04 जुलाई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : अमेरिका और रूस-चीन अब सीधी समुद्री भिड़ंत के मोड में दिख रहे हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जैसे ही रूस के किनारे न्यूक्लियर सबमरीन तैनात करने का आदेश दिया, पुतिन और जिनपिंग ने जवाबी चाल चल दी. सी ऑफ जापान में रूस और चीन की नेवी ने एक साथ वॉर एक्सरसाइज शुरू कर कर दी है. इसमें एंटी-सबमरीन ड्रिल्स से लेकर ज्वाइंट गनफायर तक सब कुछ शामिल हैं. ये ‘Maritime Interaction 2025’ नाम की ड्रिल ट्रंप के ऐलान से कुछ घंटे पहले शुरू हुई थी, लेकिन अब इसकी टाइमिंग पर पूरी दुनिया की नजर है.
रूस की ओर से एक बड़ा एंटी-सबमरीन वॉरशिप इसमें शामिल है. तो वहीं, चीन की ओर से दो घातक डिस्ट्रॉयर, डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियां और सबमरीन रेस्क्यू जहाज एक्सरसाइज का हिस्सा हैं. इनका फोकस समंदर में दुश्मन की पनडुब्बियों की तलाश करना, उसे खत्म करना, एयर डिफेंस की प्रैक्टिस करना और कॉम्बैट सर्च-रेस्क्यू ऑपरेशन है. ये पहली बार नहीं है जब रूस-चीन एक साथ वॉर एक्सरसाइज कर रहे हैं, लेकिन ट्रंप की धमकी के बाद इसका प्रभाव कहीं ज्यादा बड़ा है.
ट्रंप का न्यूक्लियर दांव
1 अगस्त को ट्रंप ने अचानक एलान किया कि उन्होंने अमेरिका की दो न्यूक्लियर सबमरीन सही जगहों पर तैनात कर दी हैं. ये बयान ऐसे वक्त आया जब रूस के पूर्व राष्ट्रपति मेदवेदेव ने कहा था कि अमेरिका-रूस के बीच वॉर का खतरा सिर्फ संभावना नहीं, बल्कि करीब है. अमेरिका और रूस दुनिया की सबसे बड़ी परमाणु ताकतें हैं. और ऐसे में किसी एक की भी सबमरीन मूवमेंट को गंभीरता से लिया जाता है. खासतौर पर तब जब ट्रंप ‘असली ताकत’ दिखाने के मूड में हैं.
संकेत क्या हैं?
रूस और चीन मिलकर अमेरिका को ये जताना चाहते हैं कि इंडपैसिफिक में सिर्फ एक ही सुपरपावर नहीं है. ट्रंप के सबमरीन तैनात करने के बयान को मास्को और बीजिंग हल्के में नहीं ले रहे. जापान के पास की ये ड्रिल अमेरिका के एशिया-पैसिफिक गठबंधन को खुला संदेश है.
क्या आगे बढ़ेगा टकराव?
अब सवाल ये नहीं कि ड्रिल कौन कर रहा है. सवाल ये है कि क्या ये प्री वॉर का सिग्नल है? क्या ये युद्ध की जमीन तैयार कर रहा है? या फिर ये ताकत की भाषा में बातचीत की कोशिश है? एक्सपर्ट मानते हैं कि ये सबकुछ पावरफुल दिखाने की कोशिश है. ट्रंप के सबमरीन तैनाती, रूस-चीन की जॉइंट ड्रिल और इंडो-पैसिफिक में मचती हलचल… ये सब कुछ नए वर्ल्ड ऑर्डर की दिशा को और स्पष्ट कर रहे हैं.
सारांश:
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस की सीमा के पास न्यूक्लियर सबमरीन तैनात की है, जबकि दूसरी ओर जापान के समुद्र में रूस और चीन ने संयुक्त रूप से घातक युद्धपोत तैनात किए हैं। पुतिन और शी जिनपिंग की यह सैन्य गतिविधि और ट्रंप की आक्रामक रणनीति वैश्विक शक्ति संतुलन में बढ़ते तनाव के संकेत दे रही है। यह घटनाक्रम एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सैन्य टकराव की आशंका को भी बढ़ाता है।