बीजिंग 25 सितंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : इंटरनेशनल लेवल पर चीन ने दो बड़े विवादों में चुप्पी तोड़ी है. एक तरफ, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आरोपों का जवाब देते हुए चीन ने कहा कि रूस से तेल खरीदने वाले देश यूक्रेन युद्ध को फंड नहीं कर रहे, बल्कि अमेरिका और यूरोपीय संघ खुद रूस से व्यापार कर रहे हैं. दूसरी तरफ, चीन ने इजरायल के एक सांसद के ताइवान दौरे पर कड़ी निंदा की और इसे द्विपक्षीय संबंधों को नुकसान पहुंचाने वाला बताया. बुधवार इन बयानों से चीन की विदेश नीति की आक्रामकता दिखी है. अब पहले अमेरिका वाले विवाद की बात करते हैं.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में मंगलवार को भाषण दिया. इसमें उन्होंने भारत और चीन पर आरोप लगाया कि दोनों देश रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन युद्ध को आर्थिक मदद दे रहे हैं. ट्रंप ने कहा कि ये देश युद्ध के मुख्य फंडर हैं. उन्होंने यूरोपीय संघ की भी आलोचना की कि वे रूस से ऊर्जा आयात कर रहे हैं, जो खुद उनके खिलाफ है. ट्रंप ने कहा, ‘नाटो देश भी रूसी एनर्जी नहीं रोक पाए, वे खुद अपने खिलाफ युद्ध फंड कर रहे हैं.’
चीन ने क्या दिया जवाब?
डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल खरीदने के लिए 25% अतिरिक्त टैरिफ लगा दिया, जिससे कुल टैरिफ 50% हो गया. बीजिंग में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने बुधवार को मीडिया से बात की. उन्होंने ट्रंप के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ज्यादातर देश, जिसमें अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं, रूस से व्यापार कर रहे हैं. गुओ ने याद दिलाया कि वाशिंगटन खुद मॉस्को से व्यापार कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘चीन और रूस की कंपनियों का सामान्य व्यापार विश्व व्यापार संगठन (WTO) के नियमों और बाजार सिद्धांतों पर आधारित है. यह किसी तीसरे पक्ष के खिलाफ नहीं है और इसमें हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए.’ प्रवक्ता ने चेतावनी दी कि अगर चीन की कंपनियों के रूस से व्यापार में बाधा डाली गई, तो बीजिंग अपने हितों की रक्षा के लिए जरूरी कदम उठाएगा.
चीन ने इजरायल को सुनाया
वहीं दूसरी तरफ चीन ने इजरायल को भी जमकर सुनाया. दरअसल इजरायल के एक सांसद बोआज टोपोरोवस्की ने ताइवान का दौरा किया था. वह लिबरल जायोनिस्ट येश एटिड पार्टी से हैं. पिछले हफ्ते उन्होंने ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते से मुलाकात की थी. सांसद ने ताइवान को इजरायल का ‘सच्चा दोस्त’ बताया. उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा कि ताइवान ने 7 अक्टूबर से इजरायल के नागरिकों का समर्थन किया है और एक समुद्री केंद्र की स्थापना के लिए फंड दिया, जिसने 1000 से ज्यादा पीड़ितों की मदद की. टोपोरोवस्की ने कहा कि जब कई देश इजरायल को छोड़ रहे हैं, तब ताइवान के साथ खड़े रहना जरूरी है.
इस पर चीन ने बयान जारी किया. तेल अवीव स्थित चीनी दूतावास ने रविवार शाम को बयान जारी किया. इसमें सांसद पर ‘एक-चीन सिद्धांत’ का उल्लंघन करने का आरोप लगाया. चीन ताइवान को अपना अलग हुआ प्रांत मानता है और उस पर संप्रभुता का दावा करता है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताइवान पर कब्जा करने के लिए बल प्रयोग की संभावना से इनकार नहीं किया है. अमेरिकी खुफिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, शी ने अपनी सेना को 2027 तक आक्रमण के लिए तैयार रहने का आदेश दिया है.