11 सितंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) उपराष्ट्रपति चुनाव के परिणाम घोषित हो चुके हैं लेकिन इसकी धूल अभी भी राजनीतिक हलकों में छाई हुई है. विपक्षी इंडिया ब्लॉक के लिए यह चुनाव न केवल हार का प्रतीक है, बल्कि आंतरिक एकजुटता पर गहरा सवाल खड़ा करता है. लगभग 15 सांसदों के क्रॉस वोटिंग ने गठबंधन की नींव को हिला दिया है. इससे कई दलों को यह सोचने पर मजबूर होना पड़ रहा है कि क्या यह साझा प्रयास वाकई NDA को चुनौती देने लायक था? कांग्रेस के नेतृत्व में चले इस अभियान ने जहां एकता का दिखावा किया, वहीं आंतरिक मतभेदों ने गठबंधन की कमजोरियों को उजागर कर दिया.

उपराष्ट्रपति चुनाव में इंडिया ब्लॉक ने बी. सुदर्शन रेड्डी को सर्वसम्मति से अपना उम्मीदवार चुना जो कांग्रेस की प्रबंधन क्षमता का प्रतीक था. मानसून सत्र के दौरान SIR (स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन) यानी मतदाता सूची संशोधन मुद्दे पर दिखी विपक्षी एकजुटता को वोटिंग तक खींचने की कोशिश की गई. टीएमसी, एसपी और डीएमके जैसे प्रमुख दलों ने सक्रिय रूप से प्रचार भी किया, लेकिन बाकी घटक दलों की उदासीनता स्पष्ट तौर पर दिख रही थी. केवल एक बैठक आयोजित की गई. उसमें भी राहुल गांधी अनुपस्थित रहे. इससे गठबंधन की रणनीतिक तैयारी पर सवाल उठे.

एनडीए की दो दिवसीय वर्कशॉप

दूसरी ओर NDA ने अपनी मजबूत संख्या के बावजूद दो दिवसीय वर्कशॉप आयोजित की. मतदान के दिन वरिष्ठ मंत्रियों द्वारा सांसदों के साथ नाश्ते पर बैठकें की गईं, जो एकता का संदेश देती रहीं. NDA सांसद एक साथ संसद पहुंचे, जो उनकी अनुशासन को दर्शाता है. इसकी तुलना में इंडिया ब्लॉक की बिखराव वाली तस्वीर ने विपक्षी एकता में सेंध लगाई. क्रॉस वोटिंग का घटना-चक्र सबसे शर्मनाक रहा. लगभग 15 सांसदों ने इंडिया उम्मीदवार के पक्ष में न जाकर NDA को समर्थन दिया, जो फ्लोर मैनेजमेंट की कुल विफलता को उजागर करता है. यह घटना इंडिया ब्लॉक के घटक दलों के बीच पहले से मौजूद असंतोष को हवा देती है.

TMC ने हमेशा कांग्रेस की चुनावी क्षमता पर संदेह जताया है. ममता बनर्जी की पार्टी के लिए यह घटना एक पुष्टि जैसी हो सकती है कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस के साथ गठजोड़ जोखिम भरा है. पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले TMC को यह सोचना पड़ेगा कि इंडिया ब्लॉक में रहना उसके लिए कितना फायदेमंद रहेगा. इसी तरह RJD भी बिहार में चुनावों का सामना कर रही है. वह भी चिंतित हो सकती है.

बिहार में एनडीए की मजबूती

नीतीश कुमार की JDU के साथ NDA की मजबूती को देखते हुए क्रॉस वोटिंग RJD को गठबंधन की विश्वसनीयता पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर कर सकती है. एसपी और डीएमके जैसे दलों ने चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाई, लेकिन कुल मिलाकर गठबंधन की एकता संदिग्ध नजर आती है. 2024 लोकसभा चुनावों के बाद इंडिया ब्लॉक ने एनडीए को कड़ी टक्कर दी थी, लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव ने दिखा दिया कि संसदीय स्तर पर उनकी पकड़ कमजोर है. क्रॉस वोटिंग न केवल शर्मिंदगी का विषय है, बल्कि यह संकेत देती है कि कुछ सांसदों के लिए व्यक्तिगत या क्षेत्रीय हित गठबंधन से ऊपर हैं.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह घटना 2029 के लोकसभा चुनावों से पहले इंडिया ब्लॉक के लिए एक चेतावनी है. यदि आंतरिक समन्वय न सुधरा तो एनडीए की एकजुटता के आगे वे बिखर सकते हैं. कुल मिलाकर उपराष्ट्रपति चुनाव ने इंडिया ब्लॉक को एक चौराहे पर ला खड़ा किया है. क्या वे अपनी कमजोरियों को सुधारकर एक मजबूत वैकल्पिक शक्ति बन पाएंगे या आंतरिक कलह उन्हें एनडीए के हित में काम करने पर मजबूर कर देगी? आने वाले दिनों में गठबंधन की रणनीति पर नजरें टिकी रहेंगी.

Bharat Baani Bureau

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