व्यक्ति की सेहत और उम्र पर निर्भर करती है. यदि किसी को भूख लगी हो तो इसे दूध के साथ भी लिया जा सकता है. बच्चों को भी च्यवनप्राश दिया जा सकता है, लेकिन इसके लिए एक निश्चित सीमा का ध्यान रखना जरूरी है.