23 जून 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) लंदन जा रही एयर इंडिया की उड़ान एआई171 के उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त होने के कारणों का पता लगाने के लिए जांच फिलहाल जारी है। मगर 12 जून को इस विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के कारण पायलटों, चालक दल के सदस्यों (केबिन क्रू) और उनके परिवारों के दिमाग में चिंता अभी तक बरकरार है।
बिज़नेस स्टैंडर्ड ने जिन पायलटों एवं चालक दल के सदस्यों से बातचीत की उनमें से कई लोगों बताया कि उन्हें और उनके परिवार के सदस्यों के दिमाग से चिंता दूर नहीं हो रही है। इस दुर्घटना में विमान में सवार 242 में से 241 लोग मारे गए थे जिनमें दोनों पायलट और चालक दल के सभी सदस्य भी शामिल थे। इसके अलावा जमीन पर 34 लोग भी मारे गए।
एक फुल-सर्विस एयरलाइन के पायलट ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘यह हादसा उन घटनाओं में शामिल है जिनके कारणों का पता अब तक नहीं चल पाया है। मुझे लगता है कि इससे मेरे माता-पिता की चिंता बढ़ गई है।’ उन्होंने कहा, ‘मैं उन्हें विश्वास दिलाने की कोशिश करता हूं कि इंजीनियरिंग एवं प्रकृति दोनों तरीके से विमान में सुरक्षा पर ध्यान दिया जाता है। मगर इससे उन्हें कोई तसल्ली नहीं हो रही है।’
एक किफायती विमानन सेवा के लिए काम करने वाले एक अन्य पायलट ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा कि इतनी चिंता और दुख के बावजूद विमानन कंपनी का कोई भी कर्मचारी इस संबंध में बात नहीं करता है। वे डरते हैं कि उन्हें रोस्टर से हटा दिया जाएगा।
पायलट ने कहा, ‘मेरे अधिकतर सहयोगी रोजाना ध्यान करते हैं। वे बॉक्सिंग करते हैं या जिम जाते हैं। तनाव से निपटने का यही तरीका है।’ उन्होंने कहा, ‘दूसरी बात, काफी व्यस्त कार्यक्रम होने के कारण हमारे लिए नियमित तौर पर किसी मानसिक स्वास्थ्य पेशेवर के पास जाना संभव नहीं है।’
विमानन नियामक नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने फरवरी 2023 में सभी विमानन कंपनियों को अपने पायलटों, केबिन क्रू सदस्यों और एयर ट्रैफिक कंट्रोलरों के मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए एक पीयर सपोर्ट प्रोग्राम (पीएसपी) शुरू करने के लिए कहा था।
एयर इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी एवं प्रबंध निदेशक कैंपबेल विल्सन ने कुछ ही महीने बाद कर्मचारियों को एक संदेश भेजकर कहा कि पायलटों के लिए एक पीएसपी शुरू किया गया है। उन्होंने कहा था कि इसके तहत पूरी गोपनीयता के साथ जरूरतमंदों को सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। उनके संदेश में यह भी कहा गया था कि विमानन कंपनी ने बडी.एआई भी लॉन्च किया है। यह पायलटों को समान पेशेवर पृष्ठभूमि और उनके सामने आने वाली चुनौतियों की समझ रखने वाले प्रशिक्षित लोगों से जुड़ने का अवसर देता है।
चालक दल के सदस्यों के लिए भावनात्मक स्वास्थ्य संबंधी योजनाओं के बारे में जानकारी के लिए एयर इंडिया ग्रुप, इंडिगो, स्पाइसजेट और अकासा एयर सहित सभी प्रमुख भारतीय विमानन कंपनियों को भेजे गए ईमेल का खबर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं आया।
अमदाबाद विमान दुर्घटना के बाद करीब चार उड़ानों का संचालन तकनीकी खराबी का पता चलने के बाद बाधित हुआ और आपातकालीन लैंडिंग कराई गई। कई पायलटों और चालक दल के सदस्यों ने उड़ान ड्यूटी के दौरान होने वाली चिंता को स्वीकार किया, मगर उन्होंने यह भी कहा कि वर्षों का प्रशिक्षण उन्हें ऐसी परिस्थितियों से निपटने में मदद करता है।
एक वरिष्ठ पायलट ने कहा, ‘पायलटों को उड़ान के दौरान आपात स्थितियों, तकनीकी गड़बड़ियों से लेकर विमान में सवार चिकित्सा स्थितियों तक से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।’
इस बीच, पायलटों के लिए थकान एवं आराम का मुद्दा फिर से सुर्खियों में है। पिछले साल, डीजीसीए ने उड़ान ड्यूटी की समय सीमा (एफडीटीएल) संबंधी मानदंडों में बदलाव किया था। नए एफडीटीएल मानदंडों के तहत पायलटों के लिए अतिरिक्त आराम, रात्रिकालीन ड्यूटी नियमों में संशोधन और विमानन कंपनियों को पायलट थकान रिपोर्ट जमा करने के निर्देश दिए गए हैं। पायलट सहित चालक दल के सदस्यों को पहले 36 घंटे प्रति सप्ताह निर्धारित अवधि के बजाय 48 घंटे आराम करना जरूरी है।
एक सेवानिवृत्त पायलट ने अपनी पहचान जाहिर न करने की शर्त पर कहा, ‘चालक दल के किसी भी सदस्य के लिए पर्याप्त आराम जरूरी है। उनकी शारीरिक या मानसिक यानी किसी भी तरह की थकान गंभीर जोखिम पैदा कर सकती है।’ उन्होंने कहा कि सेवारत पायलट चिकित्सा मूल्यांकन के लिए ग्राउंडेड होने की आशंका के कारण थकान या तनाव के बारे में बताने से अक्सर संकोच करते हैं। कुछ लोगों को इस बात का भी डर होता है कि उन्हें मेडिकल लीव पर न भेज दिया जाए।
कुछ ही दिन पलहे डीजीसीए ने उड़ान क्रू रोस्टरिंग के लिए जिम्मेदार एयर इंडिया के तीन वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया था, क्योंकि उसने पाया था कि लाइसेंसिंग, आराम एवं अन्य आवश्यकताओं को नजरअंदाज किया जा रहा था। उसने विमानन कंपनियों को चेताया है कि भविष्य में निरीक्षण के दौरान ऐसी खामियों का पता चलने पर विमानन कंपनी का संचालन लाइसेंस भी रद्द किया जा सकता है।
सारांश:
हालिया एयर इंडिया दुर्घटना के बाद पायलटों और केबिन क्रू में मानसिक तनाव गहराता जा रहा है। कर्मचारियों ने बढ़ते दबाव और लंबे वर्किंग ऑवर्स को लेकर चिंता जताई है। इस घटना ने एयरलाइन की सुरक्षा व्यवस्था और क्रू वेलफेयर पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।