28 मार्च 2025 (भारत बानी ब्यूरो): दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का स्थानांतरण शुक्रवार को उनके पैतृक इलाहाबाद उच्च न्यायालय में कर दिया गया. विधि मंत्रालय ने उनकी तबादले की अधिसूचना जारी की. इस सप्ताह की शुरुआत में सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम ने उनके तबादले की सिफारिश की थी. उन्होंने इस कदम को न्यायमूर्ति वर्मा के घर से कैश मिलने के कथित मामले की आंतरिक जांच से अलग बताया था, जो होली की रात आग लगने की घटना के बाद सामने आया था. केंद्र ने दिल्ली उच्च न्यायालय के एक अन्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति सी.डी. सिंह को भी इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्थानांतरित कर दिया है.
कैश बरामदगी विवाद में उलझे न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का दिल्ली हाईकोर्ट की हाल ही में गठित प्रशासनिक समितियों में उल्लेख नहीं किया गया. 14 मार्च को न्यायाधीश के आधिकारिक आवास में आग लगने के बाद जली हुई गड्डियां मिलने की घटना के बाद कई महत्वपूर्ण घटनाएं घटीं.
मामले की तफ्तीश कर रहे हैं 3 जज
सूत्र के मुताबिक जस्टिस यशवंत वर्मा का ट्रांसफर इलाहाबाद हाईकोर्ट में हो चुका है. लेकिन फिलहाल उनको न्यायिक क्षेत्र से जुड़े कोई मामले की सुनवाई करने का निर्देश नहीं है. मामले की तफ्तीश सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम द्वारा नियुक्त तीन जजों की कमिटी कर रही है. जब तक इस मामले की तफ्तीश/जांच पड़ताल की जा रही है तब तक उनको कोई भी न्याययिक क्षेत्र से जुड़ा काम नहीं करने का निर्देश दिया गया.
हालांकि सर्वोच्च न्यायालय ने इस तबादले को एक अलग निर्णय बताया है. लेकिन दिल्ली उच्च न्यायालय के दूसरे सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति वर्मा को उनके पैतृक इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरित करने की सिफारिश की गई थी. वे पहले भी कई प्रशासनिक समितियों का हिस्सा रह चुके हैं. उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर 27 मार्च को प्रकाशित परिपत्र के अनुसार, समितियों का 26 मार्च से तत्काल प्रभाव से पुनर्गठन किया गया.
वहीं दूसरी ओर’कैश एट होम’ मामले में घिरे जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने 28 मार्च को खारिज कर दिया. उनके आधिकारिक आवास पर 14 मार्च 2025 को भारी मात्रा में नकदी बरामद हुई थी.
जस्टिस वर्मा से काम लिया जा चुका है वापस
गौरतलब है कि इससे पहले मुख्य न्यायाधीश के निर्देश पर जस्टिस वर्मा से काम वापस ले लिया गया था. 22 मार्च को मुख्य न्यायाधीश ने आरोपों की आंतरिक जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति गठित की और मुख्य न्यायाधीश उपाध्याय की जांच रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड करने का फैसला किया, जिसमें नकदी मिलने की तस्वीरें और वीडियो शामिल थे. न्यायमूर्ति वर्मा ने किसी भी तरह के आरोप को नकारते हुए कहा कि उनके या उनके परिवार के किसी भी सदस्य ने स्टोररूम में नकदी नहीं रखी.
सारांश: दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा का इलाहाबाद उच्च न्यायालय में स्थानांतरण हुआ. उनके घर से नकदी मिलने के मामले की जांच चल रही है. सुप्रीम कोर्ट ने एफआईआर की मांग खारिज की.