10 जुलाई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) केनरा बैंक ने गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि उसने उद्योगपति अनिल अंबानी (Anil Ambani) से जुड़े एक लोन अकाउंट को ‘फ्रॉड’ यानी धोखाधड़ी वाला घोषित करने का निर्णय वापस ले लिया है। इस जानकारी के सामने आने के बाद न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और नीला गोखले की पीठ ने अंबानी की याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि “अब इस मामले में कुछ बचा नहीं है।” इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि इस अपडेट को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को भी सूचित किया जाए।

RCom की दिवालिया प्रक्रिया से जुड़ा है मामला

यह मामला अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (Reliance Communications) से जुड़े एक लोन से संबंधित है। यह कंपनी फिलहाल दिवालिया प्रक्रिया (Insolvency Proceedings) से गुजर रही है। 8 नवंबर 2024 को केनरा बैंक ने इस लोन खाते को ‘फ्रॉड’ (धोखाधड़ी वाला) करार दिया था। बैंक ने इसके लिए कई कारण बताए थे। बैंक का कहना था कि 2017 में दिए गए ₹1,050 करोड़ के लोन को एक ग्रुप कंपनी में ट्रांसफर कर दिया गया। आरोप है कि इस पैसे का इस्तेमाल सम्बंधित कंपनियों के पुराने कर्ज चुकाने में किया गया।

यह फैसला RBI के ‘फ्रॉड अकाउंट्स’ पर मास्टर सर्कुलर के तहत लिया गया था, जिसमें ऐसे मामलों के लिए नियम और प्रक्रिया बताई गई है।

SBI ने भी RCom के खाते को फ्रॉड घोषित किया था

केनरा बैंक द्वारा अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस के लोन खाते से फ्रॉड का टैग हटाने का फैसला ऐसे समय में आया है, जब हाल ही में कंपनी ने शेयर बाजारों को जानकारी दी थी कि भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने भी कुछ गड़बड़ियों का हवाला देते हुए उसके लोन खाते को फ्रॉड घोषित किया था।

कंपनी को लिखे एक पत्र में, एसबीआई ने कहा, “हमने अपने कारण बताओ नोटिस के जवाबों का संज्ञान लिया है और उचित जांच के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि लोन की शर्तों का पालन न करने या खाते में अनियमितताओं के लिए बैंक की संतुष्टि के अनुसार पर्याप्त कारण नहीं बताए गए हैं।”

अनिल अंबानी ने कोर्ट में दी थी चुनौती

इस साल फरवरी में बॉम्बे हाई कोर्ट ने अनिल अंबानी की याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत होते हुए केनरा बैंक द्वारा लगाए गए ‘फ्रॉड’ टैग पर रोक लगा दी थी। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह सवाल उठाया था कि क्या भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) उन बैंकों के खिलाफ कार्रवाई करना चाहता है जो उसकी गाइडलाइंस और सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पालन नहीं करते — जिनमें यह स्पष्ट रूप से कहा गया है कि किसी खाते को धोखाधड़ी (फ्रॉड) घोषित करने से पहले उधारकर्ता को सुनवाई का मौका दिया जाना चाहिए।

अनिल अंबानी की ओर से दायर याचिका भी इसी सिद्धांत पर आधारित थी। उनका तर्क था कि केनरा बैंक ने ‘फ्रॉड’ घोषित करने से पहले उन्हें कोई सुनवाई का अवसर नहीं दिया।

सारांश:
Canara Bank ने अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस (RCom) के लोन अकाउंट से ‘फ्रॉड’ का टैग हटा लिया है। इससे पहले बैंक ने कंपनी को धोखाधड़ी का आरोपी बताया था, लेकिन अब इस फैसले को वापस ले लिया गया है। यह यू-टर्न RCom के लिए राहत की खबर है और इससे कंपनी के पुनर्गठन प्रयासों को गति मिल सकती है।

Bharat Baani Bureau

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