नई दिल्ली 18 जून 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : मध्य-पूर्व में इजरायल और ईरान की जंग चरम पर है. अब अमेरिका भी खुलकर मैदान में कूद चुका है. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को धमकी देते हुए ‘अनकंडीशनल सरेंडर’ यानी बिना शर्त आत्मसमर्पण की मांग की है. ट्रंप ने चेतावनी दी है कि अगर ईरान ने अमेरिकी नागरिकों या सैनिकों पर हमला किया तो जवाब ‘बिना दस्तानों’ वाला होगा. लेकिन ये अनकंडीशनल सरेंडर आखिर होता क्या है? और अगर खामेनेई ने ये नहीं माना तो क्या वाकई उनका अंजाम भी सद्दाम हुसैन या गद्दाफी जैसा होगा?

ट्रंप का अल्टीमेटम: ‘हम खामेनेई का पता जानते हैं, मारेंगे नहीं… फिलहाल’

Truth Social पर पोस्ट करते हुए ट्रंप ने लिखा, ‘हमें ठीक-ठीक पता है कि खुद को ‘सुप्रीम लीडर’ कहने वाला खामेनेई कहां छिपा है. वो आसान निशाना है, लेकिन अभी नहीं… हम उसे अभी मारने नहीं जा रहे. लेकिन हमारी सहनशक्ति अब जवाब दे रही है. नागरिकों और सैनिकों पर हमला नहीं चलेगा. अब आत्मसमर्पण करो- बिना शर्त!’

इसके साथ ही ट्रंप ने दावा किया कि अमेरिका ने ईरान के ऊपर पूरी तरह से हवाई नियंत्रण हासिल कर लिया है. F-16, F-22 और F-35 फाइटर जेट्स की तैनाती ने अमेरिका को ईरानी आसमान में ‘निरंकुश ताकत’ बना दिया है.
‘अनकंडीशनल सरेंडर’ क्या है?

बिना शर्त आत्मसमर्पण यानी ‘Unconditional Surrender’ वह स्थिति होती है जिसमें हारने वाली ताकत को किसी भी प्रकार की शर्त रखने का अधिकार नहीं होता. उसे विजेता की सभी शर्तें माननी पड़ती हैं, चाहे वो सैन्य विघटन हो, राजनीतिक नियंत्रण या राष्ट्र प्रमुख की गिरफ्तारी, कुछ भी हो सकता है.

इस नीति का सबसे चर्चित उदाहरण द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सामने आया, जब अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रैंकलिन डी. रूज़वेल्ट ने 1943 में कासाब्लांका सम्मेलन के दौरान ऐलान किया था कि ‘हम जर्मनी, जापान और इटली से केवल बिना शर्त आत्मसमर्पण ही स्वीकार करेंगे.’

इस पॉलिसी का इतिहास: जापान से लेकर सद्दाम तक

जापान के मामले में अमेरिका ने कोई शर्त नहीं मानी. हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए गए, जिसके बाद जापान ने पूरी तरह आत्मसमर्पण कर दिया. यही पॉलिसी बाद में इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन और लीबिया के मुअम्मार गद्दाफी जैसे नेताओं पर भी लागू की गई या यूं कहिए थोपी गई.

सद्दाम ने 2003 में अमेरिकी हमले के बाद बिना शर्त समर्पण नहीं किया. नतीजा- उसे पकड़कर फांसी दी गई. गद्दाफी को 2011 में भीड़ ने घसीटकर मार डाला. ऐसे में ट्रंप का यह इशारा सीधा खामेनेई के जीवन पर है: या तो झुक जाओ, या मिट जाओ.

इजरायल-ईरान युद्ध की स्थिति

13 जून को इजरायल ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों को निशाना बनाकर हमला शुरू किया. इसमें कई ईरानी वैज्ञानिक और IRGC के वरिष्ठ अधिकारी मारे गए. जवाबी कार्रवाई में ईरान ने भी मिसाइलें दागीं. अब तक ईरान में 224 आम नागरिकों की मौत हो चुकी है, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी हैं. 1,257 लोग घायल हैं और हालात बिगड़ते जा रहे हैं. इजरायल में 24 मौतें दर्ज की गई हैं.

ईरान ने आरोप लगाया है कि इजरायल का हमला अंतरराष्ट्रीय कानून और यूएन चार्टर के अनुच्छेद 2(4) का उल्लंघन है, और वो अनुच्छेद 51 के तहत जवाबी कार्रवाई का हक रखता है.

क्या ईरान झुकेगा?

ईरान ने फिलहाल कोई बैकफुट नहीं लिया है. न ही खामेनेई कहीं छिपे हैं. एक ईरानी बिजनेसमैन ने Rediff को बताया कि ‘तेहरान सामान्य है. कोई नहीं भाग रहा. दफ्तर, स्कूल, मॉल सब खुले हैं. हम अपने एयर डिफेंस पर भरोसा करते हैं.’ अमेरिका और इजरायल भले ही इसे ‘बॉर्डर ऑपरेशन’ कह रहे हों, लेकिन हकीकत में ये क्षेत्रीय युद्ध का रूप ले चुका है.

अगर खामेनेई नहीं माने तो?

अगर ईरान ने ट्रंप की ‘बिना शर्त आत्मसमर्पण’ की मांग नहीं मानी, तो उसके लिए तीन संभावनाएं हैं:

टार्गेटेड स्ट्राइक: खामेनेई, IRGC हेड या न्यूक्लियर साइंटिस्ट्स पर हमला हो सकता है.

रिजीम चेंज ऑपरेशन: अमेरिका-अनुकूल नेता की सत्ता में वापसी के लिए विद्रोह को हवा दी जा सकती है.

फुल स्केल इनवेजन: इराक या अफगानिस्तान की तरह जमीनी लड़ाई का रास्ता अपनाया जा सकता है.

ईरान को अपने विकल्प बहुत सावधानी से चुनने होंगे. एक तरफ इजरायल की आक्रामकता, दूसरी तरफ अमेरिका की धमकी और ऊपर से खुद का परमाणु कार्यक्रम. सवाल ये है कि क्या खामेनेई झुकेंगे?

सारांश:
‘अनकंडीशनल सरेंडर’ यानी बिना किसी शर्त के आत्मसमर्पण की धमकी देकर डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान पर दबाव बढ़ा दिया है। अमेरिका चाहता है कि ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम और क्षेत्रीय गतिविधियों को पूरी तरह रोक दे। अगर सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई ने यह शर्त नहीं मानी, तो ट्रंप प्रशासन सैन्य कार्रवाई तक की चेतावनी दे चुका है। हालात बेहद तनावपूर्ण हैं और मध्य पूर्व में बड़ा संघर्ष छिड़ सकता है।

Bharat Baani Bureau

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