रायपुर 27 जनवरी 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) –  रायपुरः छत्तीसगढ़ के बस्तर जिले के रहने वाले रमेश बघेल के पिता का शव पिछले 15 दिन से मॉर्चरी में रखा हुआ है. घर, जमीन और गांव होने के चलते रमेश अपने पिता का अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहा है, जिसके चलते उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. इस मामले में सोमवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. मामले की सुनवाई में दोनों जजों की राय अलग है. जस्टिस बीवी नागरत्ना के फैसले से जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की राय अलग है. एक तरफ जहां जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने कहा कि दफन केवल ईसाइयों के लिए निर्दिष्ट क्षेत्र में ही किया जा सकता है, जो करकापल गांव में है. ये जगह अपीलकर्ता के मूल स्थान से करीब 20 से 25 किलोमीटर की दूरी पर है. वहीं जस्टिस नागरत्ना ने अपीलकर्ता को अपने पिता को अपनी निजी संपत्ति में दफनाने की अनुमति दी.

इस दौरान मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि भाईचारा बढ़ाना सभी नागरिकों का दायित्व है. अजीबोगरीब तथ्यों को ध्यान में रखते हुए और यह कि पिता का शव 7 जनवरी से पड़ा हुआ है ,पैतृक गांव में निजी कृषि भूमि, तथापि कोई लाभ नहीं लिया जाना चाहिए. हम छत्तीसगढ़ सरकार को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश देते हैं.

जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि छत्तीसगढ सरकार 2 महीने के भीतर राज्य भर में ईसाइयों के लिए बहिष्करण स्थलों का सीमांकन करें. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाना बेहतर होगा. इसलिए बेहतर होगा कि शव को करकापाल गांव में ईसाइयों के लिए निर्दिष्ट स्थान पर दफनाया जाए. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यह देखकर दुख हुआ कि एक व्यक्ति ने छत्तीसगढ़ के एक गांव में अपने पिता को ईसाई रीति-रिवाज के अनुसार दफनाने के लिए शीर्ष अदालत का रुख करना पड़ा, क्योंकि अधिकारी इस मुद्दे को हल करने में विफल रहे.

बता दें कि शव 7 जनवरी से मुर्दाघर में पड़ा हुआ है. रमेश बघेल की ओर से याचिका दायर की गई थी. याचिका में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती दी गई थी. रमेश के पादरी पिता को दफनाने के लिए निर्दिष्ट क्षेत्र में दफनाने की मांग ठुकरा दी थी. हालांकि जस्टिस बीवी नागरत्ना के फैसले से जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की राय अलग है. जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा ने कहा कि याचिकाकर्ता और उसके परिवार को सभी आवश्यक सहायता के साथ ग्राम करकापाल में स्थित ईसाई कब्रिस्तान के लिए निर्दिष्ट स्थान पर दफन स्थल दिया जाना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई सार्वजनिक व्यवस्था संबंधी समस्या न हो.

सारांश सुप्रीम कोर्ट ने पिता के शव को कहां दफनाने के मामले में अहम फैसला सुनाया है। हालांकि, इस मामले पर दो जजों की अलग-अलग राय रही। एक जज ने पारंपरिक नियमों के आधार पर फैसला दिया, जबकि दूसरे ने व्यक्तिगत अधिकारों की ओर इशारा किया।

Bharat Baani Bureau

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *