Army soldier Harjinder Singh

11 अप्रैल 2025 (भारत बानी ब्यूरो): कारगिल युद्ध जिसे कारगिल संघर्ष के नाम से भी जाना जाता है। मई से जुलाई 1999 तक भारत और पाकिस्तान के बीच लद्दाख (तत्कालीन जम्मू और कश्मीर) के कारगिल जिले और नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास लड़ा गया था। इस जंग में भारत ने पड़ोसी मुल्क के नापाक इरादों को पस्त करते हुए विजय हासिल की थी। हमारे बहादुर सिपाहियों ने अदम्य साहस का परिचय देते हुए दुश्मनों को अपनी सरजमीं से खदेड़ा था। 

आठ जून, 1999 को कारगिल युद्ध के दौरान एक बम विस्फोट में गंभीर रूप से घायल हुए सिपाही हरजिंदर सिंह आज भी न्याय के लिए संघर्ष कर रहे हैं। पंजाब के लुधियाना जिले के माछीवाड़ा के गांव बहलोलपुर के रहने वाले हरजिंदर सिंह को 2003 में चिकित्सीय रूप से अयोग्य घोषित कर उन्हें सेना से सेवानिवृत्त कर दिया गया। तब से वह केंद्र सरकार और रक्षा मंत्रालय के खिलाफ अपने अधिकारों और लाभों के लिए सर्वोच्च न्यायालय में कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। हरजिंदर सिंह का कहना है कि फौजी हूं अपने हक की लड़ाई लड़ूंगा और हार नहीं मानूंगा।

सिपाही हरजिंदर सिंह ने बताया कि 8 जून, 1999 को माला सेक्टर में एक पाकिस्तानी बम हमले में उनकी रीढ़ की हड्डी की पांच कशेरुकाएं टूट गईं। उनके पैर, हाथ और शरीर के अन्य हिस्सों में गंभीर चोटें आईं। 2003 में उन्हें चिकित्सीय आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया गया और सेना से सेवानिवृत्त कर दिया गया।

आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल में दायर किया केस
इसके बाद हरजिंदर सिंह ने आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल (एएफटी) में सेना के अधिकारियों के खिलाफ मामला दायर किया। हरजिंदर सिंह ने कहा कि उसे कारगिल युद्ध में हुई कैजुल्टी का फायदा दिए बिना सेवानिवृत्त कर दिया गया। केवल पेंशन लगा दी गई। एएफटी की न्यायिक पीठ और पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय दोनों ने रक्षा मंत्रालय को उन्हें सभी लाभ देने का आदेश दिया। हालांकि, केंद्र सरकार और सेना ने 12 मार्च, 2015 को इन आदेशों के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर की। 

सुप्रीम कोर्ट में 15 मई को होगी सुनवाई
शीर्ष कोर्ट में दलील दी कि कैजुअल्टी बेनीफिट के लिए सिपाही की पार्टी टू ऑर्डर डिटेल ही उनके पास नहीं आई, जिस वजह से फायदा नहीं दिया जा सकता। सिपाही के वकील ने तर्क दिया कि कारगिल युद्ध के समय जवान बुरी तरह से घायल हुआ और कई दिनों तक अस्पताल में उपचाराधीन रहा। उसके मेडिकल की सारी जानकारी मुख्यालय को भेजने की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों की थी। अब इस मामले की आगामी सुनवाई 15 मई को होनी है।

10 लोगों की जान बचा चुका सिपाही हरजिंदर 
सिपाही हरजिंदर ने कारगिल में घायल होने के बाद अब समाज सेवा का भी बीड़ा उठाया हुआ है। रिटायर होने के बाद से अभी तक वह 10 लोगों की जान भी बचा चुके हैं। 10 फरवरी, 2025 को रात में करीब 11 बजे एक स्कॉर्पियो गाड़ी सरहिंद नहर में गिर गई थी। उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बगैर अपने बेटों के साथ पानी में डूबी गाड़ी में फंसे पांच लोगों की जान बचाई। 25 अगस्त, 2007 को नवांशहर निवासी 22 साल की लड़की परमिंद्र कौर ने इसी नहर में छलांग लगाई थी, जिसे उन्होंने नहर में कूदकर बाहर निकाला था। इसी तरह से रात के अंधेरे में सड़क हादसों में घायल दो युवकों को अस्पताल पहुंचाकर उनकी जान बचाई थी।

सारांश: कारगिल हीरो हरजिंदर सिंह हक की लड़ाई लड़ रहे हैं। पूर्व फौजी हरजिंदर सिंह का कहना है कि अपने हक के लिए सभी लड़ते हैं। मैं तो फौजी हूं और मैं हार नहीं मानूंगा। 

Bharat Baani Bureau

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