वाशिंगटन 25 सितंबर 2025 (भारत बानी ब्यूरो ) : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को ‘यूपी इंटरनेशनल शो-2025’ का उद्घाटन करते हुए देश को आत्मनिर्भर भारत की राह पर आगे बढ़ाने की बात कही. पीएम मोदी ने साफ शब्दों में कहा कि भारत जैसा बड़ा देश अब दूसरों पर निर्भर नहीं रह सकता. उनका यह बयान सीधे तौर पर पाकिस्तान को जवाब माना जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि पाकिस्तान आज के समय अमेरिका के सामने नतमस्तक है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ गुरुवार को मुलाकात करने वाले हैं. यह बैठक बेहद अहम मानी जा रही है क्योंकि हाल ही में पाकिस्तान और अमेरिका के रिश्ते तेजी से नजदीक आए हैं. दूसरी तरफ, भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड रिलेशंस में तनाव दिख रहा है. इसका फायदा पाकिस्तान उठाने में लगा है. रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्तानी आर्मी चीफ असीम मुनीर भी इस मीटिंग में शामिल होंगे. इस साल यह उनकी तीसरी हाईप्रोफाइल मीटिंग होगी. आइए जानें क्या बात हो सकती है.
ईरान और क्षेत्रीय सुरक्षा पर चर्चा
सूत्रों के अनुसार, बातचीत का बड़ा हिस्सा ईरान को लेकर हो सकता है. माना जा रहा है कि अमेरिका, पाकिस्तान की भौगोलिक स्थिति और उसके प्रभाव का इस्तेमाल ईरान पर दबाव बढ़ाने के लिए करना चाहता है. हाल ही में अमेरिका की ओर से ईरानी न्यूक्लियर साइट पर हमलों में पाकिस्तान की ‘गुप्त मदद’ की चर्चाएं भी सामने आई थीं. ट्रंप इस बार शरीफ से यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि पाकिस्तान अमेरिका की ईरान नीति में आगे भी सहयोग करता रहे.
सऊदी-पाक रक्षा समझौता
अमेरिका की नजर पाकिस्तान और सऊदी अरब के रक्षा समझौते पर भी है. इस समझौते के मुताबिक, दोनों देशों ने एक-दूसरे की सुरक्षा को अपनी सुरक्षा माना है. अमेरिकी चिंताएं इस बात को लेकर हैं कि कहीं यह समझौता परमाणु तकनीक या रक्षा सहयोग के रूप में गहरा न हो जाए. वॉशिंगटन इस मुद्दे पर शरीफ से स्पष्ट जवाब चाह सकता है कि इस समझौते का दायरा कितना है और क्या इसमें ऐसी कोई बात है जिससे पश्चिम एशिया में रणनीतिक संतुलन बिगड़ सकता है.
अफगानिस्तान और बगराम एयरबेस
अफगानिस्तान का मसला भी मीटिंग में उठ सकता है. चर्चा है कि अमेरिका, पाकिस्तान के जरिए अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस पर फिर कब्जा कर सकता है. यह एयरबेस अफगानिस्तान में अमेरिका के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम है. अमेरिका चाहता है कि उसकी सुरक्षा और सैन्य उपस्थिति को बनाए रखने में पाकिस्तान मददगार साबित हो.
फिलिस्तीन और अरब देशों की राजनीति
ट्रंप की बातचीत का एजेंडा केवल द्विपक्षीय रिश्तों तक सीमित नहीं है. इसमें अरब-इस्लामिक देशों के भविष्य का रोडमैप और फिलिस्तीन का मुद्दा भी शामिल हो सकता है. पाकिस्तान, जो कई मुस्लिम देशों के साथ अपने रिश्ते मजबूत कर रहा है, इस मसले पर अमेरिका को अपनी राय देने की स्थिति में है. वॉशिंगटन चाहता है कि इस्लामाबाद अरब देशों के साथ मिलकर शांति प्रक्रिया में सकारात्मक भूमिका निभाए.