22 जुलाई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : रूस पर पश्चिम के देश मिलकर दबाव डाल रहे हैं कि वो यूक्रेन के खिलाफ अपने युद्ध को यहीं पर विराम दे दे लेकिन रूस का मूड कुछ और ही है. शांतिवार्ता से ठीक पहले रूस ने अपने सबसे बड़े और सीक्रेट ड्रोन कारखाने को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया है. ये ड्रोन फैक्ट्री तातारस्तान के येलाबुगा में अलाबुगा स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन में स्थित है. ये वही इलाका है, जहां यूक्रेन ने अपने ड्रोन्स से हमला किया था. रूस का यह कारखाना रूस के सैन्य अभियानों का केंद्र है, जो यूक्रेन पर हमलों के लिए गेरान-2 ड्रोन का बड़ी संख्या में उत्पादन करना है. आपको बता दें कि गेरान-2 ईरानी शाहेद-136 का रूसी संस्करण है.

रूसी रक्षा मंत्रालय के टीवी चैनल ज़्वेज़्दा पर प्रसारित एक प्रचार वीडियो में दिखाया है वहां किस तरह दिन-रात ड्रोन बनाने का काम चल रही है. इस काम में 15 साल के बच्चों को भी शामिल किया गया है, जो इन घातक ड्रोन को असेंबल करते दिख रहे हैं. अलाबुगा स्पेशल इकोनॉमिक जोन के CEO तिमुर शागिवालिएव ने दावा किया है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा और गुप्त ड्रोन कारखाना है. उन्होंने बताया कि शुरु में उनकी योजना कुछ हजार ड्रोन बनाने की थी, लेकिन अब उत्पादन नौ गुना बढ़ गया है.

हर महीने बन रहे 5000 ड्रोन

इस कारखाने में हर वक्त काम चलता रहता है. मई, 2025 तक फैक्ट्री में हर महीने 5,200 ईरानी शाहेद जैसे हमलावर और डिकॉय ड्रोन बन रहे थे. वीडियो में 15-16 साल के बच्चों को एक चमकदार फैक्ट्री हॉल में ड्रोन के पुर्जे जोड़ते और कंप्यूटर स्टेशनों पर काम करते दिखाया गया. वीडियो में इसे गर्व से बताया गया है कि फैक्ट्री में युवा चेहरे काम करते दिखते हैं.
क्या है अलाबुगा फैक्ट्री की खासियत?

2023 में शुरू हुई ये फैक्ट्री धातु की ढलाई, लोहे के कारखाने और इन-हाउस असेंबली लाइनों से लैस है. रूस कैस्पियन सागर और कामा नदी के रास्ते ईरान से पुर्जे मंगवाता है और ड्रोन की असेंबलिंग कराता है. गेरान-2 ड्रोन 3.5 मीटर लंबा है और 50 किलो तक विस्फोटक ले जा सकता है. इसकी रेंज 1800 किलोमीटर की दूरी तक है, जबकि ये 300 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से हमला कर सकता है. सबसे खास बात ये है कि ये महज $35,000–$49,000 में तैयार हो जाता है, ऐसे में अगर अमेरिकी पैट्रियट मिसाइल जैसे पश्चिमी हथियार इसे गिराते भी हैं, जो ज्यादा नुकसान उनका ही है.

रूस ने बच्चों-महिलाओं के लगाया काम पर

जिस फैक्ट्री को रूस खुले में दिखा रहा है, उसे लेकर विवाद भी हैं. इंटरपोल की ओर से आरोप है कि इस फैक्ट्री के लिए अफ्रीकी महिलाओं को झूठे वादों के साथ बुलाया गया और काम पर लगा दिया गया. अप्रैल, 2025 में मानव तस्करी की जांच शुरू हुई, जिसमें दावा किया गया कि 18-22 साल की महिलाओं को कांगो, दक्षिण सूडान, और बोत्सवाना जैसे देशों से गलत तरीके से लाया गया. इसके अलावा फैक्ट्री में 15 साल के स्थानीय छात्रों को भी काम पर लगाया गया है, जिन्हें अलाबुगा पॉलिटेक्निक कॉलेज से भर्ती किया जाता है.

यूक्रेन पर प्रभाव और हमले

गेरान-2 ड्रोन के इतनी बड़ी मात्रा में उत्पाद से यूक्रेन को परेशानी होती है क्योंकि रूस का रात में हमले के लिए ये पसंदीदा हथियार है. अकेले जून महीने में ही रूस ने 5300 ड्रोन यूक्रेन पर लॉन्च किए, जिनमें 9 जुलाई को एक दिन में 741 हवाई हथियारों के हमले में सबको चौंका दिया. यूक्रेन ने दावा किया कि उसने रूस की इस फैक्ट्री पर कई बार हमले किए, जिसमें 15 जून का ताजा हमला भी शामिल है. ये फैक्ट्री यूक्रेन की सीमा से 1100 किलोमीटर की दूरी पर है. अलाबुगा फैक्ट्री रूस की सैन्य रणनीति का अहम हिस्सा है.

रात में बड़े हमले की योजना

इस फुटेज को यूक्रेन की मिलिट्री की ओर से भी साझा किया गया है, जिमें मेट ब्लैक गेरान-3 की लाइनें दिख रही हैं. जर्मन रक्षा मंत्रालय के योजना और कमान स्टाफ के प्रमुख मेजर जनरल क्रिश्चियन फ्रायडिंग ने 19 जुलाई को चेतावनी दी थी कि रूस अब यूक्रेन के खिलाफ बड़े हमले की ताक में हैं और वो एक रात में 2000 ड्रोन दागने की तैयारी में है. जिस तरह से उसका उत्पादन कार्य चल रहा है, वो दिन ज्यादा दूर भी नहीं लग रहा है.

सारांश:
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने दुनिया की सबसे बड़ी ड्रोन फैक्ट्री का दौरा किया, जहां 24 घंटे हथियारों और UAVs (ड्रोन) का निर्माण हो रहा है। खास बात यह है कि यहां स्कूली बच्चों की मदद से भी ड्रोन बनाए जा रहे हैं, जिन्हें यूक्रेन में सैन्य अभियानों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह कदम रूस की युद्ध रणनीति में एक नया मोड़ माना जा रहा है।

Bharat Baani Bureau

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *