05 जून 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) भारतीय रिजर्व बैंक ने 30 सितंबर 2025 तक 75 फीसदी ऑटोमेटेड टेलर मशीनों (एटीएम) के जरिये 100 रुपये और 200 रुपये के बैंक नोटों की नियमित पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है। मगर बैंकों और नकदी प्रबंधन कंपनियों के लिए यह एक प्रमुख चुनौती बनकर उभरी है। सामान्य लेनदेन में अक्सर उपयोग किए जाने वाले कम मूल्य वर्ग के बैंक नोटों तक आम लोगों की पहुंच को बेहतर करने के उद्देश्य से रिजर्व बैंक ने यह निर्देश दिया है। उसने सभी बैंकों और व्हाइट लेबल एटीएम ऑपरेटरों (डब्ल्यूएलएओ) को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि 30 सितंबर, 2025 तक 75 फीसदी और 31 मार्च, 2026 तक 90 फीसदी एटीएम से 100 रुपये या 200 रुपये के नोटों की नियमित निकासी हो।
बैंक आम तौर पर एटीएम में सभी 4 कैसेट में 500 रुपये के बैंक नोट भरते हैं ताकि एटीएम को बार-बार भरने की जरूरत न रहे। उद्योग प्रतिभागियों ने कहा कि बैंकों ने स्थिति का जायजा लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। मगर आपूर्ति किल्लत के मद्देनजर ऐसा लगता है कि सितंबर की समय-सीमा को पूरा करना चुनौतीपूर्ण होगा।
ग्रांट थॉर्नटन भारत के पार्टनर एवं लीडर (वित्तीय सेवा जोखिम) विवेक अय्यर ने कहा, ‘रिजर्व बैंक ने ग्राहकों के लिए सुविधा को बेहतर करने के लिए यह निर्देश दिया है। एटीएम में सभी मूल्य वर्ग के नोटों का सही अनुपात में होना जरूरी है।’ उन्होंने कहा, ‘इसके लिए एटीएम को बार-बार भरना पड़ेगा। पहले बैंक मांग को ध्यान में रखते हुए खास एटीएम में कम मूल्य वर्ग के नोट भरते थे। मगर कम मूल्य वर्ग के बैंक नोटों की उपलब्धता चिंताजनक है।’
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, प्रचलन में मौजूद कुल नोटों में 500 रुपये के नोटों की हिस्सेदारी मार्च 2020 में 25.4 फीसदी से बढ़कर मार्च 2025 में 40.9 फीसदी हो गई। इस दौरान 200 रुपये के नोटों की हिस्सेदारी 4.6 फीसदी से बढ़कर 5.6 फीसदी हो गई। मगर 100 रुपये के नोटों की हिस्सेदारी मार्च 2020 के आखिर में 17.2 फीसदी से घटकर मार्च 2023 के आखिर में 13.3 फीसदी रह गई और फिर मार्च 2025 तक बढ़कर 14.7 फीसदी हो गई।
एनसीआर एटलियस के एमडी (भारत) एवं क्षेत्रीय उपाध्यक्ष (एशिया प्रशांत) नवरोज दस्तूर ने कहा, ‘अगर हमें कैसेट में कम मूल्य वर्ग के नोटों को भरना है तो हमें 100 रुपये या 200 रुपये के नोट डालने के लिए उसे नए सिरे से कैलिब्रेट करना होगा। इसका मतलब यह हुआ कि इसके लिए हमें उन एटीएम या सीआईटी (कैश इन ट्रांजिट) वॉल्ट तक जाना होगा जिसके लिए बैंकों या सेवा प्रदाताओं को अतिरिक्त लागत का वहन करना पड़ेगा। मगर सबसे बड़ी चुनौती इन नोटों की लगातार उपलब्धता है।’
कम मूल्य वर्ग के नोटों की आपूर्ति की समस्या छोटे शहरों के लिए बिल्कुल स्पष्ट है। एक बैंक अधिकारी ने कहा, ‘अधिकतर बैंकों के लिए 500 रुपये के नोटों की उपलब्धता अच्छी है। महानगरों में सभी मूल्य वर्ग के नोट उपलब्ध होंगे। छोटे शहरों में जिन बड़े बैंकों के पास करेंसी चेस्ट है, उनके पास सभी मूल्य वर्ग और अच्छी गुणवत्ता वाले नोट उपलब्ध होंगे। मगर छोटे बैंकों को अपनी शाखाओं में जमा पर निर्भर रहना पड़ेगा जहां लोग आम तौर पर अधिक मूल्य के नोट जमा करते हैं।’
आम तौर पर एटीएम में 4 कैसेट होते हैं और उनमें से हरेक में करीब 2,000 से 2,500 नोट रखने की क्षमता होती है। विशेषज्ञों के अनुसार, कैसेट को 500 रुपये के नोटों से भरने पर अधिक रकम का भंडारण किया जा सकता है और उसे दोबारा भरने का समय भी बढ़ जाता है। अधिकारी ने कहा, ‘एटीएम में उच्च मूल्य वर्ग के नोट भरे जाते हैं क्योंकि उन्हें यह सुनिश्चित करना होता है कि वे नकदी से खाली न रहे। अगर एटीएम यह एक महीने में 10 घंटे से
अधिक समय तक नकदी से खाली रहता है तो हमें 10,000 रुपये का जुर्माना देना पड़ता है और इससे बैंक की छवि भी प्रभावित होती है।’
सारांश:
RBI ने बैंकों को निर्देश दिया है कि 30 सितंबर 2025 तक देश के कम से कम 75% एटीएम से ₹100 और ₹200 के नोट अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराए जाएं। इस फैसले का मकसद छोटे मूल्यवर्ग के नोटों की उपलब्धता बढ़ाना है, लेकिन बैंकों के लिए इसे लागू करना एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है।