03 सितंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत से ही उनकी नीतियां विवादों और कानूनी चुनौतियों से घिरी हुई हैं. हाल ही में दो प्रमुख फैसलों को अदालतों ने अवैध घोषित कर दिया है, जो ट्रंप की कार्यकारी शक्तियों पर गंभीर सवाल खड़े करते हैं. पहला फैसला कैलिफोर्निया में सैन्य तैनाती से जुड़ा है, जिसे पॉसी कोमिटाटस एक्ट का उल्लंघन बताते हुए फेडरल जज चार्ल्स ब्रेयर ने अवैध ठहरा दिया. दूसरा फैसला व्यापक टैरिफ नीति को लेकर है जिसे फेडरल सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स ने इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट के दुरुपयोग का हवाला देकर अवैध करार दे दिया था. ये फैसले ट्रंप प्रशासन को लगातार झटके पे झटके के रूप में देखा जा रहा हैं. इसने उनकी अमेरिका फर्स्ट की नीति की नींव हिला दी है.

सैन्य तैनाती पर कोर्ट का फैसला

इस साल जून में ट्रंप ने कैलिफोर्निया के लॉस एंजिल्स में बड़े पैमाने पर इमिग्रेशन छापेमारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों को दबाने के लिए 4,000 नेशनल गार्ड्स और 700 एक्टिव-ड्यूटी मरीन्स की तैनाती का आदेश दिया. ट्रंप ने इसे विद्रोह का खतरा बताते हुए टाइटल 10 कानून के तहत जायज ठहराया था, लेकिन कैलिफोर्निया के गवर्नर गेविन न्यूसम ने इसे राज्य की संप्रभुता का उल्लंघन बताते हुए मुकदमा दायर किया. मंगलवार दो सितंबर को सैन फ्रांसिस्को की यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के जज ब्रेयर ने 52-पेज के फैसले में कहा कि यह तैनाती 1878 के पॉसी कोमिटाटस एक्ट का स्पष्ट उल्लंघन है, जो फेडरल सैनिकों को घरेलू कानून प्रवर्तन में इस्तेमाल करने पर रोक लगाता है.

जज ने लिखा- ट्रंप प्रशासन ने सशस्त्र सैनिकों और सैन्य वाहनों का उपयोग भीड़ नियंत्रण, ट्रैफिक ब्लॉकेड और फेडरल एजेंट्स की सुरक्षा के लिए किया, जो अवैध है. उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप के 27 अगस्त के कैबिनेट मीटिंग वाले बयान का हवाला दिया, जहां ट्रंप ने कहा था- मैं जो चाहूं कर सकता हूं अगर देश खतरे में हो. जज ने इसे कार्यकारी शक्ति के दुरुपयोग का प्रमाण माना. कोर्ट इस फैसले के बाद कैलिफोर्निया के गवर्नर न्यूसम ने एक्स पर पोस्ट कर तंज कसा- डोनाल्ड ट्रंप फिर से हार गए. अदालतें मानती हैं – हमारी सड़कों का सैन्यीकरण और अमेरिकी नागरिकों के खिलाफ सैन्य उपयोग अवैध है. हालांकि जज ब्रेयर ने फैसले को 12 सितंबर तक स्थगित कर दिया, ताकि ट्रंप अपील कर सकें.

विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच सकता है, जहां ट्रंप के तीन जजों की नियुक्ति से फायदा हो सकता है. लेकिन डेमोक्रेट्स इसे सैन्यीकरण का प्रयास बता रहे हैं, जो नागरिकों और सैनिकों के बीच तनाव बढ़ा सकता है.

टैरिफ नीति पर झटका

इस साल अप्रैल में ट्रंप ने रिसिप्रोकल टैरिफ लगाए थे, जो अमेरिकी व्यापार घाटे को कम करने के लिए 60 से अधिक देशों पर लगाए गए. फरवरी में चीन, कनाडा और मैक्सिको पर फेंटेनिल ट्रैफिकिंग टैरिफ लगाए गए. ट्रंप ने इन्हें IEEPA कानून के तहत राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर जायज ठहराया, लेकिन 29 मई को यूएस कोर्ट ऑफ इंटरनेशनल ट्रेड ने इन्हें अवैध घोषित किया. 29 अगस्त को फेडरल सर्किट कोर्ट ऑफ अपील्स ने 7-4 के बहुमत से इसकी पुष्टि की.

कोर्ट ने कहा- IEEPA टैरिफ लगाने की अनुमति नहीं देता; यह आपातकालीन धमकियों के लिए है, न कि व्यापार घाटे के लिए. जजों ने मेजर क्वेश्चन डॉक्ट्रिन का हवाला दिया, जो कहता है कि बड़े नीतिगत बदलावों के लिए स्पष्ट कांग्रेस की मंजूरी जरूरी है. फैसला 14 अक्टूबर तक स्थगित है, ताकि सुप्रीम कोर्ट में अपील हो सके. ट्रंप ने एक्स पर कोर्ट को हाईली पार्टिसन बताया और कहा कि ये टैरिफ अगर हटे तो अमेरिका नष्ट हो जाएगा.

व्हाइट हाउस ने कहा कि टैरिफ अभी प्रभावी हैं. ये फैसले ट्रंप की शक्तियों पर ब्रेक लगाते हैं. सैन्य तैनाती का मामला कार्यकारी और राज्य शक्तियों के संतुलन को छूता है, जबकि टैरिफ व्यापार युद्ध को प्रभावित करता है. टैरिफ से 42 बिलियन डॉलर राजस्व आया, लेकिन अगर अवैध साबित हुए तो रिफंड का बोझ पड़ेगा. विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप सेक्शन 232 (राष्ट्रीय सुरक्षा) या सेक्शन 301 (अनुचित व्यापार) का इस्तेमाल कर सकते हैं, लेकिन ये सीमित हैं.

Bharat Baani Bureau

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