03 जुलाई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : कैंसर के मामले दुनियाभर में तेजी से बढ़ते जा रहे हैं, सभी उम्र-लिंग वाले इसका शिकार हो रहे हैं। पिछले दो दशकों में महिलाओं में भी कैंसर के मामलों में काफी तेजी से वृद्धि हुई है, इनमें स्तन और सर्वाइकल कैंसर के केस सबसे ज्यादा रिपोर्ट किए जा रहे हैं। कई अध्ययन सर्वाइकल कैंसर के बढ़ते खतरे और इससे बचाव के उपायों को लेकर सभी उम्र की महिलाओं को निरंतर सावधानी बरतते रहने की सलाह देते हैं।
एक हालिया रिपोर्ट में विशेषज्ञों की टीम ने बताया कि अधिक उम्र की महिलाओं में गर्भाशय-ग्रीवा कैंसर (सर्वाइकल कैंसर) के मामले वैश्विक स्तर पर बढ़ गए हैं। शोध में पाया गया है कि 65 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं में युवा महिलाओं की तुलना में एचपीवी संक्रमण होने की आशंका अधिक देखी जा रही है।
अध्ययनकर्ता बताते हैं कि 20 साल से लेकर वृद्ध महिलाओं, सभी को इस कैंसर का खतरा हो सकता है, जिससे बचाव को लेकर सावधानी बरतते रहना जरूरी है।
सभी उम्र की महिलाएं हो रही हैं सर्वाइकल कैंसर का शिकार
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की एक रिपोर्ट के अनुसार सर्वाइकल कैंसर के कारण स्वास्थ्य क्षेत्र पर दवाब तो बढ़ ही रहा है साथ ही मृत्यु का जोखिम भी बढ़ता जा रहा है। हालांकि अच्छी बात ये है कि यह एक रोकथाम योग्य बीमारी है।
विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि सिर्फ युवाओं को ही नहीं, 65 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिलाओं को भी नियमित रूप से सर्वाइकल कैंसर की जांच करानी चाहिए, क्योंकि उनमें अभी भी ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) का संक्रमण और इसके कारण कैंसर होने का जोखिम अधिक है।
95% मामले एचपीवी वायरस संक्रमण के कारण
एचपीवी वायरस लगभग 95% सर्वाइकल कैंसर के लिए जिम्मेदार है। ये मुख्य रूप से त्वचा के संपर्क के माध्यम से फैलता है, जो कि आमतौर पर यौन क्रियाकलापों के दौरान होता है। असुरक्षित या अप्राकृतिक यौन संबंधों के कारण महिला और पुरुषों दोनों में इस कैंसर का जोखिम देखा जाता रहा है।
रोकथाम को लेकर डब्ल्यूएचओ की रणनीति
सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम को लेकर डब्ल्यूएचओ ने वैश्विक रणनीति बनाई है जिसके तहत साल साल 2030 तक सभी देशों में 15 साल की उम्र तक 90% लड़कियों को एचपीवी वैक्सीन लगाने की सलाह दी गई है। इसके अलावा 70% महिलाओं की स्क्रीनिंग और सर्वाइकल बीमारी से पीड़ित 90% लोगों का इलाज करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस कैंसर के रोकथाम के लिए तैयार मॉडलिंग से पता चलता है कि अगर इन उपायों का पालन कर लिया जाता है तो साल 2120 तक 62 मिलियन मौतें (6.2 करोड़) और सर्वाइकल कैंसर के कुल 74 मिलियन (7.4 करोड़) नए मामले रोके जा सकेंगे।
65 वर्ष से अधिक उम्र के महिलाओं में बढ़ता खतरा
स्क्रीनिंग कार्यक्रम हर देश में अलग-अलग होते हैं, लेकिन ज्यादातर दिशा-निर्देश 65 साल की उम्र के बाद सर्वाइकल स्क्रीनिंग बंद करने की सलाह देते हैं, अगर पिछले टेस्ट के नतीजे सामान्य रहे हों।
साल 2022 में, दुनियाभर में 65 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिलाओं में इस बीमारी से 157,182 नए मामले सामने आए और 124,269 मौतें हुईं।
इस तरह हाल के वर्षों की रिपोर्ट्स के देखते हुए विशेषज्ञों की टीम ने 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में स्क्रीनिंग बढ़ाने की सलाह दी है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
चीन में शोधकर्ताओं ने 2017 से 2023 के बीच 20 लाख से ज्यादा महिलाओं के सर्वाइकल कैंसर स्क्रीनिंग डेटा का विश्लेषण किया। 20 लाख में से 17,420 केस 65 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र की महिलाओं के थे।
निष्कर्षों को लेकर कैंसर रिसर्च यूके में हेल्थ इंफॉर्मेशन मैनेजर मैक्सिने लेंजा कहती हैं, 65 वर्ष से ज्यादा उम्र अधिकतर महिलाएं काफी हद तक बिना टीकाकरण वाली आबादी हैं। इनका अगर स्क्रीनिंग न किया जाए तो ऐसे लोगों में सर्वाइकल कैंसर का उच्च जोखिम हो सकता है।
हालिया रिपोर्ट्स बताते हैं कि सिर्फ युवा महिलाओं में ही नहीं, 65 से अधिक उम्र वालों में भी कैंसर होने का खतरा अधिक रहता है, इसलिए नियमित स्क्रीनिंग बढ़ाना जरूरी है।