24 फरवरी 2025 : ट्रंप प्रशासन ने यूएस एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) के लगभग सभी कर्मचारियों को वै​श्विक स्तर पर पेड प्रशासनिक अवकाश पर भेजने और अमेरिका में 1,600 नौकरियों को स्थायी रूप से समाप्त करने का ऐलान किया है। यह फैसला अमेरिकी विदेशी सहायता नीति में एक बड़ा बदलाव दर्शाता है। साथ ही इसकी पूर्व अधिकारियों व एडवोकेसी समूहों की ओर से कड़ी आलोचना भी हो रही है।

ट्रंप प्रशासन की ओर से जारी आधिकारिक नोटिस के जरिए कर्मचारियों को सूचित किया गया कि, “रविवार, 23 फरवरी 2025 को रात 11:59 बजे EST से, सभी USAID डायरेक्ट हायर कर्मचारी – मिशन-क्रिटिकल कार्यों, कोर लीडरशिप, या विशेष रूप से डेजिग्नेटेड प्रोग्राम से जुड़े कर्मचारियों को छोड़कर – वैश्विक स्तर पर प्रशासनिक अवकाश पर भेज दिए जाएंगे।”

फेडरल कोर्ट ने USAID कटौती को दी मंजूरी

शुक्रवार को एक फेडरल जज ने प्रशासन के फैसले को मंजूरी दी, जिससे हजारों USAID कर्मचारियों को अवकाश पर भेजने की योजना को कानूनी मान्यता मिली। यह फैसला उन यूनियनों के लिए झटका है, जिन्होंने इस कटौती को रोकने के लिए मुकदमे दायर किए थे और इसे USAID को निष्क्रिय करने का प्रयास बताया था।

USAID में बड़े पैमाने पर छंटनी की घोषणा से सरकारी कर्मचारी यूनियनों और अंतरराष्ट्रीय सहायता समर्थकों में भारी असंतोष देखने को मिल रहा है। पूर्व USAID वरिष्ठ अधिकारी मार्सिया वोंग ने X (ट्विटर) पर लिखा, “वैश्विक संकटों से निपटने वाले विशेषज्ञों को हटाना – यह एक अदूरदर्शी, जोखिम भरा और असाधारण रूप से गलत निर्णय है।” एक अन्य पूर्व अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर रॉयटर्स को बताया कि यह नोटिस स्वतः लागू नहीं होता और इसके प्रभावी होने के लिए आगे की औपचारिक प्रक्रिया की आवश्यकता होगी।

एलन मस्क और मार्को रुबियो का अहम रोल

USAID में यह भारी कटौती ऐसे समय में आई है जब अरबपति एलन मस्क सरकारी ऑपरेशंस को ज्यादा प्रभावी बनाने के लिए प्रशासन पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी (DOGE) की वकालत की है और सोशल मीडिया पर कहा कि वे “USAID को खत्म कर रहे हैं।” इसके अलावा, विदेश मंत्री मार्को रुबियो, जिन्हें राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में USAID के ए​क्टिंग एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में नियुक्त किया है, इस रिस्ट्रक्चरिंग की निगरानी कर रहे हैं।

ट्रंप की विदेशी सहायता नीति में बदलाव

यह कदम ट्रंप के कार्यकारी आदेश के तहत आया है, जिसमें विदेशी सहायता फंडिंग पर 90 दिनों की रोक लगाई गई थी। इस रोक का असर भूखमरी, संक्रामक रोगों और विस्थापन संकटों से निपटने वाले कई कार्यक्रमों पर पड़ा।

हालांकि, सुरक्षा और मादक पदार्थ विरोधी अभियानों के लिए 5.3 अरब डॉलर की छूट दी गई, लेकिन USAID को मात्र 10 करोड़ डॉलर की सीमित छूट मिली, जबकि इससे पहले इसे वार्षिक रूप से लगभग 40 अरब डॉलर का बजट मिलता था। ट्रंप और उनके सहयोगी, जिनमें एलन मस्क भी शामिल हैं, इस कदम को अनावश्यक विदेशी खर्च में कटौती का एक जरूरी प्रयास मानते हैं।

क्या अमेरिका अपनी ‘सॉफ्ट पावर’ खो सकता है?

USAID, जो दशकों से अमेरिका की ‘सॉफ्ट पावर’ कूटनीति का अहम हिस्सा रहा है, में इतनी बड़ी कटौती से वैश्विक मानवीय प्रयासों पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।

विश्लेषकों का कहना है कि USAID का बजट और कर्मचारियों में कटौती अमेरिका की वैश्विक उपस्थिति को कमजोर कर सकती है, जिससे अन्य देश, विशेष रूप से चीन, अपनी पकड़ मजबूत कर सकते हैं। इस बीच, एडवोकेसी समूह और कानूनी संगठन ट्रंप प्रशासन के इस फैसले को अदालत में चुनौती देने में जुटे हुए हैं।

सारांश:
ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी एजेंसी USAID में 1,600 नौकरियां खत्म करने का फैसला किया है। इसके तहत दुनियाभर में तैनात कई कर्मचारियों को छुट्टी पर भेज दिया गया है। इस कदम का वैश्विक विकास कार्यक्रमों पर असर पड़ सकता है और इससे जुड़े देशों में चिंता बढ़ गई है।

Bharat Baani Bureau

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