13 मई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) – सोशल मीडिया पर लगातार ये अटकलें लगाई जा रही हैं कि भारत के पाकिस्तान पर हमलों का असर वहां के परमाणु हथियार भंडारण केंद्र तक भी पहुंचा है. हालांकि दोनों देशों की सेनाएं इससे इनकार कर रही हैं लेकिन मिस्र की वायुसेना के परिवहन विमान का पाकिस्तान में दिखना एक बार फिर इन अटकलों को हवा दे रहा है. 11 मई को पाकिस्तान के पहाड़ी ज़िले मरी में मिस्र एयरफोर्स का ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट देखा गया, जिसका मकसद बताया नहीं गया है.

फ्लाइटराडार24 के डेटा के मुताबिक कॉल साइन EGY1916 वाला ये विमान चीन से पाकिस्तान पहुंचा था, लेकिन इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. ये उड़ान ऐसे वक्त में हुई, जब दोनों देशों ने 10 मई को सीज़फायर पर सहमति जताई थी. इससे पहले भारत द्वारा पाकिस्तान के कुछ हवाई अड्डों पर हमले किए गए, जिनमें से रावलपिंडी के नूर खान वायुसेना अड्डा भी एक है. ये एयरबेस पाकिस्तान की सैन्य गतिविधियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है.

परमाणु हथियारों के भंडार को हुआ नुकसान?
भारत की ओर से पाकिस्तान के कुछ हवाई अड्डों पर हमले किए जाने की खबरें आईं, जिनके बारे में अटकलें ये भी हैं कि वे पाकिस्तान के न्यक्लियर सेंटर्स के करीब थे. हालांकि, न तो भारत और न ही पाकिस्तान ने इन दावों की आधिकारिक पुष्टि की है लेकिन सोशल मीडिया पर सैटेलाइट तस्वीरों की बाढ़ ने इन अफवाहों को बढ़ावा दिया है. पाकिस्तान की सेना ने भारतीय हमलों की तो पुष्टि की है, लेकिन न्यूक्लियर सेंटर को लेकर कुछ नहीं कहा है.

न्यूक्लियर सेंटर्स पर खतरा?
भारत के इस्लामाबाद के पास नूर खान वायुसेना अड्डे के साथ-साथ सरगोधा वायुसेना अड्डे पर भी भारत ने अटैक किया था. 2017 में द प्रिंट की एक रिपोर्ट में पाकिस्तान के किराना हिल्स के पास ही भूमिगत परमाणु भंडारण सुरंगों का जिक्र किया गया था, जो सरगोधा वायुसेना अड्डे से मात्र 8 किमी दूर हैं. ऐसे में ये आशंका ज़ाहिर की जा रही थी कि इससे वहां पर भी असर हो सकता है. किराना हिल्स लगभग 68 वर्ग किमी में फैला क्षेत्र है, जिसमें मजबूत सुरंगें और छिपे हुए प्रवेश द्वार मौजूद हैं. इनके बारे में माना जाता है कि वहां परमाणु हथियार रखे गए हैं. इस पर स्थिति साफ नहीं है लेकिन कुछ रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि भारत के हमलों का उद्देश्य पाकिस्तान की रणनीतिक क्षमताओं को कमजोर करना हो सकता है.

मिस्र के विमान का कनेक्शन
अटकलें ये लगाई जा रही हैं कि मिस्र का विमान बोरॉन लेकर पाकिस्तान पहुंचा था, जो न्यूक्लियर रेडिएशन दबाने में इस्तेमाल होता है. हाल ही में ‘बोरॉन: स्पैटियल डिस्ट्रीब्यूशन इन एन एरिया ऑफ नॉर्थ नाइल डेल्टा’ नाम की एक स्टडी में इजिप्ट यानि मिस्र के नील डेल्टा क्षेत्र में बोरॉन के हाई कॉन्सेंट्रेशन की बात सामने आई है. बोरेट्स, खासतौर पर आइसोटोप बोरॉन-10, परमाणु ऊर्जा संयंत्रों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. 1986 के चेर्नोबिल परमाणु हादसे में भी बोरॉन का इस्तेमाल करके रेडिएशन के स्तर को दबाया गया था. नील डेल्टा बोरॉन और पाकिस्तान में मिस्र के विमान का ये कनेक्शन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर चर्चा में है. एक यूज़र दीक्षा कंडपाल ने एक्स पर लिखा- ‘मिस्र का नील डेल्टा बोरॉन से समृद्ध है, जो न्यूट्रॉन, यानि न्यूक्लियर रेडिएशन को अब्जॉर्ब करता है’. इससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि मिस्र के विमान का पाकिस्तान में उतरने का संबंध बोरॉन से हो सकता है.

अमेरिका ने की दोनों देशों के बीच मध्यस्थता
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को कम करने के लिए मध्यस्थता भी इसलिए की क्योंकि खुफिया जानकारी में परमाणु युद्ध की आशंका जताई गई थी. सीएनएन ने भी दावा किया कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वांस समेत दूसरे अधिकारिों को भी तनाव से संबंधित खुफिया खतरनाक जानकारी मिली थी. वहीं पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मुहम्मद आसिफ ने भी 10 मई को पाकिस्तानी टीवी चैनल पर न्यूक्लियर वेपन के ऑप्शन पर लगभग धमकी दी थी और कहा था कि इस पर चर्चा नहीं होनी चाहिए.

सारांश:
पाकिस्तान में अचानक मिस्र की वायुसेना का एक सैन्य विमान उतरने से हलचल मच गई है। इससे परमाणु हथियारों की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे हैं। हालांकि, आधिकारिक तौर पर इसकी वजह मानवीय सहायता या सैन्य अभ्यास बताई जा रही है, लेकिन जानकार इसे किसी बड़े रणनीतिक गठजोड़ या खुफिया मिशन से भी जोड़कर देख रहे हैं। इस घटनाक्रम ने क्षेत्रीय सुरक्षा चिंताओं को और बढ़ा दिया है।

Bharat Baani Bureau

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