पंजाब 23 अप्रैल 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने एएसआई को कांस्टेबल बनाने वाले डिमोशन के आदेश को रद्द कर दिया है। हाईकोर्ट ने कहा कि यदि कर्तव्य निर्वहन पर इस प्रकार की कठोर सजा दी गई तो पुलिस अधिकारी कानून तोड़ने वालों पर कार्रवाई से डरेंगे। हाईकोर्ट ने डिमोशन की सजा को रद्द करते हुए पूर्व में दी गई दो इंक्रीमेंट रोकने की सजा को बहाल कर दिया है।
मामले में याचिकाकर्ता शाम कुमार ने हाईकोर्ट को बताया कि वह 1989 में पंजाब पुलिस में कांस्टेबल भर्ती हुए थे। धीरे-धीरे पदोन्नति के माध्यम से वह एएसआई बन गए। अपनी ड्यूटी के दौरान एक नाबालिग लड़के को उन्होंने वाहन चलाते हुए रोका था। जांच के दौरान स्कूटी के स्टोरेज बॉक्स में दो कंडोम मिले। इसके बाद पुलिस ने लड़के के पिता को बुलाया, जिन्होंने मौके पर ही अपने बेटे को डांटा। दो-तीन दिन बाद उस लड़के ने आत्महत्या कर ली।
बिना नोटिस जारी किए किया डिमोशन
घटना के बाद विभागीय कार्रवाई शुरू हुई और शाम कुमार को दो वेतन वृद्धियों की कटौती की सजा दी गई। उन्होंने इस सजा के खिलाफ पहले अपीलीय प्राधिकरण और फिर गृह सचिव के समक्ष अपील की। गृह सचिव ने बिना कोई नोटिस जारी किए, उनकी सजा को बढ़ाकर कांस्टेबल के तौर पर डिमोशन कर दिया।
हाईकोर्ट ने की ये टिप्पणी
हाईकोर्ट में शाम कुमार की अपील पर फैसला सुनाते हुए जस्टिस जगमोहन बंसल ने माना कि याचिकाकर्ता ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए कार्रवाई की थी। उसने न तो वाहन को अवैध रूप से रोका और न ही किसी बच्चे को अवैध हिरासत में लिया। कोर्ट ने कहा कि पंजाब पुलिस रूल्स के तहत सरकार को सजा की समीक्षा का अधिकार तो है, लेकिन यह उचित प्रक्रिया अपनाने के बाद ही प्रयोग किया जा सकता है, जिसमें नोटिस और सुनवाई का अवसर शामिल है।
इस मामले में न तो याचिकाकर्ता को नोटिस दिया गया और न ही कोई अवसर। जस्टिस बंसल ने कहा कि अगर इस तरह की कार्रवाई को सही ठहराया गया, तो भविष्य में कोई भी पुलिस अधिकारी कानून तोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने से डरेगा।
सारांश: याचिकाकर्ता शाम कुमार पंजाब पुलिस में एएसआई थे। उन्होंने एक नाबालिग स्कूटी सवार को वाहन चलाते रोका था। स्कूटी से कंडोम मिलने पर पिता ने किशोर को डांटा था जिसके बाद उसने आत्महत्या कर ली थी।