08 सितंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : कैंसर की बीमारी दुनियाभर में बढ़ती जा रही है. ऐसे में इस घातक बीमारी के इलाज में एक बड़ी और उम्मीद भरी सफलता सामने आई है, वो भी भारत के एक मित्र राष्ट्र की ओर से. रूस के वैज्ञानिकों ने एक वैक्सीन ‘एंटरोमिक्स’ (Enteromix) विकसित की है, जो क्लिनिकल ट्रायल में सौ फीसदी प्रभावी और सुरक्षित साबित हुई है. इस वैक्सीन ने ना सिर्फ ट्यूमर के आकार को कम किया, बल्कि कुछ मामलों में कैंसर कोशिकाओं को पूरी तरह खत्म करने में भी सफलता पाई है.

यह वैक्सीन दुनियाभर में कैंसर के मरीजों के लिए आशा की किरण है. वैक्सीन को रूस के नेशनल मेडिकल रिसर्च रेडियोलॉजिकल सेंटर ने एंगेलहार्ड्ट इंस्टीट्यूट ऑफ मॉलिक्यूलर बायोलॉजी के साथ मिलकर विकसित किया है. ये वैक्सीन COVID-19 mRNA वैक्सीन टेक्नोलॉजी पर आधारित है लेकिन वैज्ञानिकों ने इसके उपयोग का दायरा काफी ज्यादा बढ़ा दिया है. यह कैंसर के खिलाफ एक अत्याधुनिक और पर्सनलाइज्ड इम्यूनोथेरेपी का रूप है.

कैसे काम करती है Enteromix वैक्सीन?

एंटरोमिक्स एक इंट्रामस्क्युलर इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है. इसका उद्देश्य शरीर की इम्यून सिस्टम को इस तरह से तैयार करना है कि वह विशेष रूप से कैंसर कोशिकाओं की पहचान करते उन्हें नष्ट कर सके. वैक्सीन की खास बात ये है कि इसके जरिये स्वस्थ कोशिकाओं को नुकसान नहीं पहुंचेगा और इसकी यही खासियत परंपरागत कीमोथेरेपी और रेडिएशन के कुप्रभावों से बचाने वाली है. ये तरीके अक्सर पूरे शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं. क्लिनिकल ट्रायल्स के दौरान यह देखा गया कि वैक्सीन न केवल सुरक्षित है, बल्कि किसी भी गंभीर साइड इफेक्ट का कोई संकेत नहीं मिला. यही कारण है कि इसे अब रूस के कई प्रमुख कैंसर सेंटरों में प्रारंभिक उपयोग के लिए शामिल किया जा चुका है.

भारत के लिए भी है अच्छी खबर

एंटरोमिक्स उन मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकता है जो लंग, ब्रेस्ट, कोलोरैक्टल या पैंक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे हैं. इसके अलावा ब्राका 1/2 जैसी जेनेटिक म्यूटेशन वाले हाई-रिस्क मरीज, जिनमें कैंसर होने की संभावना अधिक होती है, उनके लिए भी यह वैक्सीन वरदान होगी. ऐसे मरीज जो कीमोथेरेपी या रेडिएशन झेल नहीं सकते, उनके लिए भी यह वैक्सीन एक सुरक्षित विकल्प के रूप में सामने आई है. वैक्सीन अब रूसी सरकार के नियामक अनुमोदन की अंतिम प्रक्रिया में है. उम्मीद जताई जा रही है कि अप्रूवल मिलते ही इसका व्यापक उपयोग शुरू हो जाएगा. भारत में भी कैंसर के मरीजों के लिए ये वैक्सीन आसानी उपलब्ध हो जाएगी क्योंकि भारत-रूस के व्यापारिक और सामरिक रिश्ते काफी अच्छे हैं. अगर यहां भी इसके परिणाम ऐसे ही सकारात्मक रहते हैं, तो यह खोज पूरी दुनिया के लिए कैंसर इलाज का तरीका बदल देंगे.

Bharat Baani Bureau

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