हैदराबाद 24 फरवरी 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) – : एक स्वास्थ्य सम्मेलन में डॉक्टरों ने बताया कि आजकल खानपान और रहन-सहन की गलत आदतों के कारण कोलोरेक्टल रोग बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं. कोलोरेक्टल रोग आंतों और मलाशय में होते हैं, जिनमें कोलन कैंसर, इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (IBS) और दूसरी आंतों की सूजन प्रमुख हैं.
क्यों बढ़ रहे हैं मामले?
हैदराबाद के डॉक्टर जी वी राव ने बताया कि आजकल लोग शारीरिक मेहनत कम करते हैं, जंक फूड ज़्यादा खाते हैं और फाइबर वाला खाना कम खाते हैं. ऊपर से तनाव भी बहुत रहता है. ये सब मिलकर कोलोरेक्टल रोगों को बढ़ावा देते हैं. यह समस्या शहरों में ज़्यादा देखने को मिल रही है. एक और जाने-माने डॉक्टर आर ए शास्त्री जो पेट के रोगों के विशेषज्ञ हैं, ने बताया कि पिछले 10 सालों में कोलोरेक्टल कैंसर के मरीजों की संख्या में 30-40% की बढ़ोतरी हुई है. यह चिंता की बात है क्योंकि पहले यह बीमारी सिर्फ़ बुजुर्गों में होती थी, लेकिन अब तो जवान लोग भी इसकी चपेट में आ रहे हैं.
मुख्य कारण और लक्षण
डॉक्टरों के अनुसार, फाइबर की कमी, जंक फूड और तले हुए खाने का ज़्यादा सेवन, कसरत की कमी, देर तक बैठे रहना, मानसिक तनाव, धूम्रपान और शराब का सेवन, ये सब कोलोरेक्टल कैंसर के खतरे को बढ़ाते हैं. पेट में दर्द या मरोड़, मल में खून आना, वजन का अचानक कम होना, कब्ज या दस्त जैसी पाचन संबंधी समस्याएं कोलोरेक्टल रोगों के कुछ सामान्य लक्षण हैं.
रोकथाम और उपचार
डॉक्टरों का कहना है कि कोलोरेक्टल रोगों से बचने के लिए जीवनशैली में बदलाव बहुत ज़रूरी है. संतुलित आहार लें जिसमें सब्जियां, फल, और साबुत अनाज जैसे फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ शामिल हों. नियमित व्यायाम करें और शारीरिक रूप से सक्रिय रहें. धूम्रपान और शराब से दूरी बनाए रखें.
सारांश:
बदलती जीवनशैली, अनहेल्दी डाइट और कम शारीरिक गतिविधि के कारण युवाओं में कोलोरेक्टल कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। इस बीमारी के लक्षणों में पेट दर्द, अचानक वजन कम होना, आंतों की समस्याएं और मल में खून आना शामिल हैं। समय पर पहचान और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर इस जोखिम को कम किया जा सकता है।