Operation Sindoor 10 जून 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर खत्म होने की अभी तक कोई घोषणा नहीं की है. हालांकि पाकिस्तान की नानी याद दिलाने वाली ब्रह्मोस मिसाइलें और आकाश डिफेंस सिस्टम अभी खामोश हैं. लेकिन, सरकार ने अपने दूसरे हथियारों को अब भी एक्टिव रखा है. इसी के तहत भारत सरकार अपनी रणनीतिक ताकत को बढ़ाने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है. दरअसल, केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में चिनाब नदी पर प्रस्तावित 22,700 करोड़ रुपये की सावलकोट जलविद्युत परियोजना को तेजी से मंजूरी देने की तैयारी शुरू कर दी है. इस परियोजना को राष्ट्रीय महत्व का दर्जा प्राप्त है और यह 1,856 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता रखती है. इसको लेकर हिंदुस्तान टाइम्स अखबार ने एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट छापी है.

अखबार ने दो सरकारी अधिकारियों के हवाले से लिखा है कि अगले साल तक इस परियोजना पर काम शुरू हो सकता है. बिजली मंत्रालय जल्द ही इसे बनाने वाली एजेंसी का फैसला करेगा. यह कदम भारत-पाकिस्तान के बीच तनावपूर्ण रिश्तों और हाल ही में सिंधु जल संधि को निलंबित करने के फैसले के बाद और भी महत्वपूर्ण हो गया है.

सावलकोट परियोजना

सावलकोट परियोजना उन चार जलविद्युत परियोजनाओं में से एक है जो जम्मू-कश्मीर में कुल 3,119 मेगावाट बिजली उत्पादन की क्षमता रखती हैं. इन परियोजनाओं को प्रशासनिक देरी और 1960 के सिंधु जल संधि के प्रतिबंधों के कारण लंबे समय से रोका गया था. 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने इस संधि को निलंबित कर दिया. अखबार ने पूर्व जल संसाधन सचिव शशि शेखर के हवाले से लिखा है कि अब जब भारत ने संधि को निलंबित कर दिया है तो वह भारतीय सीमा में सिंधु नदी प्रणाली पर बुनियादी ढांचा बनाने के लिए स्वतंत्र है. यह फैसला पाकिस्तान के लिए एक रणनीतिक झटका माना जा रहा है, क्योंकि चिनाब नदी का पानी पाकिस्तान की कृषि के लिए महत्वपूर्ण है.

परियोजना के पहले चरण को मंजूरी

सावलकोट एक रन-ऑफ-द-रिवर परियोजना है, जो न केवल बिजली उत्पादन करेगी बल्कि बड़े कृषि क्षेत्रों के लिए सिंचाई की सुविधा भी प्रदान करेगी. यह परियोजना रमबन, बटोटे, महोर और उधमपुर वन डिवीजनों में रियासी और उधमपुर जिलों के आसपास बनाई जाएगी. नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (NHPC) ने इसका विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन (DPR) तैयार किया है. एक अधिकारी ने बताया कि जम्मू-कश्मीर सरकार इस परियोजना में हिस्सेदारी चाहती है, चाहे वह अपनी किसी पावर कंपनी के जरिए हो या संयुक्त उद्यम के माध्यम से. जल्द ही इस पर फैसला होगा.

वर्ष 2021 में जम्मू-कश्मीर के वन विभाग ने पर्यावरणीय मंजूरी की सिफारिश की थी, जिसके बाद प्रारंभिक कार्य शुरू हुए. अब केंद्र सरकार दो चरणों वाली इस परियोजना के पहले चरण को जल्द मंजूरी देने की तैयारी में है. जम्मू-कश्मीर सरकार की इसमें रुचि इसलिए भी है, क्योंकि यह परियोजना उसके लिए राजस्व का एक बड़ा स्रोत बन सकती है.

सारांश:
Operation Sindoor Part-2 के तहत भारत ने पाकिस्तान पर दबाव बढ़ा दिया है। ब्रह्मोस और आकाश जैसे प्रमुख हथियार सिस्टम भले ही इस बार शांत हैं, लेकिन कुछ नए और बेहद सटीक हथियार सिस्टम को मिशन के लिए ग्रीन सिग्नल दे दिया गया है। यह ऑपरेशन रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा है और भारत की सख्त सैन्य नीति को दर्शाता है।

Bharat Baani Bureau

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