नई दिल्ली 21 मई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) -: पाकिस्तान में एक अनोखा तमाशा चल रहा है. यहां जंग हारने पर सैनिकों को सजा नहीं, इनाम मिलता है. भारत से करारी शिकस्त खाने, एयरबेस पर धमाकों के बीच बंकर में छिपने और झूठी जीत का ऐलान करने वाले जनरल आसिम मुनीर को अब ‘फील्ड मार्शल’ बना दिया गया है. जी हां, वही आसिम मुनीर जो अभी तक पाकिस्तान आर्मी के चीफ ऑफ आर्मी स्टाफ थे, उन्हें अब ‘फील्ड मार्शल’ बना दिया गया है. एक ऐसा रैंक जो जीवन भर सेना की वर्दी और ताकत का प्रतीक रहता है, और कभी रिटायर नहीं होता.

‘फील्ड मार्शल कभी रिटायर नहीं होता…’

पूर्व भारतीय सेनाध्यक्ष जनरल वेद प्रकाश मलिक ने इस फैसले पर एक्स (ट्विटर) पर चुटकी ली और लिखा – ‘नोट कीजिए, फील्ड मार्शल कभी रिटायर नहीं होता…’. इस एक पंक्ति ने पूरी बहस को तख्तापलट की स्क्रिप्ट की ओर मोड़ दिया. सोशल मीडिया पर सवाल उठने लगे, क्या पाकिस्तान में सैन्य तख्तापलट की तैयारी हो चुकी है? क्या मुनीर इमरान खान की तरह शाहबाज शरीफ को भी चलता कर देंगे?

पाकिस्तान में यह रैंक इससे पहले सिर्फ एक बार मिला है, जनरल अयूब खान को. अयूब खान 1958 में राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा को हटाकर पाकिस्तान के पहले सैन्य तानाशाह बने थे. फिर उन्होंने खुद को ‘फील्ड मार्शल’ रैंक पर प्रमोट कर दिया.

पाकिस्तान: हार का जश्न, झूठ का तमगा

पाकिस्तानी कैबिनेट का तर्क है कि जनरल मुनीर को ‘राष्ट्रीय सुरक्षा’ में योगदान और भारत के खिलाफ कथित सफल जवाबी कार्रवाई के लिए यह पदोन्नति दी गई है. मगर यह वही जवाबी कार्रवाई थी जिसमें पाकिस्तान ने सिर्फ धमकियों और फर्जी वीडियो से अपने देशवासियों को मूर्ख बनाया. भारत ने 6-7 मई की रात जिस सटीक और निर्णायक अंदाज में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई की, उसने दुनिया को दिखा दिया कि असल सैन्य ताकत क्या होती है. जबकि इस हमले के दौरान पाकिस्तानी आर्मी के अफसर खुद को बंकरों में छुपाए बैठे थे.

इसके बावजूद पाकिस्तान की कैबिनेट ने आसिम मुनीर को ‘असाधारण बहादुरी’ और ‘देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा’ के लिए सम्मानित कर दिया. यही नहीं, सेना की तारीफ में कसीदे पढ़े गए और कथित शहीदों के लिए फातिहा तक पढ़ी गई.

खुद को ही ‘विजेता’ घोषित करने वाली सेना

यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान की सेना ने खुद को जंग में ‘विजेता’ घोषित किया हो. 1965, 1971 और 1999 के करगिल युद्ध में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी. लेकिन हर बार वहां की फौज ने अपने नागरिकों को झूठी जीत का चूरन चटाया. अब इस फर्जी ‘गौरवगाथा’ में जनरल मुनीर को ‘फील्ड मार्शल’ बनाकर सेना ने यह संदेश दे दिया है कि पाकिस्तान में सत्ता का असली मालिक कौन है.सियासी संकेत साफ हैं

शाहबाज शरीफ सरकार कमजोर है, जनता महंगाई से त्रस्त है, विपक्ष बिखरा हुआ है और सेना लगातार सियासी हस्तक्षेप कर रही है. ऐसे माहौल में मुनीर का यह प्रमोशन सिर्फ सैन्य रैंक नहीं, बल्कि एक राजनीतिक कदम भी है. इससे यह संकेत भी मिलता है कि अगर हालात सेना के खिलाफ गए, तो फील्ड मार्शल मुनीर सियासत का मोहरा बदल सकते हैं.

क्या तख्तापलट तय है?

आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल बनाकर पाकिस्तान ने एक खतरनाक परंपरा को जिंदा कर दिया है. यह सिर्फ एक व्यक्ति का पदोन्नति नहीं, बल्कि लोकतंत्र की गर्दन पर लटकती तलवार है. पाकिस्तान के हालात देखें तो आर्थिक संकट, राजनीतिक अस्थिरता और सैन्य तानाशाही की वापसी का खतरा अब और गहरा हो चुका है.

सारांश:

पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल सैयद आसिम मुनीर को प्रमोशन देकर ‘फील्ड मार्शल’ जैसे रैंक की ओर बढ़ाया जा रहा है। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब पाकिस्तान की सियासत कमजोर है और सेना का दबदबा बढ़ता जा रहा है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या पाकिस्तान में एक बार फिर सेना तख्तापलट की तैयारी कर रही है, क्योंकि देश की सत्ता के असली सूत्रधार अब भी बंकरों में बैठे जनरल ही हैं।

Bharat Baani Bureau

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