नई दिल्ली 30 जनवरी 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) – गुलजार हिंदी सिनेमा का वो नाम है, जिसको शायद ही कोई नहीं जानता होगा. गुलजार यानी गीतों को ‘गुलजार’ करने वाला वो शख्स, जिनके गीत लोगों के लिए दवा और दुआ दोनों का ही काम करते हैं. माशूक की खूबसूरती का बखान हो, टूटे दिल की आवाज हो या कुछ पाने का जुनून और खोने का गम हो, सभी रंगों के गीत और शेर गुलजार साहब ने लिखे और इंडस्ट्री को हमेशा के लिए महका दिया. गुलजार ने ‘मुसाफिर हूं यारों’, ‘थोड़ा है थोड़े की जरूरत है’, ‘मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने’, ‘तेरे बिना जिंदगी से कोई’, ‘आने वाला पल’, ‘तुझसे नाराज नहीं जिंदगी’, ‘मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है’ से लेकर ‘कजरारे-कजरारे, तेरे काले-काले नैना’ जैसे कई गानें लिखे हैं. अमिताभ बच्चन ने अपने बेटे अभिषेक बच्चन और बहू ऐश्वर्या राय के साथ इस फिल्म में जबरदस्त ठुमके लगाए थे. ये वो गाना है, जिसको 20 सालों से लोग सुन रहे हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस गाने में गुलजार ने जो लाइनों का इस्तेमाल किया है, उसका सही अर्थ क्या है?

हिंदुस्तान के अजीम गीतकार गुलजार साहब के इस गीत को शंकर एहसान लॉय की तिकड़ी ने संगीत से सजाया था. इस गीत में गुलजार ने ऐसे ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया है, जो सुनने में तो खूब मीठे लगते हैं लेकिन उनका मतलब बहुत कम लोगों को ही पता होगा.

‘क्या है गाने के बोल
ऐसी नजर से देखा उस जालिम ने चौक पर
हमनें कलेजा रख दिया चाकू की नौक पर
बवाल हो गया…
रायता फैल गया…’
इन लाइनों के साथ गुलजार साहब बताना चाहते हैं कि चौक पर नैन ऐसे लड़े कि पहली ही नजर में ही लड़की अपना दिल हाल बैठी. बात ऐसी फैली कि सभी जगह हल्ला हो गया.

‘सुरमें से लिखे तेरे वादे, आंखों की जबानी आते हैं
मेरे रूमालों पे लब तेरे, बांध के निशानी जाते हैं’
यह लाइन सुनने में जितनी खूबसूरत हैं. उतनी ही खूबसूरत इसका मतलब है. दरअसल, शायरी में अकसर दिल को आंखों के साथ कनेक्ट किया जाता है. कहते हैं अगर हमारे लब झूठ बोलें तो भी आंखें सच्चाई बयां कर देती हैं. सुरमें से लिखे तेरे वादे, आंखों की जबानी आते हैं यानी तेरे दिल में क्या है वो तेरी आंखे बयां कर रही हैं. ‘मेरे रूमालों पे लब तेरे, बांध के निशानी जाते हैं’ यानी मेरा रूमाल जो तेरे पास से मेरे पास तक पहुंचा उस पर तेरे लबों के निशान और तेरे इत्र की खुशबू ने सब बयां कर दिया कि तू भी मेरे को वैसे ही चाहती है, जैसे मैं तुझे.

‘आजा टूटे ना टूटे ना अंगड़ाई
हो मेरी अंगड़ाई ना टूटे तू आजा’
इस लाइन के जरिए गुलजार साहब ने प्यार में पागल उस लड़की की कहानी को बयां किया जो, प्यार में पागल हो चुकी हैं. अंगड़ाई को गुलजार साहब ने बतौर मेटाफर इस्तेमाल किया. यानी मैं तुम्हारे प्यार का हसीन ख्वाब देख रही हूं. ऐसा ना हो कि नींद खुल जाए और यह सपना अधूरा ही रह जाए

‘तुझसे मिलना पुरानी दिल्ली में..छोड़ आए निशानी दिल्ली में
बल्ली मारां से दरीबे तलक, तेरी मेरी कहानी दिल्ली में’
यहां गुलजार साहब ने दिल्ली की गलियों का जिक्र किया है. पुरानी दिल्ली अपने खाने के स्वाद के साथ प्रेम कहानियों के लिए फेमस है. बल्ली मारां से दरीबे तलक, दिल्ली 6की वो गलियां हैं, जहां के लिए कहा जाता है कि जहां से खबरें सबसे तेज फैलती हैं. इसलिए उन्होंने पूरी दिल्ली में मशहूर होने के लिए बल्ली मारां से दरीबे तलक का इस्तेमाल किया है.

क्या है गुलजार का कनेक्शन
गुलजार का बचपन बल्ली मारां की गलियों में भी बीता है. गुलजार दिल्ली 6 की इन पुरानी गलियों में रहे हैं. वहां उनकी यादें बसी हैं. जब गायक ने गुनगुनाया, ‘तुझसे मिलना पुरानी दिल्ली में, छोड़ आए निशानी दिल्ली में, बल्लीबरन से दरीबे तलक, तेरी मेरी कहानी दिल्ली में. गाने में जिस खूबसूरती से दिल्ली के ताने-बाने को जोड़ा गया वो सुनने में काफी अजीब लगता है. बल्ली मारां से शुरू होकर अक्सर कहानियां दरीब तलक पहुंचा करती थीं. गुलजार ने भी अपने इस गाने में बल्ली मारां से दरीबे तक की गलियों का जिक्र कर साबित कर दिया कि वहां की कहानियां मशहूर हुआ करती थीं. बल्ली मारां से शुरू होकर छाटी बारादरी, चूड़ी वालान, बड़ी बारादरी और किनारी बाजार तक की रौनक चांदनी चौंक की खूबसूरती को दस गुना बढ़ा देती हैं.

कजरारे-कजरारे के हिंदी लिरिक्स

ऐसी नज़र से देखा उस ज़ालिम ने चौक पर
हमनें कलेजा रख दिया चाकू की नौक पर
बवाल हो गया…
रायता फैल गया…

मेरा चैन वैन सब उजड़ा
ज़ालिम नज़र हटा ले
मेरा चैन वैन सब उजड़ा
ज़ालिम नज़र हटा ले
बर्बाद हो रहे हैं जी… बर्बाद हो रहे हैं जी तेरे अपने शहर वाले
मेरा चैन वैन सब उजड़ा
ज़ालिम नज़र हटा ले
बर्बाद हो रहे हैं जी तेरे अपने शहर वाले
मेरी अंगड़ाई ना टूटे तू आजा
मेरी, अंगड़ाई, ना टूटे, तू आजा…
कजरा रे… कजरा रे कजरा रे तेरे कारे कारे नैना
कजरा रे कजरा रे तेरे कारे कारे नैना
हो कजरा रे कजरा रे तेरे कारे कारे नैना
हो कजरा रे कजरा रे तेरे कारे कारे नैना
हो मेरे नैना मेरे नैना मेरे नैना जुड़वां नैना
हो कजरा रे कजरा रे तेरे कारे कारे नैना

सुरमें से लिखे तेरे वादे, आँखों की ज़बानी आते हैं
मेरे रूमालों पे लब तेरे, बांध के निशानी जाते हैं
हो तेरी बातों में किमाम की खुशबू हैं
हो तेरा आना भी गर्मियों की लू हैं
हो तेरी बातों में किमाम की खुशबू हैं
हो तेरा आना भी गर्मियों की लू हैं
आजा टूटे ना टूटे ना अंगड़ाई
हो मेरी अंगड़ाई ना टूटे तू आजा…
हो मेरी अंगड़ाई, ना टूटे, तू आजा
कजरा रे… कजरा रे कजरा रे तेरे कारे कारे नैना
कजरा रे कजरा रे तेरे कारे कारे नैना
हो कजरा रे कजरा रे तेरे कारे कारे नैना
हो कजरा रे कजरा रे तेरे कारे कारे नैना
हो मेरे नैना मेरे नैना मेरे नैना चुपके रहना
हो कजरा रे कजरा रे तेरे कारे कारे नैना

आँखें भी कमाल करती हैं
पर्सनल से सवाल करती हैं
पलकों को उठाती भी नहीं हूँ, परदे का ख्याल करती हैं
हो मेरा ग़म तो किसी से भी छुपता नहीं
दर्द होता है दर्द जब चुभता नहीं
हो मेरा ग़म तो किसी से भी छुपता नहीं
दर्द होता है दर्द जब चुभता नहीं
आजा टूटे ना टूटे ना अंगड़ाई
हो मेरी अंगड़ाई ना टूटे तू आजा
मेरी अंगड़ाई, ना टूटे, तू आजा…
कजरा रे… कजरा रे कजरा रे तेरे कारे कारे नैना
कजरा रे कजरा रे तेरे कारे कारे नैना
हो कजरा रे कजरा रे तेरे कारे कारे नैना
हो कजरा रे कजरा रे तेरे कारे कारे नैना
हो तेरे नैना तेरे नैना हम पे टस्ते हे तेरे नैना
हो कजरा रे कजरा रे मेरे कारे कारे नैना

हो तुझसे मिलना पुरानी दिल्ली में
छोड़ आये निशानी दिल्ली में
पल निमाना से दरी बेतलब
तेरी मेरी कहानी दिल्ली में
काली कमाली वाले हो याद करते
तेरे काले काले नैनों की क़सम खाते हैं
तेरे काले काले नैनों के बनाये हैं रूह
तेरे काले काले नैनों को दुवाए हैं रूह
मेरी जान उदास हैं होठों पे प्यास हैं
आजा रे आजा रे आजा रे
हो तेरी बातों में किमाम की खुशबू हैं
हो तेरा आना भी गर्मियों की लू है
हो तेरी बातों में किमाम की खुशबू हैं
हो तेरा आना भी गर्मियों की लू है
हो मेरी अंगड़ाई ना टूटे तू आजा
मेरी, अंगड़ाई, ना टूटे, तू आजा…
कजरा रे… कजरा रे कजरा रे तेरे कारे कारे नैना
कजरा रे कजरा रे तेरे कारे कारे नैना
हो तेरे नैना तेरे नैना तेरे नैना जुड़वां है ना
तेरे नैना तेरे नैना तेरे नैना जुड़वां नैना
हो तेरे नैना तेरे नैना तेरे नैना चुपके रहना
तेरे नैना तेरे नैना तेरे नैना चुपके रहना
हो कजरा रे कजरा रे तेरे कारे कारे नैना
कजरा रे कजरा रे तेरे कारे कारे नैना

कारे कारे…
कारे कारे…
कारे कारे…
कारे कारे नैना
कजरा रे कजरा रे मेरे कारे कारे नैना

सारांश:गाने “कजरारे” की मशहूर लाइन का अर्थ आज भी 90% लोग नहीं समझ पाए हैं। यह गाना गुलजार द्वारा लिखा गया था, और इसकी जड़ें गुलजार के बचपन से जुड़ी हुई हैं। इस लाइन का गहरा सांस्कृतिक और व्यक्तिगत संदर्भ है, जो अब तक अनजाना रहा है।

Bharat Baani Bureau

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