05 जून 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : सरकार ने सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स पुर्जों जैसे हाइटेक उत्पादों के विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) में स्थापित की जाने वाली इकाइयों के लिए नियमों को आसान बनाया है। इसके तहत कई नीतिगत छूट दी गई हैं। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने एक गजट अधिसूचना में ऐसी एसईजेड इकाइयों की स्थापना के लिए न्यूनतम भूमि की आवश्यकता को 50 हेक्टेयर से घटाकर 10 हेक्टेयर कर दिया है। भूमि मानदंडों में छूट सेमीकंडक्टर, डिस्प्ले मॉड्यूल सब-असेंबली, विभिन्न प्रकार के अन्य मॉड्यूल सब-असेंबली, प्रिंटेड सर्किट बोर्ड, बैटरी के लिए लीथियम आयन सेल, मोबाइल एवं सूचना प्रौद्योगिकी हार्डवेयर आदि क्षेत्रों पर लागू होंगी। विशेष आर्थिक क्षेत्र (संशोधन) नियम,

2025 के तहत ये संशोधन 3 जून, 2025 से प्रभावी हो गए हैं। वाणिज्य विभाग के एक अधिकारी ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘हम सेमीकंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक्स पुर्जों के विनिर्माण को बढ़ावा देना चाहते हैं। ये आम तौर पर केवल एक इकाई वाले एसईजेड हैं जहां 50 हेक्टेयर के नियम से समस्या हो सकती है। इसलिए हमने उसे घटाकर 10 हेक्टेयर कर दिया है। सेमीकंडक्टर में भारी निवेश करना पड़ता है और उस पर लाभ कमाने में काफी वक्त लगता है। इसलिए हमने एनएफई (नेट फॉरेन एक्सचेंज) गणना में भी कुछ रियायतें दी हैं। हम भारी निवेश की उम्मीद कर रहे हैं, जिससे काफी रोजगार भी पैदा होंगे।’

संशोधित दिशानिर्देशों के तहत सेमीकंडक्टर क्षेत्र में विनिर्माण सेवाएं प्रदान करने वाली इकाइयों के लिए निःशुल्क प्राप्त अथवा निर्यात किए गए माल का मूल्य अब एनएफई गणना में शामिल नहीं होगा। साथ ही एसईजेड नियमों को सीमा शुल्क मूल्यांकन मानदंडों के अनुरूप बनाया गया है। एसईजेड इकाइयों के लिए 5 साल में शुद्ध विदेशी मुद्रा अर्जित करना आवश्यक है। यह एसईजेड अधिनियम के तहत तमाम लाभों का फायदा उठाने की शर्तों में शामिल है।

उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत 2021 में इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) को शुरू किया गया था। उसका उद्देश्य देश में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले उत्पादन के लिए एक दमदार परिवेश का निर्माण करना है ताकि भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण एवं डिजाइन के एक वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित किया जा सके। सरकार अब सेमीकंडक्टर मिशन के अगले चरण को शुरू करने की तैयारी कर रही है।

ईवाई के पार्टनर कुणाल चौधरी ने कहा कि एसईजेड संशोधन नियम, 2005 भारत के नीतिगत ढांचे को हाईटेक विनिर्माण क्षेत्रों रणनीतिक उद्देश्यों के अनुरूप बनाता है। उन्होंने कहा, ‘इन संशोधनों के जरिये भूमि के उपयोग को सुगम बनाया गया है। यह शुद्ध विदेशी मुद्रा की गणना के लिए एक स्पष्ट पद्धति स्थापित करता है जो निर्यात को बढ़ावा देने के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है।’

नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय, सिक्किम, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, गोवा, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, दादरा एवं नागर हवेली तथा दमन व दीव, लद्दाख और पुद्दुचेरी में वि​भिन्न उत्पाद वाले एसईजेड के लिए न्यूनतम क्षेत्र की आवश्यकता को 20 हेक्टेयर से घटाकर 4 हेक्टेयर कर दिया गया है।

Bharat Baani Bureau

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