नई दिल्ली 01 सितंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) . बॉलीवुड के सुनहरे दौर को याद करते हैं, तो सबसे पहले जहन में कुछ ऐसे नाम आते हैं जो एवरग्रीन हैं. ऐसे ही एक सदाबहार अभिनेता देवानंद थे. एक्टर के लुक की बात हो या स्टाइल की या फिर उनके शानदार अभिनय की. देवानंद को टक्कर देने वाला एक्टर आजतक इंडस्ट्री को नहीं मिला है. देवानंद न सिर्फ एक शानदार अभिनेता थे, बल्कि वो बेहतरीन स्क्रिप्ट राइटर, निर्माता और निर्देशक भी थे जिन्होंने समय से काफी आगे की परिकल्पना को पर्दे पर उतारा. उन्होंने 70 के दशक में आज के समाज की कल्पना कर ऐसी फिल्में बनाई थीं, जो आज भी दर्शकों पर अपना शानदार प्रभाव छोड़ती हैं.
रोमांस हो या सामाजिक मुद्दों पर बनी फिल्में, देवानंद हर फिल्म में खुद को ऐसे ढालते थे कि हर किरदार जीवित हो उठता था. एक्टर के नक्शे कदम पर चलते हुए उनके बेटे ने भी फिल्मी दुनिया में कदम रखा था. सुनील दत्त, धर्मेंद्र की तरह ही देवानंद ने भी अपने बेटे को फिल्मों में लॉन्च किया था, लेकिन उनका तरीका बेहद अनूठा था. जहां सुनील दत्त ने संजय दत्त को ‘रॉकी’ से और धर्मेंद्र ने सनी देओल को ‘बेताब’ से लीड रोल में लॉन्च किया था. वहीं देवानंद ने अपने बेटे को दर्शकों के बीच पहचान दिलाने के लिए सपोर्टिंग रोल चुना था.
देवानंद ने बेटे को साइड रोल में किया था लॉन्च
साल 1984 में देवानंद ने अपने द्वारा निर्देशित फिल्म ‘आनंद और आनंद’ से बेटे सुनील आनंद को इंडस्ट्री में लॉन्च किया था. इस फिल्म में वो खुद लीड रोल में थे. देवानंद ने राखी और स्मिता पाटिल के साथ लीड रोल अदा किया था जबकि उनके बेटे सुनील आनंद छोटे से सपोर्टिंग किरदार में दिखे थे. फिल्म आनंद और आनंद बॉक्स-ऑफिस पर फ्लॉप रही थी. पिता और बेटे की जोड़ी वाली फिल्म का फॉर्मूला बॉक्स-ऑफिस पर नहीं चला.
सुनील आनंद की लगातार 4 फिल्में हुईं फ्लॉप
सपोर्टिंग रोल में फ्लॉप होने के बाद देवानंद के बेटे ने दूसरी फिल्म में लीड रोल अदा करने का फैसला किया. वो फिल्म ‘कार थीफ’ में हीरो के तौर पर पर्दे पर आए. इस फिल्म में एक्ट्रेस विजयता पंडित उनके अपोजिट दिखी थीं. कमाई के मामले में इस फिल्म का भी बंटाधार हो गया. सुनील आनंद की पहली और दूसरी दोनों ही फिल्म बॉक्स-ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी. मेकर्स के लागत तक वसूलने में पसीने छूट गए थे.
देवानंद ने उठाया था बेटे को हीरो बनाने का जिम्मा
पिता का साथ मिलने के बावजूद जब सुनील फिल्मों में सफल नहीं हो पाए, तो उन्होंने अपने चाचा का सहारा लिया. वो विजय आनंद के निर्देशन में बनी फिल्म मैं तेरे लिए में लीड किरदार अदा करते दिखे थे. इस फिल्म में एक्टर मिनाक्षी शेषाद्री के साथ नजर आए थे. ये फिल्म भी सुनील को सफलता का स्वाद नहीं चखा सकी. बेटे के डूबते करियर को सहारा देने के लिए देवानंद ने आशा पारेख और राजेंद्र कुमार के साथ एक फिल्म बनाई, जिसका मकसद सिर्फ और सिर्फ सुनील की इमेज चमकाना और उन्हें हीरो बनाना था. लेकिन अफसोस की वो ऐसा नहीं कर सके.
कई साल बाद लौटे सुनील आनंद का हो गया बंटाधार
लगातार चार फिल्मों के बैक-टू-बैक फ्लॉप होने के बाद सुनील आनंद ने थक-हारकर एक्टिंग से लंबा ब्रेक ले लिया. वो अपने हुनर को निखारने और तराशने के काम में जुट गए. कई साल के लंबे ब्रेक के बाद सुनील ने साल 2001 में मार्शियल आर्ट फिल्म मास्टर के साथ वापसी की. इस फिल्म में अहम किरदार अदा करने के साथ ही उन्होंने इसके निर्देशन की कमान भी संभाली, लेकिन अपने हाथों में लगाम लेने के बावजूद वो अपनी किस्मत नहीं बदल पाए. निर्देशक के तौर पर भी फ्लॉप होने के बाद सुनील आनंद ने इस बात को स्वीाकर कर लिया कि शायद उनकी किस्मत में फिल्मों में सफल होना नहीं था.
पिता की मौत के बाद बने प्रोड्यूसर
देवानंद की मौत से पहले तक सुनील उनके साथ बतौर असिस्टेंट काम करते थे. वो अपने पिता के प्रोडक्शन हाउस नवकेतन में असिस्टेंट डायरेक्टर थे, लेकिन साल 2011 में देवानंद की मौत के बाद सुनील ने बतौर प्रोड्यूसर नवकेतन फिल्म्स का जिम्मा उठाया, लेकिन अफसोस वो प्रोडक्शन भी पिता की विरासत को नहीं संभाल पाए.