09 सितंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) ब्रेन स्ट्रोक अचानक होने वाली गंभीर स्वास्थ्य स्थिति है, जिसमें मस्तिष्क तक रक्त का प्रवाह रुकने या फटने से दिमाग की कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त हो जाती हैं। यदि सही समय पर इलाज न मिले तो मरीज को लकवा, बोलने-समझने की समस्या या जान का खतरा भी हो सकता है। न्यूरोलॉजी अपोलो स्पेक्ट्रा हॉस्पिटल में कंसलटेंट और डॉ. जुबैर सरकार कहते हैं कि अक्सर लोग शुरुआती संकेतों को हल्के में लेकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं, जबकि यही संकेत जीवन बचाने का पहला अवसर होते हैं। जागरूकता और समय पर मेडिकल सहायता से स्ट्रोक के घातक परिणामों से बचा जा सकता है।

ब्रेन स्ट्रोक के शुरूआती लक्षण:

  • मुस्कान बिगड़ना: अक्सर शुरुआत में मरीज को चेहरे का एक हिस्सा तिरछा होना या मुस्कान बिगड़ना महसूस होता है।
  • हाथ-पैर में अचानक कमजोरी: इसके साथ ही हाथ-पैर में अचानक कमजोरी या सुन्नपन आ सकता है, खासकर शरीर के एक ओर। 
  • साफ बोलने में परेशानी: कई बार मरीज को साफ बोलने में परेशानी होती है, शब्द गड़बड़ा जाते हैं या दूसरों की बात समझने में कठिनाई होती है। 
  • अचानक धुंधला दिखाई देना: कुछ मामलों में अचानक धुंधला दिखाई देना, एक आँख से दृष्टि बंद होना या दोहरी दृष्टि आना भी स्ट्रोक का संकेत हो सकता है। 
  •  बार-बार चक्कर आना: संतुलन बिगड़ना, बार-बार चक्कर आना और बिना किसी स्पष्ट कारण के तेज सिरदर्द होना भी इस गंभीर समस्या की चेतावनी है। 

कैसे पहचानें लक्षणों को?

इन लक्षणों को समझने का आसान तरीका है F.A.S.T फॉर्मूला: F (Face) – चेहरे का टेढ़ापन देखें, A (Arm) – दोनों हाथ उठाने पर यदि एक हाथ नीचे गिर जाए, S (Speech) – बोलने में अस्पष्टता या हकलाहट दिखे और T (Time) – तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। याद रखें, स्ट्रोक के मामले में समय ही जीवन है। जितनी जल्दी मरीज अस्पताल पहुँचेगा और उपचार शुरू होगा, उतनी ही संभावना है कि वह गंभीर दुष्परिणामों से बच सके। इसलिए इन संकेतों को कभी भी हल्के में न लें और तुरंत विशेषज्ञ की मदद लें।

क्या बरतनी होंगी सावधानियां?

स्ट्रोक के हर मिनट में मस्तिष्क की लाखों कोशिकाएँ क्षतिग्रस्त होती हैं, इसलिए इलाज में देरी खतरनाक हो सकती है। ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ का नियंत्रण सबसे ज़रूरी है, क्योंकि ये स्ट्रोक के बड़े कारण हैं। धूम्रपान और शराब से दूरी, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद मस्तिष्क को स्वस्थ रखते हैं। कोलेस्ट्रॉल और हृदय की जांच नियमित रूप से कराना चाहिए। तनाव कम करने और योग-ध्यान को अपनाना भी फायदेमंद है।

अक्सर लोग हल्के सिरदर्द, थोड़े चक्कर या कमजोरी को मामूली समझते हैं, जबकि ये कभी-कभी बड़े खतरे की घंटी हो सकते हैं। खासतौर पर जिनके परिवार में हृदय रोग या स्ट्रोक का इतिहास है, उन्हें अतिरिक्त सतर्क रहना चाहिए। याद रखें “स्ट्रोक के मामले में समय ही जीवन है।” जितनी जल्दी उपचार शुरू होगा, उतनी ही अधिक संभावना है कि मरीज बिना गंभीर नुकसान के ठीक हो सके। जागरूकता, सतर्कता और स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर ब्रेन स्ट्रोक के खतरे को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

Bharat Baani Bureau

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