नई दिल्ली 11 जुलाई 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : पूर्व भारतीय बल्लेबाज और 1983 विश्व कप विजेता टीम का हिस्सा रहे यशपाल शर्मा अगर जिंदा होते तो आज अपना 71वां जन्मदिन मना रहे होते. 11 अगस्त 1954 को पंजाब के लुधियाना में पैदा हुए यशपाल शर्मा 2021 में अचानक दुनिया को अलविदा कह गए थे.
1983 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल के अनसंग हीरो
भारतीय क्रिकेट के ‘साइलेंट वॉरियर’ कहे जाने वाले यशपाल शर्मा को ज्यादातर लोग 1983 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में इंग्लैंड के खिलाफ लॉर्ड्स पर खेली गई 61 रन की पारी के लिए याद करते हैं, लेकिन उनकी जिंदगी में एक ऐसा वाकया भी है, जो कम ही लोगों को पता है, जिसने हमेशा-हमेशा के लिए उनकी जिंदगी ही बदल कर रख दी.
कभी-कभी भविष्य की प्रतिभाओं को दूसरे क्षेत्रों के लोग चुन लेते हैं. आप उन्हें दिलीप साहब (उनका स्क्रीन नाम) कहते हैं. मैं उन्हें यूसुफ साहब (उनका असली नाम) कहता हूं.
दिलीप कुमार की सिफारिश पर टीम इंडिया में जगह
आपको जानकर हैरानी होगी कि भारतीय टीम में जगह बनाने के लिए यशपाल शर्मा को बॉलीवुड के महान कलाकार रहे दिलीप कुमार की सिफारिश की जरूरत पड़ी थी. जी हां! चौंकिए मत… ये किस्सा खुद यशपाल शर्मा ने बताया था. 98 साल की उम्र में दुनिया को अलवदा कह चुके दिलीप कुमार का यशपाल शर्मा के करियर में अहम योगदान है.
यशपाल शर्मा ने मीडिया से बातचीत में बताया था, ‘यूसुफ साहब मेरे जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ लेकर आए. मुझे याद है कि मैं रणजी ट्रॉफी खिलाड़ी था और उस साल मेरी टीम पंजाब नॉकआउट में पहुंच गई थी. जहां उनका मुकाबला उत्तर प्रदेश से था. मैं पहली पारी में 100 रन बना चुका था और दूसरी पारी में 80 रन पर नाबाद था. मैच का आखिरी दिन था. अचानक, मैंने गेट पर 2-3 बड़ी कारें देखीं. कुछ लोग उतरे और लगभग सभी ने सफेद कपड़े पहने थे. मुझे लगा कि ये कोई स्थानीय नेता होगा, जिसे क्रिकेट पसंद है. वे वहीं एक मंच पर बैठ गए.’
फिर दिलीप कुमार का निमंत्रण आया
यशपाल शर्मा ने याद करते हुए आगे बताया, ‘जब मैंने दूसरी पारी में अपना शतक पूरा किया तो उन्होंने तालियां बजाईं. मैं यूसुफ साहब से पहले कभी नहीं मिला था. बाद में एक मैच अधिकारी आया और बोला, ‘हमें प्रशासनिक बॉक्स में जाकर किसी से मिलना होगा.’ जब मैं वहां पहुंचा तो मेरे पास शब्द नहीं थे क्योंकि यूसुफ साहब मेरे ठीक सामने थे. उन्होंने मुझसे हाथ मिलाया और कहा कि उन्हें मेरी बल्लेबाजी पसंद है. दिलीप साहब ने कहा, ‘तुममें जबरदस्त मिजाज है. जाहिर है कि तुम प्रतिभाशाली हो और मैं तुम्हारे बारे में किसी से बात करूंगा.’ सच कहूं तो मुझे बहुत अच्छा लगा कि कोई इतना बड़ा व्यक्ति मुझसे बात कर रहा था. उसके बाद मैं उनसे कभी नहीं मिला.’
चार साल के अंदर यशपाल शर्मा ने 1977 में दक्षिण क्षेत्र के खिलाफ दिलीप ट्रॉफी में पदार्पण किया और उस मैच में 173 रन बनाए. शर्मा ने कहा:
1978 में ईरानी ट्रॉफी में शेष भारत के लिए खेलते हुए, जब मैं बल्लेबाजी के बाद मैदान पर आया, तब मैं 87 रन पर था. मेरी मुलाकात दिवंगत राज सिंह डूंगरपुर जी (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष) से हुई. उन्होंने मुझसे कहा कि हम आप पर नजर रखे हुए थे. उन्होंने (डूंगरपुर) मुझे सिर्फ इतना बताया कि कुछ साल पहले यूसुफ साहब ने मेरे नाम की सिफारिश की थी. मैं बहुत खुश था कि एक ऐसा बॉलीवुड स्टार, जो मुझे जानते तक नहीं थे, मेरे नाम की सिफारिश की.
यशपाल शर्मा की अगली मुलाक़ात दिलीप कुमार से मुंबई में एक टेस्ट मैच के आराम के दिन हुई. दिवंगत अभिनेता ने उन्हें फिल्म क्रांति के सेट पर आने के लिए कहा था, जिसमें मनोज कुमार भी थे. उन्होंने उन्हें टेस्ट क्रिकेटर बनने पर बधाई दी थी. शर्मा ने कहा था, ‘उसके बाद मैं उनसे कभी नहीं मिल पाया. लेकिन मैं उनका हमेशा आभारी रहूंगा.
सारांश:
1983 वर्ल्ड कप विजेता यशपाल शर्मा को टीम इंडिया में मौका दिलाने में बॉलीवुड स्टार दिलीप कुमार की अहम भूमिका रही। उनकी सिफारिश से चयन हुआ और यशपाल ने टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन कर टीम के हीरो बने।