06 फरवरी 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) – बजट 2025-26 के बाद टैक्सपेयर्स खासकर सैलरीड क्लास में टैक्स देनदारी को लेकर जोरशोर से चर्चा चल रही है। वित्त मंत्री ने बजट में सैलरीड क्लास के लिए 12.75 लाख तक (75,000 स्टैंडर्ड डिडक्शन शामिल) की इनकम को टैक्स देनदारी से मुक्त कर दिया है। अब चर्चा यह है कि अगर किसी की इनकम 12.75 लाख से ज्यादा है, तो उस पर टैक्स की कैलकुलेशन अलग-अलग टैक्स स्लैब्स के मुताबिक कैसे होगी। इसमें एक जरूरी सवाल यह है कि अगर किसी की इनकम इस थ्रेसहोल्ड लिमिट से कुछेक हजार ज्यादा है तो उन पर कैसे टैक्स लगेगा। साथ ही ऐसे टैक्सपेयर्स को कितना मार्जिनल रिलीफ मिल सकता है।
टैक्स एक्सपर्ट और पर्सनलसीएफओ के सीईओ सुशील जैन ने अलग-अलग टैक्स स्लैब के टैक्स रेट के आधार पर 15 लाख रुपये तक सालाना इनकम वाले सैलरीड टैक्सपेयर्स को चार्ट के जरिए टैक्स देनदारी समझाई है। साथ ही उन्होंने न्यू टैक्स रिजीम में बनने वाली टैक्स देनदारी की तुलना ओल्ड टैक्स रिजीम की टैक्स देनदारी से की है।
Old vs New टैक्स रिजीम में कौन बेहतर, कैलकुलेशन के जरिए समझें
न्यू टैक्स रिजीम कैलकुलेशन | |
ग्रॉस इनकम | ₹15 lakh |
स्टैण्डर्ड डिडक्शन | ₹75,000 |
टैक्सेबल इनकम | ₹15,00,000 – ₹75,000 = ₹14,25,000 |
टैक्स केल्कुलेशन | |
0-4 लाख | शून्य |
4 लाख- 8 लाख | ₹4 लाख का 5% = ₹20,000 |
8 लाख- 12 लाख | ₹4 लाख का 10%= ₹40,000 |
12 लाख- 14.25 लाख | ₹2.25 लाख का 15% = ₹33,750 |
टोटल टैक्स | ₹20,000 + ₹40,000 + ₹33,750 = ₹93,750 |
सेस (4%) | ₹93,750 × 4% = ₹3,750 |
टोटल टैक्स देनदारी | ₹93,750 + ₹3,750 = ₹97,500 |
…
न्यू टैक्स रिजीम कैलकुलेशन | |
ग्रॉस इनकम | ₹15,00,000 |
डिडक्शंस | |
स्टैण्डर्ड डिडक्शंस | ₹50,000 |
सेक्शन 80C (अधिकतम) | ₹1,50,000 |
सेक्शन 80D (अधिकतम) | ₹1,00,000 |
होम लोन की ब्याज (सेक्शन 24B के तहत) | ₹2,00,000 |
टोटल डिडक्शन | ₹50,000 + ₹1,50,000 + ₹1,00,000 + ₹2,00,000 = ₹5,00,000 |
टैक्सेबल इनकम | ₹15,00,000 – ₹5,00,000 = ₹10,00,000 |
ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत कितना बनेगा टैक्स | |
0-2.5 लाख | शून्य |
2.5 लाख- 5 लाख | ₹2.5 लाख का 5% = ₹12,500 |
5 लाख- 10 लाख | ₹5 लाख का 20% = ₹1,00,000 |
टोटल टैक्स | ₹12,500 + ₹1,00,000 = ₹1,12,500 |
सेस (4%) | ₹1,12,500 × 4% = ₹4,500 |
ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत टोटल टैक्स देनदारी | ₹1,12,500 + ₹4,500 = ₹1,17,000 |
इस हिसाब से न्यू टैक्स रिजीम के तहत सालाना 15 लाख रुपये कमाने वाले टैक्स पेयर्स को 97,500 रुपये का टैक्स भरना होगा। जबकि ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत 1,17,000 रुपये का टैक्स बनेगा। इस लिहाज से न्यू टैक्स रिजीम से आपको 19,500 रुपये की बचत होगी।
वहीं, इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स की सालाना कमाई थ्रेसहोल्ड लिमिट से कुछेक हजार ज्यादा है तो उन पर कैसे टैक्स लगेगा। इसे लेकर मार्जिनल रिलीफ का प्रावधान किया गया है। यह लोगों को मिलेगा जिनकी इनकम ₹12 लाख से अधिक है। हालांकि, यह ज्यादा से ज्यादा 50 हजार रुपये तक ही सकती है।
मार्जिनल टैक्स रिलीफ क्या है? (What is marginal tax relief)
मार्जिनल टैक्स रिलीफ इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की तरफ से प्रदान की जाने वाली टैक्स राहत है। यह उन्हें मिलता है जिनकी जिनकी इनकम या कमाई टैक्स फ्री लिमिट से थोड़ी ही अधिक होती है। यह सुनिश्चित करता है कि 12 लाख रुपये से थोड़ी अधिक आय वाले टैक्स पेयर्स पर हाई टैक्स रेट न लगे। आसान भाषा में कहे तो टैक्सपेयर को 12 लाख से ज्यादा की इनकम या स्लैब के अनुसार टैक्स देनदारी , या जो भी कम हो, उसका भुगतान करना होगा।
सारांश:
₹12.75 लाख से ज्यादा की सालाना कमाई पर टैक्स कैलकुलेशन का विश्लेषण किया गया है। ₹15 लाख की इनकम पर ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम की तुलना में पता चलता है कि किसमें ज्यादा फायदा मिलता है।