नई दिल्ली 04 सितंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ). क्रिकेट की दुनिया में कई खिलाड़ी ऐसे होते हैं जो अपार प्रतिभा के बावजूद गुमनामी में खो जाते हैं. भारतीय क्रिकेट में स्पिन गेंदबाजों की कोई कमी नहीं रही, लेकिन कुछ नाम ऐसे भी हैं जिन्हें शायद उतनी पहचान या निरंतर मौका नहीं मिला, जितने वे हकदार थे. ऐसा ही एक नाम है अमित मिश्रा. एक शानदार लेग स्पिनर, जिसने जब भी मौका मिला, खुद को साबित किया. लेकिन फिर भी वो एक स्थायी जगह टीम इंडिया में नहीं बना सके.
अमित मिश्रा उन स्पिन गेंदबाजों में से एक रहे जो गेंद को स्पिन तो स्पिन कराना जानते थे पर सामने से आती कप्तनों और चयनकर्ताओं की गुगली को वो नहीं झेल पाए इसीलिए वो लगातार टीम से अंदर बाहर होते रहे. कभी किसी कप्तान को उनकी गेंद धीमी लगी तो किसी कप्तान को उनकी फील्डिंग पसंद नहीं आई नतीजा वो सिर्फ 22 टेस्ट और 36 वनडे खेल पाए. यानि 22 साल के करियर में वो तीनों फॉर्मेट में 68 अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल पाए.
धोनी की कप्तानी में हुआ डेब्यू
अमित मिश्रा ने 2003 में अपना वनडे डेब्यू किया, लेकिन असली मौका उन्हें 2008 में टेस्ट क्रिकेट में मिला और ये मौका उन्हें मिला महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में जब अनिल कुंबले चोटिल हुए, तब मिश्रा को ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेलने का मौका मिला और उन्होंने पहली ही पारी में 5 विकेट लेकर सबको चौंका दिया. पूरे मैच में उन्होंने 7 विकेट झटके और ‘मैन ऑफ द मैच’ बने. उस समय हर कोई कह रहा था भारत को अनिल कुंबले के बाद एक और बेहतरीन लेग स्पिनर मिल गया है.
कंसिस्टेंसी के बावजूद बाहर
अमित मिश्रा ने भारत के लिए 22 टेस्ट, 36 वनडे और 10 टी20 मुकाबले खेले. उनके नाम इंटरनेशनल क्रिकेट में 156 विकेट हैं खास बात यह है कि उन्होंने जब भी मौका मिला, प्रदर्शन किया. लेकिन बावजूद इसके उन्हें लगातार मौके नहीं मिले. न ही टीम मैनेजमेंट ने उन पर उतना भरोसा दिखाया जितना बाकी स्पिनरों पर किया गया.
विराट कोहली के अंडर में हुई अनदेखी?
जब कप्तानी धोनी से हटकर विराट कोहली के पास आई, तो टीम की दिशा भी बदली. विराट ने फिटनेस, फील्डिंग और यंग प्लेयर्स को तरजीह दी. वहीं, अमित मिश्रा धीरे-धीरे टीम से बाहर होते चले गए. खासकर 2017 के बाद से तो उन्हें पूरी तरह भुला दिया गया. टीम में युजवेंद्र चहल, कुलदीप यादव और बाद में रवि बिश्नोई जैसे यंग स्पिनर्स को मौका मिला, लेकिन मिश्रा को दोबारा नहीं बुलाया गया, जबकि उनका अनुभव और फॉर्म घरेलू क्रिकेट में काफी बेहतर था.
आईपीएल में चमके, फिर भी नज़रअंदाज़
अमित मिश्रा आईपीएल इतिहास के सबसे सफल गेंदबाजों में से एक रहे हैं. उनके नाम IPL में हैट्रिक लेने वाले इकलौते गेंदबाज होने का रिकॉर्ड भी रहा. उन्होंने कुल मिलाकर 3 हैट्रिक ली हैं – जो किसी भी गेंदबाज से ज्यादा है. इसके बावजूद उन्हें टीम इंडिया में जगह नहीं मिली. अब अमित मिश्रा ने क्रिकेट से आधिकारिक रिटायरमेंट की घोषणा कर दी. न कोई बड़ा समारोह, न कोई विदाई मैच. एक ऐसा खिलाड़ी जिसने भारत को कई मैच जिताए, उसकी विदाई इतनी साधारण थी कि ज्यादातर लोगों को पता भी नहीं चला.
अमित मिश्रा की कहानी सिर्फ एक क्रिकेटर की नहीं, बल्कि सिस्टम और चयन प्रक्रिया की भी कहानी है. एक ऐसा टैलेंट जिसने बार-बार खुद को साबित किया, लेकिन फिर भी ‘स्थायी’ नहीं बन पाया.आज जब हम लेग स्पिनर्स की बात करते हैं, तो चहल, कुलदीप और बिश्नोई जैसे नाम सामने आते हैं लेकिन एक नाम जिसे इतिहास में जरूर याद रखा जाएगा, वो है अमित मिश्रा,r जिसकी कहानी शायद उतनी चर्चित नहीं, लेकिन उतनी ही दर्दनाक जरूर है.