27 जनवरी 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) – 26 जनवरी को भारत में जब कर्तव्य पथ पर परेड निकली तो जब सेनाओं की टुकड़ी मार्चपास्ट करते हुए निकली तो उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सलामी दी. राष्ट्रपति ने भी सलामी का जवाब उसी तरह खास तरीके से सलामी के अंदाज में दिया. दुनियाभर में सलामी देना और लेना सम्मान देने की एक खास प्रक्रिया है. खासकर सैन्य संचालन में तो सैल्यूट की भूमिका खासी अहम है. जब हम तिरंगा फहराते हुए देखते हैं तो भी हम सभी उसको सलामी देते हैं. क्या आपको मालूम है कि सही सलामी किस हाथ से दी जाती है और इसके पीछे की खास वजह क्या है.

सलामी देने का तरीका और किस हाथ से दी जाती है, यह अलग-अलग देशों, सैन्य परंपराओं और संगठनों पर निर्भर करता है. वैसे दुनियाभर में सामान्य तौर पर सलामी देने का तरीका और उसके लिए किस हाथ का इस्तेमाल किया जाएगा. वो एक जैसा ही है. ।

सलामी देने का सही तरीका ये है कि हमेशा दाएं हाथ से ही सलामी दें. ज़्यादातर देशों में सलामी दाएं हाथ से दी जाती है. इसका कारण यह है कि दायां हाथ परंपरागत रूप से शारीरिक और सांकेतिक क्रियाओं के लिए स्वाभाविक तौर पर इस्तेमाल होता है. भारत और दुनिया के ज्यादातर देशों में सैल्यूट इसी तरीके से जाती है. हम आगे बताएगे कि सेना, पुलिस और अन्य सैन्य बलों में सलामी कैसे दी जाती है.

कब बाएं हाथ से कर सकते हैं सैल्यूट
सेना, पुलिस और अन्य अनुशासित बलों में दायां हाथ की सलामी का ही नियम है. अगर किसी सैनिक का दायां हाथ चोटिल हो या किसी और कारण से उपयोग में न हो, तो बाएं हाथ से सलामी दी जा सकती है. अधिकतर संस्कृतियों में दायां हाथ शक्ति, सम्मान और मित्रता का प्रतीक माना जाता है, इसलिए सलामी में इसे प्राथमिकता दी जाती है.

सलामी के समय हथेली खुली क्यों रखते हैं
भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना में सलामी दाएं हाथ से दी जाती है. सलामी का तरीका (ओपन पाम, या हथेली खुली रखना) इस बात को दिखाता है कि हथियार छुपे नहीं हैं और ये दोस्ताना इरादों का संकेत होता है.

अमेरिकी सेना में भी दायां हाथ उपयोग होता है. हालांकि सलामी के दौरान हथेली अंदर की ओर होती है. ज्यादातर यूरोपीय देशों में भी अधिकतर दाएं हाथ से सलामी दी जाती है, लेकिन स्टाइल में थोड़ा बदलाव हो सकता है. उदाहरण के लिए ब्रिटेन में हथेली अंदर की ओर होती है. रूसी सेना में भी दाएं हाथ से सलामी दी जाती है, लेकिन उनकी मुद्रा और कोण अन्य देशों से अलग हो सकती है.

सलामी के समय हाथ हृदय के करीब
सिविलियन सलामी (जैसे राष्ट्रध्वज को सम्मान देना) में दाहिने हाथ को हृदय के पास ले जाकर सलामी देने की परंपरा रही है. कुछ समुदायों में सलामी देने के अलग-अलग सांस्कृतिक तरीके हो सकते हैं, जैसे कि हाथ जोड़ना (नमस्ते) या झुकना.

मुस्लिम देशों में किस हाथ से दी जाती है सलामी
मुस्लिम देशों में भी सलामी देने का तरीका सामान्य तौर पर उनकी सैन्य परंपराओं और अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार होता है. आमतौर पर, सलामी दाहिने हाथ से दी जाती है. वैसे भी इस्लामी संस्कृति और परंपरा में दायां हाथ अधिक सम्मानजनक और पवित्र माना जाता है. मुस्लिम देशों जैसे सऊदी अरब, पाकिस्तान, तुर्की, ईरान, मिस्र आदि में सैन्य बलों के भीतर सलामी देने का तरीका उनकी सैन्य परंपराओं के आधार पर तय होता है.

पाकिस्तान में कैसे दी जाती है सलामी
पाकिस्तान की सेना, वायुसेना और नौसेना में दायां हाथ सलामी देने के लिए उपयोग किया जाता है. हथेली की स्थिति भारतीय सेना की तरह होती है, यानी हथेली खुली और सामने की ओर होती है

सऊदी अरब की सलामी कुछ अलग
सऊदी सेना और पुलिस में सलामी दाएं हाथ से दी जाती है. उनके सलामी के तरीके में थोड़ा झुकना और सम्मान दिखाना शामिल हो सकता है, खासकर शाही परिवार के लिए.

पहले ये सेना बाएं हाथ से देती थी सलामी
ब्रिटिश रॉयल नेवी में एक समय पर जहाज के डेक पर सलामी बाएं हाथ से दी जाती थी, क्योंकि दायां हाथ काम (जैसे रस्सियां पकड़ने) में व्यस्त होता था. यह अब सामान्य प्रोटोकॉल नहीं है. सिंगापुर आर्म्ड फोर्सेज में कुछ विशेष मौकों पर बाएं हाथ से सलामी दी जा सकती है, लेकिन यह परिस्थितियों के अनुसार होता है.

सलामी देने की शुरुआत कैसे हुई
सलामी देने का सबसे पुराना और मान्य सिद्धांत यह है कि ये परंपरा हथियार न दिखाने या दोस्ती और भरोसे का प्रदर्शन करने के रूप में शुरू हुई.

प्राचीन योद्धा जब किसी राजा, नेता, या साथी से मिलते थे, तो वे अपने हथियार नीचे कर देते थे या अपने हथेली दिखाते थे, जिससे यह संकेत मिलता था कि वे अहिंसक इरादे से आए हैं. यह परंपरा धीरे-धीरे औपचारिक सलामी में बदल गई.

मध्य युग (Medieval Era) में, योद्धा अपने हेलमेट का वाइज़र (visor) उठाते थे ताकि वे एक-दूसरे को पहचान सकें और दोस्ताना इरादों का संकेत दे सकें.
वाइज़र उठाने का यह इशारा सम्मान और निष्ठा व्यक्त करने के लिए इस्तेमाल होता था. यह परंपरा समय के साथ विकसित होकर आधुनिक सलामी (जहां सिर पर हाथ ले जाया जाता है) का आधार बनी.

सलामी यूरोप और एशिया में शाही दरबारों में झुककर सम्मान प्रकट करना राजा या उच्च अधिकारियों के प्रति निष्ठा और विनम्रता का प्रतीक था. धीरे-धीरे झुकने या घुटने टेकने की जगह एक हाथ से इशारा करने की परंपरा विकसित हुई, जो अधिक व्यावहारिक और सैन्य अनुशासन के अनुकूल थी.

17वीं और 18वीं शताब्दी के दौरान, औपचारिक सैन्य सलामी का विकास हुआ. ब्रिटेन और यूरोप की सेनाओं में, सैनिक अपने अधिकारी को सम्मान देने के लिए हाथ से सिर को छूने का इशारा करते थे. यह उनकी वर्दी में टोपी पहनने के कारण हुआ. यही परंपरा आज भी आधुनिक सैन्य सलामी का हिस्सा है, जहां सिर पर हाथ ले जाया जाता है.

सारांश सही सलामी देने का तरीका परंपरागत रूप से दाहिने हाथ से होता है। यह आदत सैन्य अनुशासन, सम्मान और सम्मानित व्यक्ति के प्रति शिष्टाचार से जुड़ी हुई है। दाहिने हाथ का उपयोग शारीरिक और सांस्कृतिक दृष्टि से शुभ और सम्मानजनक माना जाता है।

Bharat Baani Bureau

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *