28 मार्च 2025 (भारत बानी ब्यूरो): बॉलीवुड एक्टर अक्षय खन्ना सिर्फ पांच साल के थे जब उनके पिता, विनोद खन्ना ने 1982 में अपने सफल करियर और परिवार को छोड़कर आध्यात्मिक गुरु ओशो (आचार्य रजनीश) के शिष्य बनने के लिए संन्यास ले लिया था. वह ओशो की कम्यून में रहने के लिए ओरेगन (संयुक्त राज्य अमेरिका) चले गए थे. एक छोटे बच्चे के रूप में, अक्षय अपने पिता के इस फैसले को पूरी तरह से समझ नहीं पाए, लेकिन जैसे-जैसे वह बड़े हुए और खुद ओशो के बारे में पढ़ा, उन्होंने अपने पिता की मानसिकता को गहराई से समझा.

कुछ साल पहले मिड-डे से बात करते हुए, अक्षय खन्ना ने इस बारे में बात की थी. उन्होंने का था, ‘ओशो का मेरे विचारों से कोई लेना-देना नहीं था कि मेरे पिता क्यों नहीं थे. वह बहुत बाद में आए.जैसे-जैसे आप बड़े होते हैं, शायद 15 या 16 साल की उम्र में तब आप उस व्यक्ति (ओशो) के बारे में सीखना, सुनना या पढ़ना शुरू करते हैं.’

‘5 साल के बच्चे के रूप में ये समझना असंभव था’
अक्षय ने स्वीकार किया ‘अब मैं इसे समझ सकता हूं.’ बातचीत में उन्होंने आगे कहा कि उनके पिता ने न केवल एक सफल करियर और परिवार को छोड़ दिया, बल्कि एक नई राह पर चलने के लिए अपने पूरे जीवन को त्याग दिया. अक्षय खन्ना ने कहा, ‘केवल अपने परिवार को छोड़ना ही नहीं, बल्कि ‘संन्यास’ लेना. संन्यास का मतलब है अपने जीवन को पूरी तरह से त्याग देना. परिवार इसका केवल एक हिस्सा है. यह एक जीवन बदलने वाला फैसला है, जिसे उन्होंने उस समय लेने की जरूरत महसूस की और एक पांच साल के बच्चे के रूप में, इसे समझना मेरे लिए असंभव था.’

‘ऐसे फैसले लेना कठिन होता है’
अपने पिता के फैसले को स्वीकार करना तब अक्षय के लिए आसान हो गया जब उन्होंने समझा कि उनके भीतर कुछ गहरा बदलाव आया होगा, जिसने उन्हें ऐसा फैसला लेने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने कहा कि जब आपके पास जीवन में सब कुछ हो. तब ऐसा फैसला लेना कठिन होता है, लेकिन इन फैसलों को लेकर उस पर टिके रहना भी जरूरी है.

‘वो कभी वापस नहीं आते…’
अक्षय ने खुलासा किया कि विनोद केवल तब भारत लौटे जब ओशो और उनकी कम्यून का अमेरिकी सरकार के साथ टकराव शुरू हुआ. एक्टर ने बातचीत में आगे कहा कि मुझे बताया गया था कि उनके जैसे बहुत से लोग अंततः ओशो से मोहभंग हो गए, जिससे उनकी वापसी हुई.’ उन्होंने कहा. अक्षय ने यह भी कहा कि अगर कम्यून भंग नहीं हुआ होता, तो उन्हें संदेह है कि उनके पिता कभी वापस आते. उन्होंने बताया, ‘कम्यून को भंग कर दिया गया, नष्ट कर दिया गया और हर किसी को अपनी राह खुद ढूंढनी पड़ी. तभी वह वापस आए. वरना मुझे नहीं लगता कि वह कभी वापस आते’.

1987 में विनोद खन्ना ने की थी घर वापसी
भारत लौटने के बाद, विनोद खन्ना ने मुकुल आनंद की फिल्म ‘इंसाफ’ (1987) से फिल्मों में एक नई शुरुआत की. लेकिन खोया हुआ स्टारडम वो हासिल नहीं कर सके. वापसी के बाद उन्होंने आखिरी सांस तक बॉलीवुड का हाथ थामे रखा. साल 2017 में कैंसर से लड़ते हुए वह दुनिया को अलविदा कह गए.

सारांश: विनोद खन्ना ने जब ओशो से लगन लगाई और परिवार छोड़ने का फैसला किया तो इस फैसले से हर कोई हैरान था. जिस वक्त उन्होंने ये फैसला तब अक्षय खन्ना सिर्फ 5 साल के थे. अक्षय खन्ना ने पिता के ओशो के साथ होने के फैसले पर चुप्पी तोड़ थी. उन्होंने ये भी बताया था कि आखिर क्यों उन्होंने घर वापसी की.

Bharat Baani Bureau

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